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जन्तु जगत क्या है? ( Jantu jagat kya hai )

इस आर्टिकल में जन्तु जगत ( Animal kingdom ) से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – जन्तु जगत क्या है? ( Jantu jagat kya hai ) , परिसंचरण तंत्र , पाचन , उत्सर्जन , श्वसन , बिशेष जानवर आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “। 

विषय सूची

जन्तु जगत क्या है? ( What is animal kingdom )

परिभाषा ( Definition )  इस जन्तु जगत में जन्तुओं के विषय में पढ़ा जाता है । अरस्तू को जन्तु विज्ञान का जनक कहा जाता है । पानी में रहने वाले जीव जैसे – मछलियाँ , ऑक्टोपस , दरियाई घोड़ा आदि । रेंगने वाले जीव जैसे – साँप , छिपकली , केंचुआ आदि । कीड़े – मकोड़े जैसे – बिच्छू , तितली . मच्छर , मकड़ी आदि । पशु – पक्षी और मनुष्य सभी जन्तु जगत में आते हैं । 

मनुष्य में परिसंचरण तंत्र ( Circulatory system in humans )

परिभाषा ( Definition ) मनुष्य विभिन्न चीजों को खाता है , जो पचने के बाद शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचती हैं । पाचन प्रक्रिया के दौरान कुछ अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं जिनका शरीर के उस भाग तक पहुंचना जरूरी है जहाँ से वे बाहर निकल सके । पचे हुए भोजन और ऑक्सीजन ( O ) का शरीर के विभिन्न भागों ( अंग ) तक पहुँचना और अपशिष्ट पदार्थ एवं कार्बन – डाइ – ऑक्साइड ( CO2 ) का उत्सर्जन अंग तक पहुँचना ही परिसंचरण तंत्र कहलाता है । विलियम हार्वे ने इस तंत्र की खोज की थी । 

परिसंचरण तंत्र के निम्नलिखित भाग हैं  

( 1 ). रक्त / रुधिर / खून ( Blood )

यह एक चिपचिपा , तरल , लाल रंग का पदार्थ है । इसका लाल रंग इसमें मौजूद एक वर्णक हीमोग्लोबिन के कारण होता है । यह वर्णक कॉक्रोच , केकड़े- जैसे जीवों में नहीं पाया जाता , इसलिए उनका खून लाल नहीं होता है । 

रक्त का कार्य ( Blood work )

यह पचे हुए भोजन को शरीर के सभी जगहों तक पहुंचाता है । रक्त फेफड़ों से ऑक्सीजन ( O ) को शरीर के अन्य भागों तक पहुँचाता है एवं शरीर के अन्य भागों से कार्बन – डाइ – ऑक्साइड ( CO2 ) को फेफड़ों तक पहुँचाता । और यह अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए उन्हें उत्सर्जन अंगों तक पहुंचाता है । 

( 2 ). हृदय / दिल ( Heart )

यह मनुष्य की बाईं छाती में स्थित होता है । इसका आकार लगभग मनुष्य की मुट्ठी के बराबर होता है । मनुष्य का हृदय चार भागों ( कक्षों ) में विभाजित होता है । ऊपर वाले दोनों भाग आलिन्द कहलाते हैं और नीचे वाले दोनों भाग निलय कहलाते है । हृदय लगातार धड़कता रहता है यह 1 मिनट में 72 बार धड़कता है । बच्चों के दिल की धड़कन इससे ज्यादा भी होती है । डरने पर या ज्यादा खुश होने पर या फिर दौड़ने – भागने पर दिल की धड़कन बढ़ जाता है । दिल की धड़कन को स्टेथेस्कोप से सुना जा सकता है ।

दिल का कार्य ( Heart work )

यह रक्त को पंप करता है जिससे कि रक्त हमारे पूरे शरीर में पहुंचता है । 

( 3 ). धमनी व शिरा ( Arteries and veins )

धमनी ( Arteries ) — धमनियाँ दिल से निकलती हैं । धमनी में ऑक्सीजन वाला रक्त होता है , जिसे शुद्ध रक्त कहते हैं । लेकिन फुफ्फुसीय धमनी में अशुद्ध रक्त होता है ।

