इस पोस्ट में दन्त विन्यास ( Dentition ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – दन्त विन्यास क्या है? ( Dant vinyaas kya hai ), मानव दाँतों की विशेषताएँ, क्षीर तथा स्थाई दांतों के दन्त – सूत्र एवं इसके निकलने की अनुमानित आयु, चलिए आगे जानते है, इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “।
विषय सूची
दन्त विन्यास क्या है? ( What is dentition )
दन्त विन्यास ( Dentition )
परिभाषा ( Definition ) — कशेरुकी जन्तु दांतों से भोजन को चबाने , काटने , कुचलने आदि तथा शत्रुओं से रक्षा करने या शिकार पर हमला करने का काम लेते हैं । निम्नतम् कशेरुकियों ( साइक्लोस्टोम्स ) , उभयचरों के भेकशिशु यानि टैडपोल तथा वयस्क प्लैटिपस में उपचर्म अर्थात् एपिडर्मिस ( epidemis ) से व्युत्पन्न ( derived ) हॉर्नी दन्त पाए जाते हैं । अन्य कशेरुकियों में चर्म यानि डर्मिस ( dermis ) से व्युत्पन्न और जबड़ों की हड्डियों से सम्बन्धित वास्तविक दाँत ( true teeth ) होते हैं । स्तनियों के अतिरिक्त , अधिकांश कशेरुकियों में सभी दाँत एक ही प्रकार के यानि समदन्ती ( homodont ) होते हैं । कुछ मछलियों और अधिकांश स्तनियों में ये विविध कार्यों के अनुसार विभिन्न प्रकार के होते हैं ।
मानव दाँतों की विशेषताएँ ( Characteristics of human teeth )
अन्य स्तनियों की भाँति , मानव दाँतों की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं ;
( 1 ). गर्तदन्ती या थीकोडॉन्ट ( Thecodont )
प्रत्येक दाँत जबड़े की हड्डी के एक गहरे गड्ढे ( alveolus or bony socket ) में स्थित होता है । गड्ढे में हड्डी पर तिरछे व घने तन्तुओं का बना परिदन्तीय स्नायु ( periodontal ligament or membrane ) आच्छादित होता है । यह दाँत को गड्ढे में दृढ़तापूर्वक साधे रखता है और भोजन को चबाते समय दाँत के दबाव को सहता है । हड्डी के ऊपर कोमल मसूड़ा ( gum or gingiva ) होता है । निचले जबड़े के सभी दाँत डेन्टरी हड्डियों में तथा ऊपरी जबड़े के कृन्तक दन्त प्रीमैक्सिली हड्डियों में तथा अन्य दाँत मैक्सिली हड्डियों में होते हैं ।
( 2 ). द्विदन्ती या डाइफियोडॉन्ट ( Diphyodont )
मनुष्य सहित अधिकांश वयस्क स्तनियों में , चर्वण यानि मोलर दन्तों के अतिरिक्त , अन्य दाँत जीवन में दो बार निकलते हैं । पहले ये अस्थाई ( deciduous ) दूधिया या क्षीर दन्तों ( milk or lacteal or primary teeth ) के रूप में निकलते हैं । कुछ समय बाद क्षीर दन्तों में गोर्द ( pulp ) समाप्त हो जाता है तथा जड़ों को अस्थिभंजक ( osteoclast ) कोशिकाएँ नष्ट कर देती हैं । अतः ये दाँत गिर जाते हैं । जैसे – जैसे क्षीर दन्त गिरते हैं , इनके स्थान पर नए स्थाई यानि द्वितीयक दन्त ( permanent or secondary teeth ) निकल आते हैं । कशेरुकियों में दाँत जीवनभर निकल सकते हैं , यानि बहुदन्ती ( polyphyodont teeth ) होते हैं । स्लोवों ( aloths ) , दन्तयुक्त खेलों ( whales ) तथा कुछ अन्य स्तनियों में दाँत केवल एक ही बार निकलते हैं , यानि एकदन्तीय ( monophyodont ) होते हैं ।
