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विटामिन क्या है? परिचय एवं इसके प्रकार! ( Vitaamin kya hai )

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इस लेख में विटामिन क्या है? विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

विटामिन क्या है? ( What is vitamin )

सामान्य परिचय ( General Introduction ) विटामिन — सूक्ष्ममात्रिक खनिजों की तरह , विटामिनों की भी बहुत ही सूक्ष्म मात्रा मिलिग्राम या माइक्रोग्राम में जन्तु – शरीर के सामान्य उपापचय ( metabolism ) के लिए बहुत जरूरी होती है । ये ऊर्जा प्रदान नहीं करते है, लेकिन अन्य ” ईधन “ पदार्थों के संश्लेषण और सही उपयोग का नियन्त्रण करते हैं । अतः इनकी कमी से उपापचय त्रुटिपूर्ण होकर शरीर को रोगीला बना देता है । इसीलिए इन्हें “ वृद्धि तत्व ( growth factors ) “ और इनकी कमी से उत्पन्न रोगों को अपूर्णता रोग ( deficiency diseases ) कहते हैं । सन् 18 वीं सदी में सूखा रोग ( rickets ) के उपचार के लिए कॉड मछली के तेल का तथा स्कर्वी रोग ( scurvy ) से बचाव के लिए ताजा फलों एवं सब्जियों का उपयोग आवश्यक बताया जाता था ।

सन् 1881 में एन ० आई ० लूनिन ( N.I.Lunin ) ने विटामिनों की खोज की और बताया कि स्वस्थ शरीर के लिए भोजन में , अन्य पदार्थों के अलावा , इन “ अज्ञात “ पदार्थों का भी सूक्ष्म मात्रा में होना जरूरी होता है । इसके बाद सन् 1897 में ईज्कमान ( Eijkman ) ने लूनिन की खोज का समर्थन किया और पता लगाया कि बेरी – बेरी ( beri – beri ) का रोग भोजन में पॉलिश किए गए चावल का बहुत अधिक प्रयोग करने से होता है ।

इसी ज्ञान के आधार पर हॉकिन्स एवं फुन्क ( Hopkins and Funk , 1912 ) ने “ विटामिन मत ( Vitamin Theory ) ” प्रस्तुत किया :—

इसमें बताया कि ऐसा हर एक रोग आहार में किसी न किसी विशेष विटामिन की कमी से होता है । फुन्क ( Funk ) ने तो चावल की छीलन से पहली बार बेरी – बेरी रोग को उत्पन्न होने से रोकने वाले ऐसे पदार्थ को अलग भी किया । उन्होंने ही इस पदार्थ के लिए सन् 1912 में सबसे पहले “ विटामिन ( L. , vita = life ; amine sessential ) “ नाम का उपयोग किया । तब से इन महत्त्वपूर्ण पदार्थों का ज्ञान तेजी से बढ़ा है । ये दूसरे पदार्थों से कुछ सरल कार्बनिक यौगिक होते हैं । जन्तुओं को अधिकतर विटामिन्स भोजन से ही प्राप्त होते हैं , क्योंकि इनका संश्लेषण पौधे करते हैं । पौधों में भी लगभग उन्हीं विटामिन्स की जरूरत होती है जिनकी जन्तुओं में होती है ।

विटामिन्स या तो स्वयं उपापचयी उत्प्रेरकों यानी एन्जाइमों ( विकरों— metabolic enzymes ) के सहएन्जाइमों ( coenzymes ) का काम करते है या सहएन्जाइमों के संयोजन ( composition ) में भाग लेते हैं । इस प्रकार ये उपापचयी अभिक्रियाओं में उत्प्रेरकों की क्रियाओं का नियन्त्रण करते हैं । जीवों में अभी तक लगभग 20 प्रकार के विटामिन्स का पता चला है । इनमें से दो नियासिन और विटामिन D का हमारे शरीर में संश्लेषण हो जाता है , लेकिन बाकी के बचे विटामिन का हमारे भोजन में होना जरूरी होता है ।

विभिन्न प्रकार के विटामिन्स? ( Different types of vitamins )

विटामिन्स को दो श्रेणियों में बाँटा जाता है ;

( 1 ). जल में घुलनशील विटामिन ( Water – soluble vitamins )
( 2 ). बसा में घुलनशील विटामिन ( Fat – soluble vitamins )

( 1 ). जल में घुलनशील विटामिन ( Water – soluble vitamins )

जल में घुलनशील विटामिन्स की आवश्यकता से अधिक मात्रा का मूत्र के साथ उत्सर्जन होता रहता है । इसलिए शरीर में इनका विशेष संचय नहीं होता है , और इन्हें हर दिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक होता है ।

