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जल में घुलनशील विटामिन? ( jal mein ghulanasheel vitaamin )

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जल में घुलनशील विटामिन? ( Water soluble vitamins )

जल में घुलनशील विटामिन — बी तथा सी ( Water – soluble Vitamins — B and C )

( 1 ). विटामिन “ बी – कॉम्प्लेक्स ” ( Vitamin “ B – complex ” )

इसकी विटामिन कि खोज फुन्क ने सन् 1912 में बावल की छीलन से अलग किया , जल में घुलनशील और नाइट्रोजनयुक्त था । उन्होंने इसे विटामिन ” बी ” ( Vitamin ‘ B ‘ ) का नाम दिया । बाद में लगभग दस अन्य ऐसे ही विटामिनों की खोज हुई और इन सबको ” बी – कॉम्प्लेक्स ( B – complex ) “ का सामूहिक नाम दे दिया गया । उपापचय में सक्रिय भाग लेने वाले सहएन्जाइमों ( coenzymes ) का प्रमुख अंश यही विटामिन बनाते हैं ।

प्रमुख “ बी – कॉम्लेक्स ” विटामिन निम्नलिखित होते हैं ;

( i ). विटामिन “ बी ” या थायमीन ( Vitamin “ BI ” or Thiamine )

इसी विटामिन को फुन्क ने सन् 1912 में चावल की छीलन से तैयार किया था , लेकिन विशुद्ध रूप में इसे सन् 1934 में विलियम्स ( Williams ) ने पृथक् किया । शीघ्र ही विलियम्स ने इसकी आण्विक संरचना ज्ञात करके इसका सन् 1937 में कृत्रिम संश्लेषण किया । जैन्सन ( Jansen , 1949 ) ने इसके शुद्ध रवे ( crystals ) तैयार किए । यह कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसाओं के ऑक्सीकर उपापचय में कार्बनिक पदार्थों से कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2 ) हटाने वाली अभिक्रियाओं को प्रेरित करने वाले एन्जाइमों यानी कोकार्बोक्सिलेज ( cocarboxylase ) एन्जाइमों के सहएन्जाइमों का घटक होता है । अतः यह तन्त्रिकाओं , पेशियों और हृदय की कार्यिकी के लिए आवश्यक होता है । हमें यह अनाज के छिलकों , दूध , हरी सब्जियों , आलू , यीस्ट , मांस , मेवा , सोयाबीन , मछली , अण्डों आदि से मिलता है ।

हमारा केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र ऊर्जा के लिए लगभग पूरी तरह कार्बोहाइड्रेट उपापचय पर निर्भर करता है । अतः इस विटामिन की कमी से तन्त्रिका तन्त्र और पैशियों का कार्य बिगड़ जाता है जिससे अंगघात यानि लकवे ( paralysis ) तक की आशंका हो सकती है । हृद्पेशियों के क्षीण हो जाने से दिल की धड़कन बन्द हो सकती है । अपच तथा कब्ज हो सकती है । इन्हीं तीन लक्षणों को सामूहिक रूप से बेरी – बेरी ( beri – beri ) का रोग कहते है ।

( ii ). विटामिन “ बी ” , या “ जी ” या राइबोफ्लेविन ( Vitamin ” B2 ” or Gor Riboflavin )

इसकी खोज सन् 1935 में हुई जब इसे दूध से निकाला गया । यह गहरे पीले रंग का और ऑक्सीकर उपापचय ( metabolism ) यानि अपचय ( catabolism ) में भाग लेने वाले सहएन्जाइमों , FAD तथा FMN , का घटक होता है । अतः यह स्वास्थ्य तथा वृद्धि के लिए आवश्यक होता है । यह ऐड्रीनल ग्रन्थियों में हॉरमोन्स के संश्लेषण के लिए भी आवश्यक होता है । यह पनीर , अण्डों , यीस्ट , टमाटर , हरी पत्तियों , जिगर ( यकृत ) , मांस तथा दूध आदि में मिलता है । इसकी कमी से मुँह के कोण फट जाते हैं ( कीलोसिस Cheilosis ) । कमजोर पाचन – शक्ति , त्वचा व आँखों में जलन , सिरदर्द , दिमागी क्षीणता , रुधिरक्षीणता , कमजोर स्मृति तथा होठों और नासिका पर पपड़ीदार त्वचा इस विटामिन की कमी के अन्य लक्षण होते हैं ।

