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ऋग्वैदिक काल का इतिहास? (Rigvedic Kaal ka Etihaas)

ऋग्वैदिक काल का इतिहास? तिथि निर्धारण करना उतना ही कठिन है जितना कि इस काल के लोगों के बारे में सटीक जानकारी । इसका प्रमुख कारणों में से एक यह भी है कि इस समय तक केवल ऋग्वेद की ही रचना हुई थी ।

ऋग्वैदिक काल ( Rigvedic Period )

मैक्स मूलर के अनुसार , आर्य का मूल निवास मध्य ऐशिया है । आर्यो के द्वारा बनाई गई सभ्यता वैदिक काल कहलायी । आर्यो द्वारा विकसित सभ्यता ग्रामीण सभ्यता कहलायी , और आर्यों की भाषा संस्कृत थी । ऋग्वैदिक काल का 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व की जानकारी का स्रोत ऋग्वेद है । इस समय में वैदिक आर्य अस्थायी जीवन बिताया करते थे । यह एक ग्रामीण व्यवस्था के अंग थे । ऋग्वेद आर्यों ने जिस विशाल क्षेत्र का निर्माण किया उसे सप्त सैन्धव प्रदेश कहा गया ।

प्रमुख नदियाँ (Major Rivers)

इस क्षेत्र में प्रमुख 7 नदियाँ प्रवाहित हैं । ये नदियाँ हैं – सिन्धु , सतलज , रावी , चिनाब , झेलम , व्यास और सरस्वती आदि । ऋग्वेद में इस क्षेत्र को ‘ ब्रह्मावर्त ‘ भी कहा गया है । ऋग्वेद में हिमालय की चोटी को ‘ मूजवन्त ‘ कहा गया है ।

ऋग्वेद में शर्थ , व्रत तथा गण सैनिक इकाइयों का उल्लेख है । पथी – कृत का प्रयोग अग्नि देवता के लिए किया गया है । इस काल में राजा की कोई नियमित सेना नहीं थी । मैक्स मूलर ने जब अटकलबाजी करते हुए इसे 1200 ईसा पूर्व से आरंभ होना बताया था , तब उसके समकालीन विद्वान डब्ल्यू. डी. ह्विटनी ने इसकी आलोचना की थी । उसके बाद मैक्स मूलर ने स्वीकार किया था कि ” पृथ्वी पर कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो निश्चित रूप से बता सके कि वैदिक मंत्रों की रचना 1000 ईसा पूर्व में हुई थी या कि 1500 ईसा पूर्व में या 2000 ईसा पूर्व या 3000 ईसा पूर्व ” ।

ऐसा माना जाता है कि आर्यों का एक समूह भारत के अलावा ईरान और यूरोप की तरफ भी गया था । ईरानी भाषा के प्राचीनतम ग्रंथ ‘ अवेस्ता की सूक्तियां ‘ ऋग्वेद से मिलती जुलती हैं । अगर इस भाषिक समरूपता को देखें तो ऋग्वेद का रचनाकाल 1000 ईसा पूर्व आता है । लेकिन बोगाज – कोई ( एशिया माईनर ) में पाए गए 1400 ईसा पूर्व के अभिलेख में हिंदू देवताओं इंद , वरुण , नासत्य इत्यादि को देखते हुए इसका काल को और पीछे का माना जा सकता है ।

बाल गंगाधर तिलक ने ज्योतिषीय गणना करके इसका काल 6000 ईसा पूर्व माना था । हरमौन जैकोबी ने जहाँ इसे 4500 ईसा पूर्व से 2500 ईसा पूर्व के बीच माना था वहीं सुप्रसिद्ध संस्कृत विद्वान विंटरनित्ज ने इसे 3000 ईसा पूर्व का बताया था ।

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि इस लेख ऋग्वैदिक काल का इतिहास में दी गई सभी जानकारी अच्छी तरह समझ गए होंगे । अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं. [धन्यवाद]

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