You are currently viewing आश्रय क्या है? परिभाषा एवं प्रकार! ( Aashray kya hai )

आश्रय क्या है? परिभाषा एवं प्रकार! ( Aashray kya hai )

इस लेख में आश्रय ( Shelter ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – आश्रय क्या है? परिभाषा एवं प्रकार ( Aashray kya hai ) आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

आश्रय क्या है? ( What is shelter )

परिभाषा ( Definition ) जिस जगह पर जीव रहते हैं उस जगह को उनका आश्रय कहते है । अलग – अलग जीवों का आश्रय अलग – अलग होता है । कुछ जीव अपना खुद आश्रय बना लेते हैं तो कुछ जीव अपना आश्रय खुद नहीं बनाते हैं । कुछ जीव मनुष्य के घरों में रहते हैं तो कुछ जीव जंगल में । कुछ जीव पेड़ पर रहते तो कुछ जीव पानी में । कुछ जीव जमीन पर रहते हैं तो कुछ जीव उसके नीचे । 

जीवों के आश्रय दो प्रकार के होते हैं —

( 1 ). स्थाई आश्रय
( 2 ). अस्थाई आश्रय

( 1 ). स्थाई आश्रय ( Parmanent shelter )

परिभाषा ( Definition ) — स्थाई आश्रय वह होता है , जिसमें कोई जीव या मनुष्य स्थाई रूप से रहता है । जैसे कि – जंगली जीव – जंतुओं का स्थाई आश्रय ‘ जंगल ‘ है । वैसे ही मनुष्य का स्थाई आश्रय ‘ घर ‘ है । 

( 2 ). अस्थाई आश्रय ( Temporary shelter )

परिभाषा ( Definition ) अस्थाई आश्रय वह होता है , जिसमें कोई जीव या मनुष्य कुछ समय के लिए रहता है । जैसे कि – जीवों के लिए अस्थाई आश्रय ‘ चिड़ियाघर ‘ है । वैसे ही मनुष्य का अस्थाई आश्रय ‘ तम्बू यानि टेंट ‘ है । 

कुछ जीवों के आश्रय निम्नलिखित है —

( 1 ). जानवरों के आश्रय ( Animal shelter )

( 1 ). घरों में रहने वाले जीव : कुत्ता , बिल्ली , छिपकली , मच्छर , मकड़ी , चूहा , चींटी आदि ।
( 2 ). जंगल में रहने वाले जीव : शेर , हाथी , हिरण , गैंडा , बाघ , मोर , चिम्पैंजी आदि ।
( 3 ). पेड़ पर रहने वाले जीव : बन्दर , पांडा , स्लॉथ , लंगूर , पक्षी आदि ।
( 4 ). पानी में रहने वाले जीव : मछली , डॉल्फिन , ह्वेल , बतख , साँप , मेढक , मगरमच्छ , कछुआ आदि ।
( 5 ). जमीन पर रहने वाले जीव : कुत्ता , बिल्ली , गाय , भैंस , गधा , घोड़ा आदि ।
( 6 ). जमीन के अन्दर रहने वाले जीव : चूहा , साँप , चींटी , खरगोश , केंचुआ , बिच्छू आदि ।
( 7 ). समूह में रहने वाले जीव : मधुमक्खी , चींटी , ततैया , दीमक आदि । 

उभयचर ( Amphibians )

जो जीव पानी और जमीन पर दोनों में रहते हैं उन्हें उभयचर कहते हैं , जैसे – मगरमच्छ , मेढक , साँप आदि ये सभी जीव उभयचर हैं ।

जीवों के रहने के आश्रय को खास नामों से जाना जाता है , जो निम्नलिखित हैं :

नोट : रजत मछली , यह मछली एक कीड़ा है । इस मछली को छोड़ कर सभी मछलियाँ पानी में रहती हैं । और विद्युत मछली , ह्वेल मछली , तारा मछली , कुत्ता मछली , ऑक्टोपस , समुद्री गाय आदि ये सभी मछलीयां समुद्र में होती हैं । 

( 2 ). मनुष्य का आश्रय ( Human shelter )