( iii ). निकोटिनिक अम्ल या नियासिन या विटामिन “ पीपी ” ( Nicotinic Acid or Niacin or vitamin ” PP ” )

यह ऑक्सीकर उपापचय में भाग लेने वाले NAD तथा NADP नामक सहएन्जाइमों का सक्रिय घटक होता है । पाचन एवं तन्त्रिका तन्त्रों की कार्यिकी , त्वचा की सुरक्षा तथा लिंग हॉरमोन्स के स्रावण में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है । यह हमें ताजा मांस , जिगर , मछली , अण्डों , यीस्ट , अनाज , दूध , मटर , मेवा , फलियों आदि से मिलता है । इसकी कमी से चर्मदाह यानि पेलाग्रा ( pellagra ) रोग हो जाता है जिसमें जीभ और त्वचा पर दाने और पपड़ियाँ पड़ जाती हैं , पाचन – शक्ति कमजोर हो जाने से अतिसार ( diarrhoea ) हो जाता है , पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं , जनन क्षमता कम हो जाती है तथा तन्त्रिका तन्त्र के क्षीण हो जाने से पागलपन ( dementia ) तक हो सकता है ।

( iv ). विटामिन “ बी ” या पाइड्रिडॉक्सीन ( Vitamin “ Bs ” or Pyridoxine )

यह ऐमीनो अम्लों के उपापचय में महत्त्वपूर्ण भाग लेने वाले एन्जाइमों का सहएन्जाइम होता है । लाल रुधिराणुओं एवं प्रतिरक्षी प्रोटीन्स के बनने तथा पाचन एवं तन्त्रिका तन्त्रों की कार्यिकी में इसका विशेष महत्त्व होता है । यह दूध , अनाज , मांस , मछली , जिगर , यीस्ट , केला , आलू , मेवे आदि में मिलता है । इसकी कमी से रुधिरक्षीणता ( anaemia ) , चर्म रोग ( dermatitis ) , पेशीय ऐंठन ( convulsions ) , कमजोरी , मतली , कै , पथरी ( kidney stones ) आदि रोग हो जाते हैं । आँत के जीवाणु भी इसका संश्लेषण करते हैं । अतः इसकी प्रायः कमी नहीं होती है ।

( v ). पैन्टोथीनिक अम्ल ( Pantothenic Acid )

यह सभी प्रकार के पोषक पदार्थों के ऑक्सीकर उपापचय अर्थात् अपचय में भाग लेने वाले महत्त्वपूर्ण सहएन्जाइम “ ए ” ( coenzyme ” A ” ) का घटक होता है । ऐड्रीनल ग्रन्थियों की स्रावण क्रिया , सामान्य वृद्धि और विकास तथा तन्त्रिका तन्त्र की कार्यिकी के लिए भी यह महत्त्वपूर्ण होता है । यह सभी प्रकार के खाद्य – पदार्थों में होता है , लेकिन यकृत , गुर्दो ( वृक्कों ) , अण्डों , मांस , दूध , मूंगफली , गन्ने , अनाज , शकरकन्दी , यीस्ट आदि में अधिक मिलता है । इसकी कमी शरीर में सामान्यतः नहीं होती । फिर भी कमी होने पर चर्म रोग , मन्द बुद्धि , हाथ – पैरों में सुन्नता , थकावट , सिरदर्द , मितली , बाल सफेद और जननक्षमता कम हो जाती है ।

( vi ). बायोटिन या विटामिन “ एच ” ( Biotin or Vitamin ” H ” )

यह ग्लाइकोजन , वसीय अम्लों , ऐमीनो अम्लों तथा पिरिमिडीन ( pyrimidine ) के संश्लेषण , वसीय अम्लों एवं कार्बोहाइड्रेट्स के अपघटन तथा प्रोटीन अपघटन के अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन से सम्बन्धित एन्जाइम्स का सहएन्जाइम होता है । यह सब्जी , फलों , गेहूँ , केला , अंगूर , तरबूज , चॉकलेट , अण्डों , मूंगफली , जिगर , मांस , यीस्ट आदि में होता है । आंत के जीवाणु भी इसका संश्लेषण करते हैं । इसकी कमी से त्वचा रोग , बालों का झड़ना तथा कमजोरी हो जाती है और भूख मर जाती है ।

( vil ). फोलिक अम्ल समूह ( Folic Acid Group )

