इस लेख में आपको अग्न्याशय की संरचना से सम्बन्धित जानकारी मिलेगी ।
अग्न्याशय की संरचना? ( Pancreas structure )
यकृत की भाँति , अग्न्याशय भी एक सहायक पाचनांग होता है । यह “ C ” की आकृति की ग्रहणी ( duodenum ) की दो भुजाओं के बीच में , यकृत तथा आमाशय के नीचे की ओर स्थित और आंत्रयोजनी यानी मीसेन्ट्री द्वारा सधी , मछली की – सी आकृति की कोमल एवं गुलाबी – सी चपटी तथा मिश्रित ग्रन्थि ( mixed gland ) होती है । यह यकृत के बाद , शरीर की दूसरी सबसे बड़ी ग्रन्थि होती है । यह लगभग 12 से 15 सेमी लम्बी होती है । इसका सबसे चौड़ा भाग चौड़ाई में लगभग 3 सेमी होता है । सामान्य व्यक्ति में इसका भार 60 से 90 ग्राम होता है ।
अग्न्याशय तीन भागों में बाँट सकते हैं —
ग्रहणी की ओर का कुछ फूला हुआ सा शीर्ष भाग ( head ) , मध्यवर्ती अग्न्याशयकाय ( body of pancreas ) तथा बाईं ओर का कुछ पतला पुच्छ भाग ( tail ) ।
यकृत की भाँति , इसके ऊपर भी लस्य स्तर ( serosa ) का खोल होता है । लस्य स्तर के संयोजी ऊतक स्तर की अनेक महीन पट्टियाँ ( septa ) ग्रन्थि के ऊतक में भीतर फँसकर इसे छोटे – छोटे पिण्डकों ( lobules ) में बाँटती है ।
प्रत्येक पिण्डक के कोमल संयोजी ऊतक में निलम्बित दो प्रकार की ग्रन्थिल कोशिकाएँ होती हैं —
( 1 ). बाह्यस्रावी या एक्सोक्राइन ( exocrine )
( 2 ). अन्तःस्रावी या एन्डोक्राइन ( endocrine )
( 1 ). बाह्यस्रावी या एक्सोक्राइन कोशिकाएँ ( Exocrine Cells )
अग्न्याशय के प्रत्येक पिण्डक की लगभग 90 % कोशिकाएँ बाह्यस्रावी होती हैं । ये कोशिकाएँ घनाकार ( cuboidal ) या स्तम्भी ( columnar ) होती हैं और छोटे – छोटे फ्लास्कनुमा ( flask – shaped ) खोखले कोष्ठकों ( acini ) में व्यवस्थित रहती हैं । प्रत्येक कोष्ठक की दीवार ग्रन्थिल कोशिकाओं की इकहरी एपिथीलियम होती है । इसकी गुहा एक महीन कुल्या ( canaliculus ) से जुड़ी होती है । कई निकटवर्ती कोष्ठकों की कुल्याएँ एक अन्तर्विष्ट नलिका ( intercalated duct ) में खुलती हैं । ये नलिकाएँ जुड़ – जुड़कर कई अन्तःपिण्डकीय नलिकाएँ ( intralobular ducts ) बनाती हैं । प्रत्येक पिण्डक की ये नलिकाएँ जुड़ – जुड़कर एक पिण्डकीय नलिका ( lobular duct ) बनाती हैं । विभिन्न पिण्डकों की नलिकाएँ बड़ी आन्तरपिण्डकीय नलिकाएँ ( interlobular ducts ) बनाती हैं । फिर ये सब नलिकाएँ एक लम्बी अग्न्याशयी नाल ( pancreatic duct or duct of Wirsung ) में खुलती हैं जो ग्रहणी के निकट सहपित्त नली ( common bile duct ) से जुड़कर यकृत – अग्न्याशयी तुम्बिका ( hepatopancreatic ampulla ) बनाती है । प्रमुख अग्न्याशयी नाल के दूरस्थ भाग में प्रायः इससे एक छोटी सहायक अग्न्याशयी नलिका या सेन्टोरिनि की नलिका ( accessory pancreatics duct or duct of Santorini ) निकलकर पृथक् छिद्र द्वारा ग्रहणी में खुलती है ।
यह छिद्र प्रमुख अग्न्याशयी नलिका के छिद्र से कुछ ऊपर की ओर होता है । पिण्डकों के चारों ओर के संयोजी ऊतक में , आन्तरपिण्डकीय नलिकाओं के अतिरिक्त , रुधिरवाहिनियाँ एवं केशिकाएँ , कुछ अरेखित पेशी एवं तन्त्रिका तन्तु तथा मास्ट कोशिकाएँ ( mast cells ) पाई जाती हैं । कोष्ठकों की ग्रन्थिल कोशिकाएँ जाइमोजीनिक ( zymogenic ) होती हैं , यानी ये पाचक अग्न्याशयी रस ( pancreatic juice ) का स्रावण करती हैं । छोटी आंत में पहुँचकर यह रस सभी प्रकार के कार्बनिक पोषक पदार्थों के पाचन में महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है ।
( 2 ). अन्तःस्रावी या एण्डोक्राइन कोशिकाएँ ( Endocrine Cells )
प्रत्येक पिण्डक की लगभग 10 % कोशिकाएँ अन्तःस्रावी होती हैं । पिण्डक के संयोजी ऊतक में छितरे इनके कई सघन , गोल या अण्डाकार से छोटे – छोटे समूह होते हैं जिन्हें लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएँ ( Islets of Langerhans ) कहते हैं । पूरे अग्न्याशय में अनुमानतः ऐसे दस लाख से भी अधिक समूह होते हैं जो पूर्ण ग्रन्थि का लगभग 1 से 2 % भाग बनाते हैं । प्रत्येक द्वीपिका में रुधिर – केशिकाओं का घना जाल होता है । द्वीपिका की कोशिकाएँ इन रुधिर – केशिकाओं के चारों ओर छोटे – छोटे समूहों या लड़ियों में एकत्रित रहती हैं । ये कुछ हॉरमोन्स ( hormones ) का स्रावण करती हैं । इनमें इन्सुलिन व ग्लूकैगान प्रमुख है । इन हॉरमोन्स का विस्तृत वर्णन आगे अध्याय 18 में दिया गया है ।
तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख अग्न्याशय की संरचना? में दी गयी सभी जानकारी आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद् ]
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