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तारा क्या है? (Taara kya hai)

तारा क्या है? (What is a star)

तारा क्या है वह खगोलीय पिण्ड , जिसकी अपनी ऊष्मा , ताप और प्रकाश होता है , तारा कहलाता है । तारे मुख्य रूप से हाइड्रोजन ( 70 % ) , हीलियम ( 25 % ) गैसों के बने होते हैं । तारे में नाभिकीय संलयन ( हाइड्रोजन का हीलियम में बनना ) के कारण ऊर्जा उत्पन्न होती है । साइरस या डॉग स्टार सर्वाधिक चमकीला तारा है । ध्रुव तारा उत्तर दिशा में एक ही स्थान पर दिखाई देने वाला तारा है । प्राचीन समय में लोग इस तारे की सहायता से दिशा का निर्धारण करते थे । सूर्य भी एक तारा है । किसी भी तारों का रंग उसके पृष्ठीय ताप पर निर्भर होता है। नीले रंग के तारे का पृष्ठीय ताप सबसे अधिक होता है।

सूर्य (Sun)

सूर्य एक तारा है और पृथ्वी का सबसे निकट का तारा है। यह सौरमण्डल के केन्द्र में स्थित है। इसके गुरुत्वाकर्षण बल के कारण सौरमंडल के खगोलीय पिण्ड सुव्यवस्थित अवस्था में होते हैं। इसके धरातल (प्रकाश मण्डल) का तापमान 6000°C है। और इसके केन्द्र का तापमान 15000°C है। इसका वायुमण्डल, जिसे वर्णमण्डल (क्रोमोस्फेयर) कहते हैं, वे लाल रंग का है। इसमें कुछ धब्बे पाये जाते हैं, जिन्हें सूर्य कलंक कहते हैं, जिनका तापमान 4500°C होता है यानि कि प्रकाश मंडल से 1500°C कम। सूर्य ग्रहण के दौरान, सूर्य का जो भाग दिखाई देता है उसे सूर्य किरीट / कोरोना कहते हैं। इससे X-किरणें निकलती हैं। पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किमी. दूर सूर्य स्थित है।

तारे (Stars)

स्वयंप्रकाशित उष्ण वात की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल खगोलीय पिण्ड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण इनके द्रव्य को एकीकृत रखता है। मेघरहित आकाश में रात के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे और टिमटिमाते हुए बहुत सारे तारे दिखाई देते हैं।

तारों के नाम (Star names)

चमकते हुए तारों के समूह आकाश को भिन्न भिन्न भागों में बांट दिया गया हैं। इन तारों के समूह को तारामंडल (constellations) कहते हैं। पूरे आकाश गंगा को 89 तारामंडलों में बाट करके उन तारामण्डलों के नाम रख दिए गए हैं।

तारों के कांतिमान (Radiant of stars)

हम सब अपनी खुली आँखों से देखेंगे तो कुछ तारे अधिक चमकीले और कुछ कम चमकीले दिखाई पड़ते हैं। तारे पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर स्थित हैं। दूरी के अधिक होने के कारण चमकीले तारे हमें दिखाई नहीं देते हैं। बिना किसी यंत्र के द्वारा हमारी आँखें 6वें कांतिमान तक के ही तारों को देख सकती हैं। कांतिमानों का विभाजन इस प्रकार है कि जो तारे सबसे अधिक चमकीले दिखाई देते हैं, उनका कांतिमान न्यूनतम संख्या माना जाता है, और उससे कम चमकीले तारों का उससे अधिक कांतिमान न्यूनतम संख्या माना जाता है।

कांतिमान का मापन (Radiant measurement)

इसका अर्थ है तारे के प्रकाश की तीव्रता का मापन करना। पहले यह कार्य आँखों द्वारा विशेष प्रकार के फोटोमीटरों की सहायता से किया जाता था। इस प्रकार विदित किए गए कांतिमान को दृश्य कांतिमान (Visual magnitude) कहते हैं। बाद में कांतिमापन फोटोग्राफी के प्लेटों की द्वारा किया जाने लगा, इस प्रकार से ज्ञात कांतिमान को फोटोग्राफीय कांतिमान कहते हैं।

  • निरपेक्ष कांतिमान (Absolute Luminosity)
  • सापेक्ष कांति (Relative luminosity)

तारों की संख्या (number of stars)

पूरे गैलेक्सी में एक विशाल दूरदर्शी के द्वारा ज्ञात तारों की संख्या लगभग 1,00,00,00,00,000 (एक खरब) है।

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