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ऊष्मा क्या है? परिभाषा, पैमाना, प्रकार! ( Ooshma kya hai )

ऊष्मा क्या है? ( What is heat )

ऊष्मा : यह एक प्रकार की ऊर्जा है , जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानान्तरित होती है । इसका स्थानांतरण इस बात पर निर्भर करता है कि कौन – सी वस्तु गर्म है और कौन – सी ठण्डी । ऊष्मा हमेशा गर्म वस्तु से ठण्डी वस्तु की तरफ स्थानांतरित होती है । हम किसी वस्तु को छू कर यह बता देते हैं कि कौन – सी वस्तु गर्म है या कौन – सी वस्तु ठण्डी । परन्तु किसी वस्तु के गर्म या ठण्डे होने का सही पता उसके ताप से चलता है । ताप वह स्थिति है , जिससे हमें पता चलता है कि कोई वस्तु कितनी गर्म है या कितनी ठण्डी । तापमान किसी वस्तु के ताप को तापमापी ( thermometer ) से मापा जाता है ।

ताप मापन के पैमाने हैं :

पैमाना  हिमांक बिन्दु
( पिघलते हुए बर्फ का ताप )

भाप बिन्दु क्वथनांक बिन्दु
( उबलते हुए जल का ताप )

सेल्सियस पैमाना  O ° C  100 ° C 
फारेनहाइट पैमाना 32 ° F 212 ° F  
केल्विन पैमाना ( परम ताप ) 373 K 273 K

मनुष्य का तापमान ( Human heat )

मनुष्य के तापमान को दो प्रकार के तापमापी से मापा जाता है । ये हैं :

( 1 ). डॉक्टरी तापमापी ( सेल्सियस स्केल ) ( Medical thermometer ) , ( 2 ). फारेनहाइट स्केल ( Fahrenheit scale )

( 1 ). डॉक्टरी तापमापी ( सेल्सियस स्केल ) ( Medical thermometer )

• यह एक लंबी , बारीक और समान व्यास को काँच की नली होती है ।
• इसके एक सिरे पर बल्ब होता है , जिसमें पारा भरा होता है ।
• पारा गर्म होने पर फैलता है ।
• तापमान पर पारा बल्ब से ऊपर की ओर चढ़ जाता है ।
• इस से हम 35 ° C से 42 ° C तक के ताप को माप सकते हैं ।
• इस तापमापी से मनुष्य का सामन्य तापमान 37 ° C होता है ।
• इस तापमापी को धूप या आग के पास नहीं रखना चाहिए ।

नोट : आजकल डिजिटल तापमापी ( अंकीय तापमापी ) का प्रयोग होता है , जिसमें पारे का उपयोग नहीं होता है ।

( 2 ). फारेनहाइट स्केल ( Fahrenheit scale )

• यह भी एक लंबी और समान व्यास की काँच की नली होती है ।
• इसमें भी एक सिरे पर बल्ब होता है , जिसमें पारा भरा होता है ।
• इससे हम 94-108 ° F तक के ताप ( मनुष्य का तापमान ) को माप सकते हैं ।
• इस तापमापी से मनुष्य का सामान्य तापमान 98.6 ° F होता है ।

ऊष्मा का संचरण

जब ऊष्मा एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित होती हैं या एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती है तो उसे ऊष्मा संरचरण कहते हैं । ऊष्मा हमेशा गर्म से ठण्डी वस्तु की ओर जाती है ।

ऊष्मा का संचरण तीन प्रकार से होता है :

( 1 ). चालन ( Conducting )

• इस विधि से ऊष्मा संचरण के लिए किसी माध्यम की जरूरत होती है ।
• ठोस वस्तुओं और पारे में ऊष्मा का संचरण चालन द्वारा होता है ।
• इस विधि में पदार्थों के कण एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जाते हैं ।
• गर्म कण ऊष्मा को अपने बगल वाले कण को दे देता है और वह कण गर्म हो कर ऊष्मा को अपने बगल वाले कण को देता है । इस प्रकार ऊष्मा का संचरण वस्तु के एक सिरे से दूसरे सिरे तक होता

ऊष्मा चालन के आधार पर वस्तुएँ दो प्रकार की होती हैं :

( i ) चालक ( Driver )

वे वस्तुएँ जिन में ऊष्मा का चालन आसानी से हो जाता है , चालक कहलाती हैं ।
उदाहरण — सभी धातुएं , जैसे – चाँदी , ताँबा , लोहा , ऐल्युमीनियम आदि ।

• चाँदी ऊष्मा की सबसे अच्छी चालक है ।
• खाना पकाने वाले बर्तन ताँबा या एल्युमीनियम के बने होते हैं क्योंकि ये ऊष्मा के अच्छे चालक हैं ।
• लोहे की कुर्सियाँ जल्दी गर्म हो जाती हैं ।

( ii ) कुचालक ( Insulator )

वे वस्तुएँ जिनमें ऊष्मा का चालन आसानी से नहीं होता या बहुत कम होता है , कुचालक कहलाती हैं ।
उदाहरण — अधातुएं , जैसे – सल्फर , फास्फोरस , लकड़ी , काँच , ऊन , प्लास्टिक , वायु आदि ।