समय के साथ – साथ मनुष्य अपने घरों का रंग – रूप बदलता रहता है । जैसे कि मनुष्य कभी कच्चा घर ‘ मिट्टी ‘ का बनाता है तो कभी पक्का घर ‘ ईटों ‘ का बनाता है । मनुष्य के घरों का निर्माण निम्नलिखित कारणों पर निर्भर होता है । जैसे कि – 

  1. जगह की भौगोलिक स्थिति पर 
    जगह पहाड़ी है या समतल , गाँव है या शहर । 
  2. जगह की जलवायु पर 
    बारिश ज्यादा होती है या कम । गर्मी ज्यादा पड़ती है या कम । 
  3. उपलब्ध निर्माण सामग्री पर 
    जिस चीजों से घर बनाया जाता है वह चीजें उचित मात्रा में उपलब्ध है या नहीं । 
  4. व्यक्ति की फाइनेंसियल स्थिति पर
    व्यक्ति अमीर है या गरीब । 

विभिन्न क्षेत्रों के विभिन्न प्रकार के घर 

( 1 ). मिट्टी के घर ( Soil houses )

मिट्टी के घर मुख्यतः गाँवों में होते हैं । और उन जगहों पर भी होते हैं जहाँ ज्यादा गर्मी पड़ती है , जैसे कि – राजस्थान । इस मिट्टी के घरों को बनाने के लिए मिट्टी में भूसा ( straw ) मिलाया जाता है । जिससे कि दीवारें मजबूत रहे और इसकी दीवारें मोटी होती हैं । जिससे कि बाहर की गर्मी अन्दर नही जा सके । इसकी छतें झाड़ियों या छप्पर की बनी होती हैं । कीड़ों से बचने के लिए कई घरों के छतें ( roof ) में नीम या कीकर ( acacia ) की लकड़ी का उपयोग किया जाता है । इस घरों के दीवारों और फर्श को समय – समय पर गोबर ( cow-dung ) और मिट्टी से लीपा जाता है । जिससे कि मिट्टी के घर टूटे नहीं और कीड़े नहीं आएं । 

( 2 ). बाँस या लकड़ी के घर ( Bamboo or wooden houses )

इस तरह के घर असम जैसे राज्यों में बनाये जाते हैं जहाँ बारिश अधिक होती है । इस घर को बाँस के मजबूत खम्भों पर जमीन से 8 से 10 फुट ऊँचे बनाये जाते हैं । जिससे कि बाढ़ आने पर घर को कोई नुकसान नहीं हो पाये ।

( 3 ). पत्थर या लकड़ी के घर ( Stone or wooden houses )

 इस तरह के घर पहाड़ी इलाकों में बनाये जाते हैं , जैसे कि जम्मू – कश्मीर और हिमाचल प्रदेश आदि । क्योंकि इन इलाकों में बारिश भी होती है और बर्फ भी पड़ती है । इन घरों की छते ढलवां होती है । जिससे कि बारिश का पानी या बर्फ आसानी से नीचे गिर जाये । और कहीं – कहीं पर छत समतल भी होती है । इस घरों पर चूने की पुताई होती है जिससे कि किड़े नहीं आएं । इस तरह के घर एक मंजिल या फिर दो मंजिले होते हैं । लद्दाख के लोग अपने घर की निचली मंजिल को सामान या जानवरों को रखने के लिए उपयोग करते हैं । और यहां के लोग अपने घरों को समतल छतों का उपयोग फसल , सब्जी आदि सुखाने के लिए भी करते हैं । 

( 4 ). ईंट के मकान या ऊँची इमारतें ( Brick houses or tall buildings

इस तरह के घर समतल क्षेत्रों और मैदानी भागों में बनाये जाते हैं । ये एक मंजिल से लेकर बहुमंजिल होते हैं । ऊंची – ऊंची इमारतें अधिकतर बड़े शहरों में होती हैं । 

( 5 ). बर्फ का घर ( Ice houses )

यह बर्फीले क्षेत्रों में बर्फ के टुकड़ों ( blocks ) को जोड़ कर बनाये जाते हैं । यह गुंबद के आकार का होता है और इसका प्रवेश द्वार बहुत छोटा होता है जिससे कि बर्फिली हवा अन्दर नही जा सके । बर्फ की दीवारों के बीच मौजूद हवा अन्दर की गर्मी को बाहर जाने से रोकती है । इस तरह के घर एस्किमो शिकारियों का अस्थाई निवास होता है ।