शिरा ( Veins ) — शिरायें शरीर के अन्य भागों से निकलती हैं । शिरा में कार्बन – डाई – ऑक्साइड वाला रक्त होता है जिसे अशुद्ध रक्त कहते हैं । लेकिन फफ्फुसीय शिरा में शुद्ध रक्त होता है । मनुष्य के हाथ – पैरों पर जो हरी – हरी नलियाँ दिखाई देती हैं वे शिराएँ होती हैं ।

मनुष्य में चार प्रकार के रक्त समूह पाये जाते हैं — A , B , AB और O
AB रक्त समूह वाला व्यक्ति सभी से रक्त ले सकता है । इसलिए AB को सार्वभौमिक प्राप्तकर्ता कहते हैं ।
O रक्त समूह वाला व्यक्ति सभी को रक्त दे सकता है । इसलिए O को सार्वभौमिक दानकर्ता कहते हैं ।
रुधिर रक्त समूह की खोज ” कार्ल लैण्डस्टीनर “ ने की थी । 

मनुष्य में पाचन अंग ( Digestive organs in humans )

भोजन का ऐसे रूप में टूटना जिस रूप में मनुष्य में पाचन को शरीर उसे ग्रहण कर ले , पाचन कहलाता है । पाचन प्रक्रियाओं में जो अंग मदद करते हैं , वे हैं – मुख – गुहिका ( मुँह ) , ग्रास – नली , अमाशय ( पेट ) , छोटी आँत ( क्षुद्रांत ) , बड़ी आँत ( बृहद्रांत ) , मलाशय और गुदा । 

जन्तु जगत

मनुष्य में पाचन की प्रक्रिया ।

( 1 ). अन्तर्ग्रहण ( Interception )

इस प्रक्रिया के द्वारा मनुष्य भोजन को शरीर के अन्दर ले जाता है । यह प्रक्रिया मुख – गुहिका के द्वारा होती है । मुख – गुहिका में जीभ और दाँत होते हैं । जीभ के ऊपर कलिकाएं पाई जाती हैं , जो भोजन को चखने में मदद करती हैं । जीभ भोजन को लार के साथ मिलाने में और निगलने में भी मदद करती है । दाँत से भोजन को काटा जाता है , चीरा जाता पीसा जाता है और चबाया जाता है । 

( 2 ). पाचन ( Digestion )

इस प्रक्रिया में भोजन छोटे – छोटे कणों में टूट जाता है । यह प्रक्रिया मुँह में , अमाशय में और छोटी आँत में होती है । मुँह में लार कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मदद करता है । और छोटी आँत में कार्बोहाइइड्रेट , वसा और प्रोटीन का पाचन होता है । छोटी आंत की लम्बाई लगभग 7.5 मीटर होती है । भोजन का पाचन लार ग्रंथि , यकृत ( लीवर ) और अग्न्याशय के द्वारा निकाले गए रसों से होता है । अमाशय में भोजन का पाचन तेजी से होता है क्योंकि भोजन के मन्थन के कारण इसकी सतह का क्षेत्रफल बढ़ जाता है और एन्जाइमों की क्रिया तेज हो जाती है । अमाशय में , अमाशय रस की प्रकृति अम्लीय होती है । 

( 3 ). अवशोषण ( Absorption )

इस प्रक्रिया में भोजन में मौजूद उपयोगी पदार्थ शरीर के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है । यह प्रक्रिया बड़ी आँत में होती है और इसकीकी लम्बाई 1.5 मीटर होती है । छोटी आँत में कार्बोहाइड्रेट , वसा और प्रोटीन का अवशोषण होता है । और बड़ी आंत में जल और खनिज का अवशोषण होता है ।  

( 4 ). स्वांगीकरण ( Disorganization )

इस प्रक्रिया में अवशोषित भोजन के पदार्थ रक्त के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँचते हैं । 

( 5 ). बहिष्करण / निष्कास ( Expulsion )

इस प्रक्रिया में नहीं पचे हुए भोजन शरीर से बाहर निकल जाता है । नहीं पचे हुए भोजन मलाशय में इकट्ठा होता है और कुछ समय बाद गुदा द्वारा मल के रूप में बाहर आ जाता है । 

Noe — पाचन के विषय में डॉक्टर विलियम बोमेंट ने बहुत खोजबीन किया था । अनेक प्रयोगों के बाद उन्होंने पता लगाया कि पेट में खाना अच्छी तरह पिस जाता है , जिससे भोजन जल्दी पचता है ।