• ऊनी कपड़ों में वायु फंस जाती है , जिससे हमारे शरीर की गर्मी / ऊष्मा बाहर नहीं निकल पाती है और हमें गर्म रखती है ।
• एस्किमो लोगों के घर इग्लू , बर्फ की दोहरी दीवार से बने होते हैं । दोहरी दीवार के बीच में वायु भर जाती है , जिससे अन्दर की ऊष्मा बाहर नहीं निकल पाती और घर में गर्मी रहती है ।
• तवा , फ्राई पैन आदि के हत्थे लकड़ी या प्लास्टिक के बने होते हैं जिससे ऊष्मा हत्थों तक न पहुँचे । सीसा और वायु ऊष्मा की कुचालक होती है ।

( 2 ). संवहन ( Convection )

इस विधि से तरल और गैसों में ऊष्मा का संचरण होता है । इस विधि में तरल या गैस के कण गर्म होकर ऊपर उठ जाते हैं और उनकी जगह ठण्डे कण नीचे आ जाते हैं फिर ठण्डे कण गर्म हो कर ऊपर चले जाते हैं और उनकी जगह पुनः ठण्डे कण आ जाते हैं । यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि सारा पदार्थ गर्म न हो जाए । समुद्र के आस – पास के क्षेत्र का मौसम संवहन के कारण ही एक जैसा रहता है । दिन में स्थल जल्दी गर्म हो जाता है , जिससे वायु हल्की हो कर ऊपर चली जाती है और इनकी जगह लेने के लिए समुद्र से ठण्डी वायु स्थल की तरफ आ जाती , जिसे समुद्री समीर कहते हैं ।

रात में स्थल जल्दी ठण्डा हो जाता है । लेकिन समुद्र का पानी गर्म ही रहता है , जिससे समुद्र के ऊपर की वायु गर्म हो कर ऊपर चली जाती है और उसकी जगह लेने के लिए स्थल की ठण्डी वायु समुद्र की तरफ आ जाती है जिसे स्थलीय समीर कहते हैं । फ्रिज में भी वस्तुएँ संवहन के कारण ठण्डी रहती हैं । फ्रिज में नीचे की वायु गर्म हो कर ऊपर उठती है और फ्रिजर पेटिका से टकराकर ठण्डी हो कर नीचे आती है और वस्तुओं को ठण्डा कर देती है ।

( 3 ). विकिरण ( Radiation )

• पृथ्वी का वायुमंडल भी संवहन के कारण गर्म होता है ।
• इस विधि में ऊष्मा के स्थानांतरण के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं होती है ।
• पृथ्वी पर सूर्य की ऊष्मा विकिरण के द्वारा ही पहुँचती है । . हमारा शरीर विकिरण के द्वारा ही बाहर से ऊष्मा प्राप्त करता है । आग से ऊष्मा विकिरण के द्वारा ही प्राप्त होती है । जब रात में बादल होते हैं तब वातावरण गरम होता है क्योंकि पृथ्वी के द्वारा छोड़ी गई ऊष्मा बादलों से टकराकर विकिरण के द्वारा पृथ्वी पर वापिस लौट आती है ।

ऊष्मा अवशोषक

जो वस्तुएँ ऊष्मा को अवशोषित कर लेती हैं उन्हें ऊष्मा अवशोषक कहा जाता है । गहरे रंग की वस्तुएँ अच्छी ऊष्मा अवशोषक होती हैं इसलिए हम सर्दियों में गहरे रंग के कपड़े पहनते हैं ।

ऊष्या परावर्तक

जो वस्तुएँ ऊष्मा को परावर्तित कर देती हैं , उन्हें ऊष्मा परावर्तक कहा जाता है । हल्के रंग की वस्तुएँ अच्छी ऊष्मा परावर्तक होती हैं । इसलिए हम गर्मियों में हल्के रंग के कपड़े पहनते हैं ।

गलनांक बिन्दु ( Melting point )

एक निश्चित ताप पर जब एक ठोस वस्तु तरल पदार्थ में बदलती है तो उस ताप को गलनांक बिन्दु कहा जाता है । बर्फ 0 ° C पर पानी में बदलने लगती है ।

[ बर्फ का गलनांक है : 0°C ]

हिमांक बिन्दु

एक निश्चित ताप पर जब तरल पदार्थ ठोस वस्तु में बदलता है तो उस ताप को हिमांक बिन्दु कहते हैं ।

[ पानी / जल का हिमांक बिन्दु ( freezing point ) है : 0°C ]

क्वथनांक बिन्दु ( Boiling point )

एक निश्चित ताप पर जब एक तरल पदार्थ भाप में बदलता है तो उस ताप को क्वथनांक बिन्दु कहते हैं ।

[ जल का क्वथनांक बिन्दु है : 100°C ]

  • गर्म चीज को ठंडा करने के लिए हम फूंक मारते हैं और वह चीज ठण्डी हो जाती है । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्म चीज की तुलना में हमारी फूंक ठण्डी होती है । जब ठण्डी फूक गर्म चीज से मिलती है तो ऊष्मा गर्म चीज से ठण्डी फूंक की तरफ स्थानांतरित हो जाती है और गर्म वस्तु ठण्डी हो जाती है ।
  • सर्दियों में शीशे के ऊपर जब हम फूंकते हैं तो वह धुंधला हो जाता है । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शीशा ठण्डा होता है और हमारी साँस गर्म । गर्म और ठण्डी वायु के मिलने से नमी पैदा हो जाती है , जिससे शीशा धुंधला हो जाता है ।
  • गर्मियों में जब हम गिलास में बर्फ डालते हैं तो गिलास पर पानी की बूंदें आ जाती हैं क्योंकि गर्मियों में बाहर का तापमान बहुत अधिक होता है और बर्फ डालने से गिलास का तापमान बहुत कम हो जाता है , जिससे गिलास पर पानी की बूंदें जा आती हैं ।

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