You are currently viewing मुखगुहिका किसे कहते हैं? परिभाषा, कार्य ( Mukhaguhika kise kahate hain )

मुखगुहिका किसे कहते हैं? परिभाषा, कार्य ( Mukhaguhika kise kahate hain )

  • Post author:
  • Post category:Science
  • Reading time:2 mins read

इस लेख में मुखगुहिका विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – मुखगुहिका किसे कहते हैं?, परिभाषा, कार्य आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

मुखगुहिका किसे कहते हैं? ( What is buccal cavity )

परिभाषा ( Definition ) — मुख तथा होंठ दो मांसल , चल होंठों के बीच , अनुप्रस्थ दरारनुमा हमारा मुखद्वार या मुख विदर होता है जो मुख – ग्रासन गुहिका में खुलता है । हमारे होंठ बाहर की ओर थोड़े इस प्रकार घूमे हुए होते हैं कि भीतर की ओर इन पर मुखगुहिका का श्लेष्मिक स्तर दिखाई देता है । ऊपरी होंठ पर मध्य में नासिका तक फैली एक छिछली खाँच होती है जिसे फिल्ट्रोन ( philtron ) कहते हैं । इसका महत्त्व अनिश्चित है । वयस्क पुरुषों में ऊपरी होंठ पर मूंछ ( moustache ) के बाल निकलते हैं ।

मुखगुहिका किसे कहते हैं
मनुष्य के मुकहगुहिका की आंतरिक रचना

मुख को खोलने – बन्द करने के अलावा होंठ भोजन को रोक कर रखने , बोलने और चुंबन करने में सहायता करते हैं । हमारा ऊपरी जबड़ा खोपड़ी से पूरी मजबूती से जुड़ा होने के कारण अचल होता है । निचला जबड़ा खोपड़ी के पश्च – पार्श्व कोणों पर जुड़े होने के कारण चल होता है । इसे नीचे की ओर खोल देने से गहरी मुख – ग्रासन गुहिका और इसमें स्थित रचनाएँ दिखाई देने लगती हैं ।

एक सँकरा त्रिकोणाकार – सा गलद्वार ( fauces ) मुख – ग्रासन गुहिका को अगली चौड़ी व बड़ी मुखगुहिका ( oral or buccal cavity ) तथा पिछली सँकरी व छोटी ग्रसनी यानी गलतनी गुहिका ( pharynx or throat cavity ) में विभाजित करता है । पूरी मुख – ग्रासन गुहिका की दीवार पर गुहिका की और स्तृत शल्की एपिथीलियम ( stratified squamous epithelium ) की बनी श्लेष्मिक कला ( mucous membrane ) का आवरण होता है , लेकिन मुखगुहिका की यह कला भ्रूण की एक्टोडर्म ( ectoderm ) से तथा ग्रसनी की एण्डोडर्म ( endoderm ) से बनती है ।

भोजन का अन्तर्ग्रहण और मुखगुहा के कार्य ( Ingestion of food and functions of oral cavity )

भोजन का चर्वण ( Mastication )

भोजन ग्रहण में हमारे होंठ भोजन सामग्री को थामने का काम करते हैं और मुखगुहा में पहुंचे हुए भोजन को वापस बाहर निकलने से रोकते हैं । हमारी मुखगुहा में भोजन को इकट्ठा नहीं किया जा सकता है । इसलिए हर एक निवाले ( morsel ) को दाँतों से चबाकर निगल लेने के बाद ही हम अगला भोजन निगलते हैं । ज्योंही भोजन मुखगुहा में पहुँचता है , इसे चबाने के लिए हमारा मुँह अपने – आप चलने लगता है । इसलिए स्पष्ट है कि यह क्रिया एक प्रतिवर्ती प्रतिक्रिया ( reflex reaction ) के रूप में अनैच्छिक ( involuntary ) होती है । इसमें केवल निचले जबड़े की गतियाँ होती हैं , क्योंकि ऊपरी जबड़ा अचल होता है । स्पष्ट है कि ये गतियाँ निचले जबड़े की पेशियों द्वारा संचालित होती हैं । ये पेशियाँ रेखित ( striated ) होती हैं । अतः इनकी क्रिया पर मस्तिष्क के प्रमस्तिष्क ( cerebrum ) का चेतन नियन्त्रण भी होता है । इसीलिए , हम इच्छानुसार ( voluntarily ) इस क्रिया को कुछ समय के लिए रोक सकते हैं और फिर दोबारा पशुरू कर सकते हैं ।

याद रखे कि , निचले जबड़े की पेशियों की गणना शरीर की सर्वाधिक शक्तिशाली पेशियों में होती है । चर्वण क्रिया में…

( 1 ). कृन्तक यानी छेदक ( incisor ) और रदनक ( canine ) दन्त भोजन सामग्री को काटने एवं कुतरने का काम करते हैं ।
( 2 ). प्रचर्वण ( premolar ) और चर्वण ( molar ) दन्त इसे चबाने एवं पीसने का काम करते हैं ।
( 3 ). जिह्वा यानी जीभ ( tongue ) भोजन को चबाने हेतु इसे बार – बार दाँतों के बीच लाने का काम करती है ।
( 4 ). लार ( saliva ) भोजन को गीला और लसदार बनाकर इसे चबाने में सहायता करती है ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — मुखगुहिका किसे कहते हैं? , परिभाषा आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । धन्यवाद

Read More—