मनुष्य में उत्सर्जन अंग ( Excretory organs in humans )

जिस प्रक्रिया के द्वारा मनुष्य के शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं उस प्रक्रिया को उत्सर्जन ( Excretory ) कहते है । और जिन अंगों के द्वारा उत्सर्जन होता है उन्हें उत्सर्जन अंग कहते हैं । मनुष्य में उत्सर्जन अंग हैं – गुर्दा , फेफड़े , त्वचा , यकृत और मलाशय । मनुष्य में उत्सर्जन मुख्य रूप से पेशाब और मल के रूप में होता है । 

जन्तु जगत

मनुष्य में उत्सर्जन की प्रक्रिया I

( 1 ). गुर्दा / वृक्क के द्वारा ( Kidney )

गुर्दा मुख्य उत्सर्जन अंग हैं । मनुष्य में दो गुर्दे पाये जाते हैं । एक दाहिने ( Right ) ओर और एक बाए ( Left ) ओर होता है । इनका आकार राजमा की फली की तरह होता है । जब रक्त गुर्दो में पहुँचता है तब गुर्दे उसमें से उपयोगी और हानिकारक पदार्थ छान लेते हैं । उपयोगी पदार्थों को पुनः अवशोषित कर लेता है और हानिकारक पदार्थ जल में घुल कर मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकल आते हैं । गुर्दा , मूत्रवाहिनी , मूत्राशय और मूत्रमार्ग उत्सर्जन तंत्र का निर्माण करते हैं । 

( 2 ). फेफडों के द्वारा ( Through the lungs )

मनुष्य में दो फेफड़े पाये जाते हैं । फेफड़ों से कार्बन – डाइ – ऑक्साइड ( CO2 ) गैस अपशिष्ट पदार्थ के रूप में बाहर निकलती है । 

( 3 ). त्वचा के द्वारा ( By skin )

त्वचा से अपशिष्ट पदार्थ पसीने के रूप में बाहर आते हैं । पसीने में जल ( पानी ) और लवण ( नमक ) होते हैं । इसलिए पसीने का स्वाद नमकीन होता है । 

( 4 ). लीवर ( यकृत ) के द्वारा ( By liver )

मनुष्य में एक लीवर पाया जाता है । लीवर अमीनो एसिड और अमोनिया को यूरिया में बदल देता है और उसके बाद यूरिया मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है ।

( 5 ). मलाशय के द्वारा ( By rectum )

मनुष्य के शरीर में जब आँतों के द्वारा भोजन का पाचन और अवशोषण हो जाने के बाद । अपचा हुआ भोजन मलाशय में इकट्ठा हो जाता है । इकट्ठा हुआ अपचा भोजन कुछ समय बाद गुदा के द्वारा मल के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है । 

मनुष्य में श्वसन अंग ( Respiratory organs in humans )

श्वसन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा भोजन से ऊर्जा प्राप्त होती है । सांस लेना श्वसन का ही एक भाग है । जब मनुष्य साँस लेता है तब वह ऑक्सजीन अन्दर लेता है । ऑक्सीजन भोजन को ऊर्जा के रूप में बदल देती है । ऊर्जा निर्माण होने के दौरान कार्बन – डाइ – ऑक्साइड गैस बनती है , जो मनुष्य के साँस छोड़ने पर शरीर से बाहर निकल जाती है । 

जन्तु जगत

मनुष्य में श्वसन प्रक्रिया ।

( 1 ). नाक द्वार ( By nose )

मनुष्य नाक से साँस लेता है और छोड़ता है । नाक में मौजूद बाल और चिकने पदार्थ धूल को शरीर में घुसने नहीं देते हैं । 

( 2 ). फेफड़ा ( Lungs )

फेफड़ों में ऑक्सजीन रक्त में मिल जाती है और कार्बन – डाइ – ऑक्साइड बाहर निकल जाती है । 

( 3 ). डायफ्राम ( Diaphragm )

जब डायफ्राम नीचे की ओर जाता है तब फेफड़ों में ऑक्सजीन भर जाती है । जब डायफ्राम अपनी जगह आता है तब फेफड़ों से कार्बन – डाइ – ऑक्साइड बाहर निकल जाती है । 

कुछ विशेष जानवर ( Some special animals )