( 6 ). हाउसबोट ( Houseboat )

इस तरह के घर कश्मीर और केरल में होते हैं । यह घर लकड़ी का होता है जो हमेशा पानी में रहता है । और यह 80 फुट तक लम्बे हो सकते हैं । इस घर में लकड़ी पर छतों और खम्बो में खूबसूरत नक्काशी की गई होती है । जिसे खतमबंद कहा जाता है । और इस तरह के घर पर्यटकों ( tourists ) के लिए होते हैं ।

( 7 ). डोंगा ( Dugout ) 

यह कश्मीर में पाये जाने वाली हाऊसबोट हैं । जिसपर कोई नक्काशी नहीं की गई होती है । और इसमें अलग – अलग कमरे होते हैं । इस तरह के घरों में वहाँ के स्थानीय लोग रहते हैं ।

( 8 ). टेंट ( Tent )

यह लोगों का अस्थाई निवास है । यह अलग – अलग क्षेत्रों में अलग – अलग चीजों से बनता है । जैसे कि शहरों में गरीबों का प्लास्टिक या कपड़ों के टेंट बने होते हैं । वहीं पर्वतारोहियों के टेंट दो तह वाली प्लास्टिक शीट से बने होते हैं जिससे कि ठंड नही लगे । और लद्दाख के चांगपा जनजाति के लोग याक के बालों की पट्टियों से टेंट बनाते हैं , जिसे रेबो कहते हैं । 

( 9 ). हवेली , महल या किले ( Haveli , Mahal or Fort )

इस तरह के निर्माण राजा – महाराजा , जमींदार या अमीर लोग करवाते थे । इनमें पत्थरों और लकड़ियों का बहुत ज्यादा उपयोग होता है । ये बहुत बड़े होते हैं और इनमें कई कमरे होते हैं । इनकी छतों में , दीवारों पर , दरवाजों पर और खम्भों पर खूबसूरत नक्काशियाँ कि गई होती है । 

पक्षियों के घोसलें ( Birds nest )

पक्षी अपना घोंसला खुद बनाते हैं और घोंसला नर पक्षी बनाता है । सभी पक्षियों के घोंसले एक जैसे नहीं होते । सिर्फ अण्डे देने के लिए घोंसला बनाते है । जब अण्डे से बच्चे निकल जाते हैं और वे उड़ना शुरू करते हैं तब पक्षी अपना घोंसला छोड़ देते हैं । 

  • दर्जिन चिड़िया दो पत्तों को एक साथ में जोड़ कर घोंसला बनाती है । 
  • कलचिड़ी अपना घोंसला जमीन पर पत्थरों के बीच बनाती है । 
  • जुलाही चिड़िया ( वीवर बर्ड ) का घोंसला लालटेन की तरह होता है जो टहनियों से लटका हुआ होता है । 
  • कठफोड़वा और वसंत गौरी पेड़ के तने में छेद कर के घोंसला बनाते हैं ।
  • कौआ पेड़ की सबसे ऊंची डाल पर घोंसला बनाता है ।
  • कबूतर और गौरेया घरों में भी घोंसला बना लेते हैं । 
  • कोयल अपना घोसला नहीं बनाती है । वह कौए के घोंसले में अण्डे देती है । 
  • फाख्ता झाड़ियों के बीच में अपना घोंसला बनाती है । 
  • मादा – शुतुरमुर्ग जमीन को थोड़ा – सा खोद कर घोंसला बनाती है और अण्डे देती है । 
  • मोरनी या तो झाड़ियों में घोंसला बनाती है या फिर पेड़ों की नीची डालियों पर । 
  • चील सबसे ऊंचे पेड़ पर घोंसला बनाती है । इसका घोंसला चार – पांच फीट चौड़ा होता है । 
  • चील अपने घोंसले का साल – दर – साल प्रयोग करती है ।
  • गिद्ध अपना घोंसला सुनसान पेड़ों पर , खोखलों में , चील के छोड़े हुए घोंसले में , चट्टानों के दरारों में सुनसान जगहों आदि में बनाते हैं ।
  • उल्लू पेड़ के किसी खोखले भाग को ही अपना घोंसला बना लेता है ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — आश्रय क्या है? परिभाषा एवं प्रकार ( Aashray kya hai ) आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । धन्यवाद्…

Read More—