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अम्ल और क्षार किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार एवं अन्तर! (Aml aur Kshaar)

अम्ल और क्षार (Acids and Bases)

अम्ल और क्षार वे होती हैं जो चीजें खट्टी होती हैं , उनमें अम्ल होता है और जो चीजें कड़वी होती हैं वे क्षारक ( भस्म ) कहलाती हैं । कभी – कभी किसी चीज के स्वाद से उसको अम्लीयता या क्षारीयता का पता नहीं चलता , जैसे – कॉफी का स्वाद तो कड़वा होता है परन्तु वह अम्लीय है । इसलिए किसी चीज के अम्लीयता या क्षारीयता का पता लगाने के लिए उनका परीक्षण किया जाता है ।

परीक्षण अम्ल और क्षार का (Acid and Base test)

परीक्षण मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते हैं —

( 1 ). लिटमस पत्र परीक्षण , ( 2 ). pH मान परीक्षण ।

( 1 ). लिटमस पत्र परीक्षण — यह पत्र लाइकेन से बनता है । अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है । क्षार लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है ।
( 2 ). pH मान परीक्षण — इस परीक्षण की खोज सोरेनस ने 1909 में की थी । इसमें 0 से 14 तक संख्या लिखी होती है । जिन पदार्थों का 0 से 6.9 तक का pH मान होता है , वे अम्ल होते हैं । जिन पदार्थों का 7.1 से 14 तक का pH मान होता है , वे क्षार होते हैं ।

नोट :— हल्दी का भी प्रयोग अम्लीयता और क्षारीयता पता करने के लिए किया जाता है । क्षार हल्दी को लाल कर देता है । अम्ल हल्दी के रंग को बदलता नहीं है ।

अम्ल के स्रोत (Source of acid)

  • एसिटिक अम्ल – सिरिका , आचार
  • टारटेरिक अम्ल – अंगूर ,इमली
  • बेन्जोइक अम्ल – घास , पत्ते
  • साईट्रिक अम्ल – नींबू ,संतरा
  • लेक्टिक अम्ल – दूध ,दही
  • फार्मिक अम्ल – चींटी , बिच्छू ,मधुमक्खी
  • ओक्सालिक अम्ल – टमाटर
  • सल्फ्यूरिक अम्ल – हरा कसीस
  • मौलिक अम्ल – सेब

अम्ल के रासायनिक नाम (Chemical name of acid)

  • हाइड्रोक्लोरिक अम्ल – Hcl
  • सल्फ्यूरिक अम्ल – H₂SO₄
  • नाइट्रिक अम्ल – HNO₃
  • ओक्सालिक अम्ल – C₂ H₂O₄
  • सिट्रिक अम्ल –
  • कार्बोनिक अम्ल – H₂CO₃
  • लेक्टिक अम्ल – C₃H₆O₃
  • फास्फोरिक अम्ल – H₃O₄P

क्षार के रासायनिक नाम (Chemical name of alkali)

पोटेशियम हाइड्रोक्साइड – KOH
सोडियम कार्बोनेट – Na₂CO3
सोडियम हाइड्रोक्साइड –NaOH
सीज़ियम हाइड्रोक्साइड – CsOH
सोडियम बाई कार्बोनेट – NaHCO₃
बेरियम हाइड्रोक्साइड – Ba(OH)2(H2O)x

हमारे अमाशय में पाये जाने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन पचाने में मदद करता है । अगर इस अम्ल की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो हमे अपाचन हो जाता है । इससे बचने के लिए हम प्रतिअम्ल ( एंटीऐसिड ) , जैसे – ईनो लेते हैं । ईनो में दूधिया मैग्नीशियम ( मैग्नीशियम हाइड्रो ऑक्साइड ) या फिर बेकिंग सोडा ( सोडियम बाई – कार्बोनेट ) होता है , जो अम्ल के प्रभाव को उदासीन कर देता है । चींटी के काटने पर हम उस जगह बेकिंग सोडा लगा देते हैं , जिससे चींटी के अम्ल का प्रभाव खत्म हो जाता है और हमें जलन नहीं होती है ।

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