You are currently viewing शिक्षा की प्रकृति क्या है? (Shiksha kee prakrti kya hai)

शिक्षा की प्रकृति क्या है? (Shiksha kee prakrti kya hai)

शिक्षा की प्रकृति (Nature of education)

शिक्षा के 3 अंग हैं — (1) शिक्षक, (2) छात्र और (3) समाज ।

इन तीनों में समानता पायी जाती है। स्पष्ट है कि कोई भी सचेतन पदार्थ जड़ नहीं हो सकता । इसी कारण शिक्षा (Education) को जड़ वस्तु नहीं समझा जाता है । शिक्षा में गतिशीलता पायी जाती है। अतः शिक्षा को “गत्यात्मक प्रक्रिया” भी कहा जाता है।

शिक्षा किस प्रकार सामाजिक और गत्यात्मक प्रक्रिया है। इसके लिए शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए शिक्षा की प्रकृति के बारे में जानकारी आवश्यक है।

(1). शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है (Education is a Social Process)

शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। प्रत्येक समाज में सामाजिक परिवर्तन होते रहते हैं। मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के कारण वह समाज का एक अभिन्न अंग है। इसी वजह से समाज यह आशा करता है कि हर एक व्यक्ति का व्यक्तिगत और सामाजिक विकास हो । फ्रॉबेल (Froebel) का मानना है कि शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक अपनी जन्मजात शक्तियों का विकास करता है। यह विकास भौतिक और सामाजिक वातावरण में रहकर भी सम्भव है । सामाजिक आवश्यकताओं के अनुसार ही बालक के विचारों तथा व्यवहारों में परिवर्तन आता है। इसी कारण ड्यूवी (Dewey) ने शिक्षा को समाज की प्रक्रिया मानता है। चूँकि शिक्षा के द्वारा ही बालकों का सामाजिक विकास होता है,

अत: शिक्षा को एक “सामाजिक प्रक्रिया” माना जाता है।

(2). शिक्षा विकास की एक प्रक्रिया (Education is a Process of Development)

बालक जन्म के समय कुछ शक्तियाँ लेकर पैदा होता है। इसी कारण इन शक्तियों को जन्मजात शक्तियाँ कहते हैं। बालक इन्हीं जन्मजात शक्तियों के आधार पर व्यवहार करता है। उसका व्यवहार पशुवत् होता है । शिक्षा इन जन्मजात शक्तियों का विकास करती है। शिक्षा बालकों को उनकी संस्कृति का ज्ञान कराती है। शिक्षा बालकों को इस योग्य बनाती है कि वे सांस्कृतिक विकास में अपना योगदान दे सकें ।

अतः स्पष्ट है कि शिक्षा “विकास की एक प्रक्रिया” है।

(3). शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है (Education is a Dynamic Process)

सामाजिक परिवर्तन इस प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। समाज प्रगति करता रहता है। समाज अपने सदस्यों को इस प्रगति की जानकारी कराना चाहता है। समाज में परिवर्तन आने पर पाठ्यक्रम भी बदल जाता है। सामाजिक परिवर्तनों के साथ शिक्षा अथवा पाठ्यक्रम में परिवर्तन आना अथवा आगे बढ़ना ही शिक्षा की प्रगतिशीलता है

अतः स्पष्ट है कि शिक्षा एक “गतिशील प्रक्रिया” है ।

Read Other—