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वर्गीकरण की परिभाषा एवं आवश्यकता ( Vargeekaran kee paribhaasha )

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इस लेख में वर्गीकरण ( Classification ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – वर्गीकरण की परिभाषा एवं आवश्यकता ( Vargeekaran kee paribhaasha evam aavashyakata ) आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

वर्गीकरण की परिभाषा एवं आवश्यकता ( Definition and requirement of classification )

वर्गीकरण की परिभाषा ( Definition of classification )

सम्पूर्ण जीव – जगत् का सुचारु रूप से अध्ययन करने के लिए जीवों की सभी जातियों को उनके समान तथा विषम लक्षणों के आधार पर अलग – अलग समूहों या वर्गों में रखना वर्गीकरण ( classification ) कहलाता है । 

वर्गीकरण की आवश्यकता ( Need of Classification ) 

जीवों में निम्न प्रमुख कारणों से वर्गीकरण आवश्यक है ।

( 1 ). अध्ययन की सुविधा ( Convenience in Study ) 

संसार में जन्तुओं तथा पेड़ – पौधों की लाखों जातियाँ ज्ञात हैं । इन सभी का एक साथ अध्ययन कठिन है । अतः इन्हें अध्ययन की सुविधा हेतु समान लक्षणों के आधार पर विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है । एक वर्ग विशेष के लक्षणों का अध्ययन करने पर उसके अन्तर्गत आने वाले सभी जन्तुओं अथवा पौधों के विषय में जानकारी मिल जाती है । 

( 2 ). जैव – विकास का प्रमाण ( Evidence of Organic Evolution ) 

जीवों का वर्गीकरण , जैव – विकास ( organie evolution ) का प्रमुख प्रमाण है , यदि जन्तु जगत् के वर्गीकरण को एक साव प्रदर्शित किया जाए तो सरलतम् रचना वाले जन्तुओं से जटिल रचना वाले जन्तुओं की ओर क्रमिक विकास स्पष्ट देखा जा सकता है । 

( 3 ). नए जीवों की खोज ( Discovery of New Organisms ) 

जातिवृत्तीय ( phylogenetic ) ढंग से किए गए वर्गीकरण में कहीं – कहीं पर अज्ञात जीवों की कमी दिखाई देती है । अतः इस आधार पर जीव वैज्ञानिक ( Biologists ) नए जीवों की खोज में निरन्तर प्रयत्नशील रहते हैं । 

( 4 ). संग्रहालयों में जीवों का रख – रखाव ( Preservation of Organisms in Museum ) 

इस आधार पर ही विभिन्न जन्तु तथा वानस्पतिक संग्रहालयों में दुर्लभ जन्तुओं अथवा पोधों के प्रारूप ( specimens ) गुव्यवस्थित ढंग से रखे जाते हैं । 

( 5 ). अनुकूलन का ज्ञान ( Knowledge of Adaptation ) 

इससे जीवों के अनुकूलन के विषय में भी पता चलता है । किसी विशेष वातावरण में पाए जाने वाले जीवों जैसे — कीट , शैवाल , कवक में आकार व अंगों में समानता होती है । 

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — वर्गीकरण की परिभाषा एवं आवश्यकता ( Vargeekaran kee paribhaasha evam aavashyakata ) आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । धन्यवाद्…

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