वैसे तो सभी जानवर अपने आप में विशेष होते हैं । यहाँ पर जानवर शब्द सभी जन्तुओं जैसे कि — चलने वाले , उड़ने वाले , रेंगने वाले , तैरने वाले , कीड़े – मकोड़ों इत्यादि के लिए प्रयुक्त किया गया है । 

शेर ( Lion )

इसको जंगल का राजा ( King of the jungle ) कहा जाता है । इसकी उम्र लगभग 14 वर्ष की होती है और इसका रंग भूरा होता है । शेर मांसाहारी होता है और यह अपनी पूंछ की मदद से शिकार का पता लगा लेता है । और अंधेरे में भी अपना रास्ता ढूँढ लेता है । शेर अपने कानों की मदद से शिकार की धीमी से धीमी आवाज को भी सुन लेता है । और अंधेरे में यह मनुष्य से लगभग 6 गुना ज्यादा देख सकता है ।

इसके बच्चे का वजन पैदा होने पर 1 से 2 किलो होता है । शेरनियाँ और बच्चे समूह में रहते हैं और शेरनी समूह की नेता होती है । शेर के नर बच्चे 2 – 3 साल बाद अपने समूह को छोड़ देते हैं । शेर अपने मूत्र की सहायता से अपने क्षेत्र को पहचान लेता है । और इसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देती है । 

बाघ ( Tiger )

यह हमारा राष्ट्रीय पशु ( National animal ) है । इसके शरीर पर पीली और काली धारियाँ होती हैं । इसकी आयु लगभग 26 वर्ष की होती है । और यह भी मांसाहारी होता है । यह भी अपनी पूंछ की मदद से शिकार का पता लगा लेता है । और अंधेरे में अपना रास्ता ढूंढ लेता है । यह भी अपने कानों की मदद से शिकार की धीमी से धीमी आवाज को सुन लेता है । यह भी अंधेरे में मनुष्य से लगभग छह गुना ज्यादा देख सकता है ।

इसके बच्चे का वजन पैदा होने पर लगभग आधा किलोग्राम से डेढ़ किलोग्राम तक होता है । बाघिनें और बच्चे समूह में रहते हैं और बाघिन समूह की नेता होती है । बाघ के नर बच्चे 2 – 3 साल बाद अपने समूह को छोड़ देते हैं । यह भी अपने मूत्र की मदद से अपने क्षेत्र को पहचान लेता है । इसको दहाड़ लगभग 3 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है । 

हाथी ( Elephant )

यह पृथ्वी के ऊपर स्थलमंडल में पाये जाने वाला सबसे बड़ा जानवर है । और यह शाकाहारी होता है । इसकी आयु लगभग 70 साल की होती है । इसका दिमाग लगभग 5.50 किलो का होता है । और इसका रंग काला होता है । हांथी अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए पानी और कीचड़ में खेलता है । और एक दिन में एक बड़ा हाथी लगभग एक क्विंटल यानि 100 किलो से ज्यादा पत्ते और झाड़ियाँ खा जाता है ।

इसके बच्चे का वजन लगभग दो क्विंटल होता है । हथनियाँ और बच्चे लगभग 10 – 12 जानवरों के समूह में रहते हैं । सबसे बुजुर्ग हथिनी समूह की नेता होती है । हाथी के नर बच्चे 14 – 15 वर्ष बाद अपने समूह को छोड़ देते हैं । हाथी बहुत कम सोते हैं बस 3 से 5 घंटे । हाथी के कान बहुत बड़े होते हैं । यह सुनने के अलावा अपने कानों से हवा भी कर लेता है । 

गैण्डा ( Rhinoceros )

यह पृथ्वी के ऊपर स्थलमंडल में पाये जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा जानवर है । और यह शाकाहारी होता है । इसकी आयु लगभग 50 वर्ष की होती है । यह एक सींग वाला भी हो सकता है और दो सींग वाला भी । इसके सींग इसके नाक के ऊपर होते हैं । इसकी चमड़ी बहुत मोटी होती लगभग डेढ सेंटीमीटर । इसका वजन एक टन यानि 1000 किलो से ज्यादा होता है । 

जिराफ ( Giraffe )

यह पृथ्वी का सबसे ऊँचा जानवर है । इसकी ऊँचाई लगभग 5 मीटर होती है । और यह शाकाहारी होता है । इसकी आयु लगभग 25 साल होती है । एक दिन में एक बड़ा जिराफ लगभग 45 किलोग्राम पत्तियाँ और घास खा जाता है । यह बहुत ही कम सोता है एक दिन में केवल 2 घण्टे । 