ये लाल रुधिराणुओं के निर्माण , DNA के संश्लेषण , वृद्धि , जनन तथा तन्त्रिका तन्त्र की कार्यिकी के लिए आवश्यक होते हैं । ये हरी पत्तियों ( पालक ) , सोयाबीन , यीस्ट , गुर्दो , फलियों , खुंभी ( mushroom ) तथा यकृत आदि में मिलते हैं । इनकी कमी से वृद्धि कम और रुधिरक्षीणता ( anaemia ) हो जाती है ।

( vi ). विटामिन ” बी ” या सायनोकोबालैमिन ( Vitamin “ B12 ” or Cyanocobalamin )

यह न्यूक्लीक अम्लों ( DNA , RNA ) के संश्लेषण तथा अस्थिमज्जा ( bone marrow ) में लाल रुधिराणुओं के निर्माण और तन्त्रिका तन्त्र की कार्यिकी में भाग लेने वाले एन्जाइम्स का सहएन्जाइम होता है । अतः यह वृद्धि के लिए आवश्यक होता है । घातक रुधिरक्षीणता ( pernicious anaemia ) के उपचार में इसके इन्जेक्शन लगाते हैं । इसकी कमी से तन्त्रिका तन्त्र की कार्यिकी गड़बड़ा जाती है , स्मरण शक्ति कम हो जाती है और मेरुरज्जु कमजोर हो जाती है । यह मांस , मछली , यकृत , अण्डों , दूध , पनीर आदि में मिलता है । आँत के जीवाणु भी इसका संश्लेषण करते हैं ।

( 2 ). विटामिन ” सी ” या ऐस्कॉर्बिक अम्ल ( Vitamin ” C ” or Ascorbic Acid )

18 वीं सदी में ही सबसे पहले इसी विटामिन की खोज हुई । इसका प्रमुख कार्य ऊतकों में कोशिकाओं को परस्पर बाँधे रखने वाले आन्तरकोशिकीय पदार्थ ( intercellular substance ) के मैट्रिक्स ( matrix ) , कोलैजन तन्तुओं , हड्डियों के मैट्रिक्स और दाँतों के डेन्टीन के निर्माण और रख – रखाव का होता है । सम्भवतः यह विटामिन इन पदार्थों के संश्लेषण से सम्बन्धित अभिक्रियाओं के एन्जाइम्स का सहएन्जाइम होता है । लौह उपापचय का नियन्त्रण करके यह लाल रुधिराणुओं के निर्माण में भी सहायता करता है । पुरातन काल से जल – यात्रियों के स्कर्वी ( scurvy ) रोग से इस विटामिन का सम्बन्ध ज्ञात है । कि वास्कोडीगामा 180 यात्रियों के साथ समुद्री मार्ग से जब सन् 1498 में भारत की खोज में निकले तो भारतीय तट पर पहुँचने से पहले ही उनके 100 साथी इस रोग के शिकार हो चुके थे ।

स्कर्वी में सबसे महत्त्वपूर्ण प्रभाव घावों के न भरने का होता है । कोलैजन तन्तुओं एवं आन्तरकोशिकीय पदार्थ की कमी से घावों के भरने में महीनों लग जाते हैं । इस रोग के दूसरे प्रभाव में हड्डी एवं दाँतों की वृद्धि रुक जाती है । इससे हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और टूटी हड्डी का जुड़ना कठिन हो जाता है । तीसरे प्रभाव में रुधिरक्षीणता ( anaemia ) हो जाती है और रुधिर – केशिकाओं ( blood capillaries ) की दीवार के क्षीण हो जाने से ये फटने लगती हैं ।

इसके अलावा , शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता ( immunity ) और जननक्षमता ( fertility ) कम हो जाती है , पेशियाँ फटने लगती हैं , मसूड़े फूलने और दाँत गिरने लगते हैं , मसूड़ों से रक्तस्राव होने लगता है और दुर्गन्ध आने लगती है , खून की के होने लगती है , मल के साथ खून जाने लगता है , जोड़ों में सूजन हो जाती है तथा तीव्र ज्वर हो जाता है । विटामिन की कमी पूरी करके स्कर्वी रोग से छुटकारा मिल जाता है । यह नींबू , सन्तरे , मौसमी , टमाटर , हरी मिर्च , आँवला , अमरूद , कमरख तथा हरी सब्जियों , आलू आदि में मिलता है । अतः स्कर्वी रोग ऐसे व्यक्तियों को होता है जो केवल दूध , मांस , अण्डों और अनाज पर निर्वाह करते हैं ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — जल में घुलनशील विटामिन? आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें.. [ धन्यवाद् ]

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