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पित्त क्या है? इसका महत्व! ( Pitt kya hai )

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इस लेख में पित्त क्या है? विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

पित्त क्या है? इसका महत्व! ( What is bile )

यह पीले – हरे या हरे – नीले रंग का क्षारीय तरल होता है । इसका Ph मान – 7.6 से 8.6 तक होता है । मनुष्य में प्रतिदिन लगभग 800 से 1000 mL पित्त का स्रावण होता है । पित्ताशय से ग्रहणी में मुक्त होने वाले पित्त में लगभग 92 % जल , 6 % पित्त लवण ( bile salts ) , 0.3 % पित्त रंगा — विलिरूबिन ( bile pigment – bilirubin ) एवं पित्त अम्ल ( bile acids ) , 0.3-0.9 % कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) , 0.3 % लैसिथिन ( lecithin ) एवं 0.3 से 1.2 % वसीय अम्ल होते हैं । पित्त लवणों में सोडियम क्लोराइड और सोडियम बाइकार्बोनेट नामक अकार्बनिक तथा सोडियम ग्लाइकोकोलेट एवं सोडियम टॉरोकोलेट नामक कार्बनिक लवण होते हैं ।

पित्त के कार्य ( Functions of Bile )

पित्त में कोई पाचक एन्जाइम नहीं होता है , लेकिन लिपिड्स के पाचन एवं अवशोषण में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है तथा इसके कई अन्य कार्य भी होते हैं ।

इसके सभी कार्य निम्नलिखित हैं ;

( 1 ). यह आन्त्रीय क्रमाकुंचन ( peristalsis ) , मुख्यतः मिश्रण गतियों को बढ़ाता है ताकि पाचक रस काइम में भली – भाँति मिल जाए ।

क्रमाकुंचन की परिभाषा ( Definition of peristalsis )

क्रमिक वृत्तों में होने वाले लहरदार आकुंचन से युक्‍त पेशियों में आपने आप होने वाली एक गति जिससे शरीर की आरंभिक नली में स्थित पदार्थ आगे खिसकते है ।

( 2 ). इसके अकार्बनिक लवण HCI के प्रभाव को समाप्त करके काइम को क्षारीय ( alkaline ) बनाते हैं ताकि इस पर अग्न्याशयी तथा आन्त्रीय रसों की प्रतिक्रियाएँ हो सकें ।

( 3 ). पित्त लवण काइम के हानिकारक जीवाणुओं ( bacteria ) को नष्ट करके काइम को सड़ने से बचाते हैं ।

( 4 ). इसके कार्बनिक लवण काइम की वसाओं के धरातल तनाव ( surface tension ) को कम करके इन्हें सूक्ष्म बिन्दुकों ( globules ) में तोड़ देते हैं जिससे कि अग्न्याशयी रस के लाइपेज की इन पर अधिक से अधिक प्रतिक्रिया हो सके । वसा के ये सूक्ष्म बिन्दुक पित्त के जल के साथ वैसा ही पायस ( emulsion ) बना लेते हैं जैसा कि जाड़ों में हमारे कंधे पर तेल और पानी दिखाई देता है । इसीलिए , इसे वसा का पायसीकरण ( emulsification ) कहते हैं ।

( 5 ). पित्त लवण वसा पाचक एन्जाइम्स का सक्रियण करते हैं ।

( 6 ). पित्त अम्लों , लैसिथिन तथा कोलेस्ट्रॉल के साथ मिलकर , पित्त लवण माइसेल नामक सूक्ष्म बिन्दुक बनाते हैं जो लिपिड्स के पाचन – उत्पादों के अवशोषण में सहायता करते हैं । वसा में घुलनशील विटामिनों ( A , D , E एवं K ) के अवशोषण के लिए पित्त लवण आवश्यक होते हैं ।

( 7 ). पित्त विषैले पदार्थों , धातुओं और अनावश्यक कोलेस्ट्रॉल के परित्याग के लिए उत्सर्जी माध्यम ( excretory medium ) का काम करता है । पित्त रंगा ( बिलिरूबिन ) उत्सर्जी पदार्थ ही होती है । यह अस्थि मज्जा , प्लीहा , लसिका गाँठों , यकृत आदि में हीमोग्लोबिन के विखण्डन से बनकर रुधिर में मुक्त होती है । यकृत कोशिकाएँ इसे रुधिर से लेकर पित्त के साथ ठीक उसी प्रकार बहिष्कृत करती हैं जैसे वृक्कों की कोशिकाएँ यूरिया का उत्सर्जन करती हैं । इसी के कारण पित्त पीला या हरा – सा होता है ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — पित्त क्या है? आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । धन्यवाद

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