पेंग्विन ( Penguin )

यह नही उड़ने वाला पक्षी है और यह पानी में तैर सकता है । यह बर्फीले इलाकों में पाया जाता है और बर्फ पर अण्डे देता है । नर पेंग्विन अण्डे की देखभाल करता है । और यह समूह में रहता है । 

ह्वेल ( Whale )

ब्लू ह्वेल पृथ्वी की सबसे बड़ी जानवर है । इसकी आयु लगभग 90 वर्ष होती है । यह पानी में रहती है लेकिन स्तनधारी है क्योंकि यह बच्चे को जन्म देती है । 

डॉल्फिन ( Dolphin )

भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव है । इसकी आयु लगभग 50 वर्ष होती है । यह पानी में रहती है लेकिन स्तनधारी है क्योंकि यह बच्चों को जन्म देती है । और यह बुद्धिमान होती है मनुष्य के साथ जल्दी घुल – मिल जाती है । 

मोर ( Peacock )

यह हमारा राष्ट्रीय पक्षी है । इसके पंख नीले और हरे होते हैं । यह सर्वाहारी है और इसकी आयु लगभग 20 वर्ष होती है । इसके सिर पर एक मुकुट होता है । और यह हर साल अपने पंख छोड़ देता है । 

साँप ( Snake )

यह रेंगकर चलते हैं और ये मांसाहारी होते हैं । इनके दाँत होते हैं लेकिन ये भोजन को पूरा निगल जाते हैं । ये अपने दो खोखले दाँतों का प्रयोग जहर निकालने के लिए करते हैं । इनके काटने की दवाई इनके जहर से ही बनाई जाती है । इनके कान नहीं होते हैं लेकिन जमीन पर हुए कंपन को महसूस करते हैं ।

हमारे देश में केवल चार प्रकार के जहरीले साँप पाये जाते हैं । ये हैं- नाग , दुबोइया , करैत और अफाई। कोबरा साँप घोंसला बनाता है । अजगर सबसे लम्बा जीव है और इसकी लम्बाई 30 फीट तक हो सकती है । ये किसानों के मित्र भी होते हैं क्योंकि ये फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले चूहों को खा जाते हैं । 

केंचुआ ( Earthworm ) 

यह रेंगकर चलने वाला जीव है और इसका रंग भूरा होता है । इसकी आयु लगभग 8 वर्ष तक होती है । और इसकी लम्बाई 14 इंच तक हो सकती है । ये बारिश के मौसम में जमीन पर आ जाते हैं । ये मिट्टी खाते हैं और जमीन को भूरभूरी कर देते हैं । ये किसानों के मित्र हैं क्योंकि जब ये मिट्टी को भूरभूरी करते हैं तब हवा उसमें चली जाती है जो फसलों के लिए लाभदायक होती है । 

चिम्पैंजी ( Chimpanzee )

यह सबसे होशियार जानवर माना जाता है और ये सर्वाहारी होते हैं । इसकी आयु लगभग 50 वर्ष तक होती है । ये समूह में रहते हैं , जिसमें 30 से 80 सदस्य हो सकते हैं । और इनके समूह का मुखिया सबसे बड़ा नर होता है । 

स्लॉथ ( Sloth )

यह भालू जैसा जानवर है । यह रात्रिचर है और दिन में लगभग 18 घंटे सोता है। यह पेड़ों पर उल्टा लटक कर सोता है और इसकी आयु लगभग 40 वर्ष की होती है । यह एक अच्छा तैराक भी है । ये पेड़ों के पत्ते खाते हैं और कीड़े – मकोड़े भी । कुछ जानवर ठंड के मौसम में बिल्कुल दिखाई नहीं देते । वे पूरी सर्दी अपने – अपने आश्रय में सोते रहते इसे शीत निद्रा कहा जाता है । जैसे – साँप , बिच्छू , छिपकली , भालू , आदि ।  

तो दोस्तों आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — जन्तु जगत क्या है? ( What is animal kingdom ) , परिसंचरण तंत्र , पाचन , उत्सर्जन , श्वसन , बिशेष जानवर आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । धन्यवाद्…

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