जल में घुलनशील विटामिन ( Water – soluble vitamins )
नाम  स्रोत  कार्यिकी पर प्रभाव  कमी का प्रभाव 
B1— थायमीन अनाज , फलियाँ , सोयाबीन , दूध , यीस्ट , अण्डे , मांस कार्बोहाइड्रेट एवं ऐमीनो अम्ल उपापचय के लिए आवश्यक सहएन्जाइम । अतः तन्त्रिकाओं , पेशियों और हदय की कार्यिकी के लिए आवश्यक । बेरी – बेरी
B2 ( G )— राइबोफ्लेविन पनीर , अण्डे , यीस्ट , हरी , पत्तियाँ , मांस , यकृत उपापचय में महत्त्वपूर्ण सहएन्नाइम्स , FAD कीलोसिस तथा FMN का घटक । ऐड्रीनल हॉरमोन्स के संश्लेषण के लिए आवश्यक । कीलोसिस
B6— पाइरीडॉक्सिन दूध , यीस्ट , अनाज , मांस , मछली , यकृत प्रोटीन उपापचय में आवश्यक एन्जाइम्स रुधिरक्षीणता , चर्म रोग , का सहएन्जाइम । अतः लाल रुधिराणुओं पेशीय ऐंठन । के बनने तथा प्रतिरक्षी प्रोटीन्स के संश्लेषण के लिए आवश्यक । रुधिरक्षीणता , चर्म रोग , पेशीय एठन
B12— सायनोकोबालैमिन मांस , मछली , यकृत , अण्डा , दूध , आँत के जीवाणु वृद्धि , रुधिराणुओं का निर्माण , DNA का रुधिरक्षीणता , कुष्ठित यीस्ट , वृक्कों , फलियाँ , आँत के संश्लेषण , तन्त्रिका तन्त्र की कार्यिकी । रुधिरक्षीणता , तंत्रिका तन्त्र की गड़बड़ियाँ
निकोटिनिक अम्ल यीस्ट , मांस , यकृत , मछली , अण्डे , दूध , मटर , मेवा , फलियाँ उपापचय में महत्त्वपूर्ण सहएन्जाइम्स NAD तथा NADP का षटक । पाचन एवं तन्त्रिका तन्त्रों की कार्यिकी , त्वचा की सुरक्षा , लिंग हॉरमोन्स के स्रावण के लिए जरूरी । पेलाग्रा
पैन्टोथीनिक अम्ल अण्डे , यकृत , मांस , दूध , टमाटर , मूंगफली , गन्ना अपचय ( catabolism ) के सहएन्जाइम – ए का घटक । सामान्य वृद्धि और विकास सफेद , जननक्षमता कम । तथा ऐड्रीनल स्रावण हेतु आवश्यक । चर्म रोग , वृद्धि कम , बाल सफेद , जननक्षमता कम ।
फोलिक अम्ल समूह हरी पत्तियों , यकृत , सोयाबीन , यीस्ट , वृक्कों , फलियाँ , आँत के जीवाणु वृद्धि , रुधिराणुओं का निर्माण , DNA का संश्लेषण , तंत्रिका तंत्र  कार्यिकी । रुधिरक्षीणता , कुण्ठित वृद्धि ।
C— ऐस्कॉर्बिक अम्ल नींबू – वंश के फल , टमाटर , सब्जियाँ , आलू , अन्य फल । आन्तरकोशिकीय सीमेंट , कोलेजन तन्तुओं हड्डियों के मैट्रिक्स , दाँतों के डेन्टीन का निर्माण । अत : घावों के भरने हेतु आवश्यक । स्कर्वी रोग ।
H— बायोटिन मांस , गेहूँ , अण्डा , मूंगफली , चॉकलेट , सब्जी , फल , यीस्ट । सीय एवं ऐमीनो अम्लों सहित कई अन्य पदार्थों की संश्लेषण अभिक्रियाओं में सहएन्जाइम । कुछ अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन में सहायक । चर्म रोग , बालों का झड़ना ।

( 2 ). बसा में घुलनशील विटामिन ( Fat – soluble vitamins )

वसा में घुलनशील विटामिन्स का मूत्र के साथ उत्सर्जन नहीं होता है । अतः वसा ऊतकों में इनका कुछ संचय होता है जिसके कारण इन्हें प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक नहीं होता है ।

वसा में घुलनशील विटामिन ( Fat – soluble vitamins )
नाम  स्रोत  कार्यिकी पर प्रभाव  कमी का प्रभाव 
A— रेटिनॉल करोटिन रंगाओं से यकृत व आन्त्रीय श्लेष्मा की कोशिकाओं में निर्माण । दूध , मक्खन , अण्डा , यकृत , मछली का तेल । दृष्टि रंगों का संश्लेषण एपीथिलियम स्तरों की वृद्धि और विकास । कार्निया और त्वचा की कोशिकाओं का शल्कीभवन ( क्जीरोफ्थैल्मिया ) रतौधीं , कुंठित बृद्धि ।
D— कैल्सीफेरॉल मक्खन , यकृत , मछली का तेल , वृक्कों , अण्डे , त्वचा और यीस्ट में , सूर्य – प्रकाश में संश्लेषण । कैल्सियम व फॉस्फोरस का उपापचय , सूखा रोग , हड्डियों और दाँतों की वृद्धि । सूखा रोग , ऑस्टियोमैलैसिया ।
E— टोकोफेरॉल तेल , गेहूँ , अण्डों की जर्दी , सोयाबीन । कोशिकाकला की सुरक्षा , जननिक एपिथीलियम की वृद्धि , पेशियों की जननांग पेशियाँ क्रियाशीलता । जननक्षमता की कमी , जननांग पेशियाँ कमजोर ।
K— नैफ्थोक्विनोन हरी पत्तियाँ , अण्डा , यकृत , टमाटर , गोभी , सोयाबीन , आँत के जीवाणु । यकृत में प्रोथरामबीन का संश्लेषण । चोट पर रुधिर का धक्का न जमने से अधिक रुधिरत्राव ।

एक या एक से अधिक विटामिन्स की कमी से होने वाली दशाओं को संयुक्त रूप से विटामिन न्यूनता रोग या अविटामिनता ( avitaminosis ) कहते हैं ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है, तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें… [ धन्यवाद् ]

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