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गति क्या है? परिभाषा एवं प्रकार! ( Gati kya hai )

इस लेख में गति क्या है? ( Speed ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – गति क्या है? परिभाषा एवं प्रकार! ( Gati kya hai ) आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

गति क्या है? ( What is the Speed )

गति क्या है :— गति अगर किसी वस्तु की स्थिति समय के साथ – साथ परिवर्तित होती रहे तो कहा जाता है कि वस्तु गति में है । समय के साथ अगर वस्तु अपनी सापेक्ष स्थिति न बदले तब उसे विराम अवस्था में कहा जाता है ।

एकसमान और असमान गति ( Uniform and Uneven Speed )

अगर कोई वस्तु समान समय अंतराल में बराबर दूरी तय करे तो उसकी गति को एक समान गति कहते हैं । परन्तु वह समान समय अंतरालों में बराबर दूरी तय न करे तो उसकी गति असमान होती है । प्रकृति में अधिकांश गति असमान होती है ।

गति के प्रकार ( Type of Speed )

गति मुख्य रूप से निम्न प्रकार की होती है ;

( i ). सरल रेखीय :— इसमें वस्तु एक सरल रेखा ( सीधी रेखा ) में गति करती है । जैसे— एक सीधी सड़क पर गाड़ियों का गति , सैनिकों का मार्च पास्ट इत्यादि
( ii ). वर्तुल / वृतीय :— इसमें वस्तु गोल – गोल घूमती है । जैसे- पंखे चलना , घड़ी की सुइयों का चलना इत्यादि । \
( iii ). आवर्ती :— इसमें गति करती हुई वस्तु पुनः अपनी जगह परं वापिस आ जाती है । जैसे — घड़ी के लोलक ( पेन्डुलम ) का गति करना पेड़ की शाखाओं का हिलना , झूले पर बच्चे का झूलना , गिटार की तार का हिलना , तबल की सतह का हिलना इत्यादि । किसी – किसी वस्तु में एक से ज्यादा गतियाँ पाई जाती हैं । जैसे — सिलाई मशीन में उसके चक्र का घूमना वर्तुल गति है । वहीं उसकी सुई में आवर्ती गति है । जमीन पर गेंद का लुढ़कना सरल रेखीय एवं वर्तुल ( घूर्णन ) गति को दर्शाता है ।

गति सम्बन्धी शब्दावली ( Speed Terminology )

दूरी ( Distance )

किसी वस्तु द्वारा किसी समय अन्तराल में तय किये गए मार्ग की सम्पूर्ण लम्बाई दूरी कहलाती है ।

चाल ( Speed )

यह अदिश एवं धानात्मक होती है । इसको किमी. मी. या सेंटीमीटर में नापते एक वस्तु इकाई समय में जितनी दूरी तय करती है उसे उसकी वेग / चाल कहते हैं । यह अदिश राशि है । इसको m/s में नापते हैं । इसका सूत्र है : v=s/t जहाँ v → वेग , s → दूरी , t → समय हैं ।

विस्थापन ( Displacement )

वस्तु की अंतिम स्थिति एवं प्रारंभिक स्थिति के बीच की न्यूनतम दूरी को विस्थापन कहते हैं । यह सदिश राशि है एवं यह धनात्मक , ऋणात्मक या शून्य भी हो सकती है ।

वेग ( Velocity )

कोई वस्तु इकाई समय में किसी निश्चित दिशा में जितनी दूरी तय करती है यानि विस्थापित होती है उसे वेग कहते हैं । यह सदिश राशि है एवं यह धनात्मक ऋणात्मक और शून्य भी हो सकती है ।

औसत चाल ( Average Speed )

अगर वस्तु विभिन्न चालों ( v1 और v2 ) से समान दूरी तय करती है तब उसकी औसत चाल होगी 2v1v2/v1v2 अगर वस्तु विभिन्न चालों ( V1 और V2 ) से समान समय तक चलती है तब उसकी औसत चाल होगी v1+v2/2 

त्वरण ( Acceleration )

किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को उस वस्तु का त्वरण कहते हैं । यह सदिश राशि है । इसको m /s² में मापते हैं । अगर वेग का परिमाण समय के साथ बढ़ता है तब त्वरण धनात्मक होता है अगर घटता है तब ऋणात्मक होता है । ऋणात्मक त्वरण को मंदन कहते हैं ।

चालमापी : यह मीटर गाड़ियों के डैश बोर्ड में लगा होता है । इससे km/h में चाल ज्ञात हो जाती है ।
पथमापी : यह मीटर भी गाड़ियों के डैश बोर्ड में लगा होता है । इससे दूरी km में ज्ञात हो जाती है ।

न्यूटन का प्रथम नियम ( जड़त्व का नियम )

इस नियम के अनुसार कोई वस्तु विराम की अवस्था में है तो वह विराम की अवस्था में ही रहेगी और यदि वह एक समान गति से सीधी रेखा में चल रही हो तो वैसे ही चलती रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल लगाकर उसकी अवस्था में परिवर्तन न किया जाये ।

  • उदाहरण :— पेड़ को हिलाने से उसके फल टूट कर नीचे गिर पड़ते हैं ।
  • कम्बल को डण्डे से पीटने पर धूल के कण झड़कर गिर पड़ते हैं ।
  • रूकी हुई गाड़ी के अचानक चलने पर उसमें बैठे यात्री पीछे की ओर झुक जाते हैं ।
  • चलती हुई गाड़ी के अचानक रूकने पर उसमें बैठे यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं ।

न्यूटन का द्वितीय नियम

इस नियम के अनुसार किसी वस्तु पर आरोपित बल उस वस्तु के द्रव्यमान तथा बल की दिशा में उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है ।
[ F=ma ]
इस नियम ने संवेग की धारणा को प्रस्तुत किया । किसी गतिमान वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग के गुणनफल को उस वस्तु का संवेग कहते हैं ।
[ P = mv ]
संवेग एक सदिश राशि है । इसकी दिशा वही होती है जो वेग की होती है । इसका एस.आई. मात्रक kg m/s होता है ।

  • उदाहरण :— गाड़ियों में स्प्रिंग और शॉक एब्जार्बर लगाये जाते हैं ताकि झटका कम लगे ।
  • अधिक गहराई तक कील को गाड़ने के लिए भारी हथौड़े का उपयोग किया जाता है ।
  • कराटे खिलाड़ी द्वारा एक ही झटके में बर्फ की सिल्ली या ईंटों की पट्टी का तोड़ना क्योंकि झटके से हाथ का संवेग लगभग शून्य हो जाता है ।
  • गेंद को कैच करते समय क्रिकेट खिलाड़ी गेंद सहित अपने हाथ को पीछे खींच लेता है ताकि संवेग परिवर्तन की दर कम हो जाए ।

न्यूटन का तृतीय नियम ( क्रिया – प्रतिक्रिया का नियम )

इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर , परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है । इसके अनुसार बल सदैव युगल रूप में होते हैं । किसी एक बल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।

  • उदाहरण :— तैरने के लिए पानी को पीछे की ओर धकेलना ।
  • नाव खेने के लिए बाँस से जमीन को दबाना ।
  • बंदूक से गोली छोड़ते समय पीछे की ओर झटका लगना ।
  • रॉकेट का आगे बढ़ना ।

संवेग संरक्षण का नियम

यदि किसी समूह में वस्तुएँ एक दूसरे पर बल लगा रही हैं अर्थात् पारस्परिक क्रिया कर रही हैं तो पारस्परिक क्रिया के पहले और पारस्परिक क्रिया के बाद , उनका कुल संवेग संरक्षित रहता अगर उन पर बाह्य बल न लगे ।

  • उदाहरण :— जब बराबर संवेग वाली दो गेंदे आपस में टकराती हैं तो दोनों अचानक रूक जाती हैं ।
  • बन्दूक चलाने वाला बंदूक को कंधो से दबाकर रखता है ताकि अधिक धक्का न लगे ।
  • हल्की बन्दूक अधिक वेग से हटती है इसलिए उस से धक्का ज्यादा लगता है ।
  • रॉकेट ईधन की दहन से पैदा हुई गैसें बाहर निकलती हैं और रॉकेट को धकेलती हैं ।

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