( 3 ). विषमवन्ती या हिटरोडोन्ट ( Heterodont )
कार्यों के अनुसार , दाँतों का विभिन्न आकृतियों में विभेदित होना विषमदन्ती या हिटरोडोन्ट अवस्था कहलाती है ।
मनुष्य सहित स्तनियों में आदर्श रूप से 4 प्रकार के दाँत होते हैं — कृन्तक ( incisors ) , रदनक ( canines ) , प्रचर्वण ( premolars ) तथा चर्वण ( molars ) ।
मनुष्य के दांत ( Human dentition )
अन्य दूसरे स्तनियों की जैसे हमारे दाँत भी गर्तदन्ती, द्विदंती और विषमदंती ( चार प्रकार ) के होते हैं । हमारी दाँतों की रेखाएं U आकार की होती हैं । प्रीमैक्सिली हड्डियों के कारण ऊपरी जबड़े के सारे दाँत मैक्सिली हड्डियों में होते हैं ।
क्षीर तथा स्थाई दांतों के दन्त – सूत्र ( Dental teeth of alkaline and permanent teeth )
हमारे क्षीर तथा स्थाई दांतों के दन्त – सूत्र निम्नलिखित होते हैं ;
क्षीर दन्त —
ऊपरी जबड़े के प्रत्येक अर्ध भाग में / निचले जबड़े के प्रत्येक अर्ध भाग में → i2/2, c1/1, pm0/0, m2/2 = 5/5 = 10×2 = 20
स्थाई दन्त —
ऊपरी जबड़े के प्रत्येक अर्ध भाग में / निचले जबड़े के प्रत्येक अर्ध भाग में → i2/2, c1/1, pm2/2, m3/3 = 8/8 = 16×2 = 32
( i = incisors ; c = canines ; pm = premolars : m = molars )
उपर्युक्त दन्त – सूत्रों से स्पष्ट है, कि ;
क्षीर दन्तों में — 8 कृन्तक , 4 रदनक तथा 8 चर्वण दन्त होते हैं ।
ये सामान्यतः 6 महीने से लेकर 3 वर्ष की आयु तक निकलते और फिर 6 से 12 वर्ष की आयु तक गिर जाते हैं ।
स्थाई दन्तों में — 8 कृन्तक , 4 रदनक , 8 प्रचर्वण तथा 12 चर्वण दन्त होते हैं । क्षीर दन्त समूह के कृन्तक तथा रदनक दत्त स्थाई दन्त समूह के कृन्तक और रदनक दन्तों के अनुरूप होते हैं , परन्तु धीर दन्त समूह के चर्वण दन्तों के स्थान पर स्थाई दन्त समूह के प्रचर्वण दाँत निकलते हैं ।
इस प्रकार , हमारे 12 स्थाई चर्वण दन्त एकदन्तीय ( monophyodont ) होते हैं ।
दाँतों का स्फुटन ( Eruption of Teeth )
हमारे दाँतों में निचले जबड़े के अधिकांश दाँत ऊपरी जबड़े के समान दाँतों से पहले निकलते हैं ।
क्षीर एवं स्थाई दाँतों के निकलने की अनुमानित आयु ( Estimated age of decay and permanent teeth )
क्षीर एवं स्थाई दाँतों के निकलने की अनुमानित आयु निम्नलिखित तालिका में है ;
क्षीर दन्त | स्फुटन की आयु ( महीनों में ) | स्थाई दन्त | स्फुटन की आयु ( वर्षों में ) |
निचले मध्यवती कृन्तक | 6 से 10 | प्रथम चवर्ण | 6 से 7 |
ऊपरी मध्यवर्ती कृन्तक | 8 से 12 | ऊपरी मध्यवर्ती एवं निचले कृन्तक | 7 से 8 |
प्रथम चवर्ण | 13 से 19 | ऊपरी पार्श्व कृन्तक | 8 से 9 |
निचले पार्श्व कृन्तक | 10 से 16 | प्रथम प्रचर्वण तथा निचले रदनक | 9 से 10 |
ऊपरी पार्श्व कृन्तक | 9 से 13 | ऊपरी द्वितीय चर्वण | 10 से 12 |
रदनक | 16 से 22 | ऊपरी रदनक तथा निचला द्वितीय प्रचर्वण | 11 से 12 |
द्वितीय चर्वण | 25 से 33 | निचला द्वितीय चर्वण | 12 से 13 |
ऊपरी द्वितीय चर्वण | 12 से 13 | ||
तृतीय चर्वण ( अक्कल दाढ़ ) | 17 से 21 |
दाँतों के बाह्य लक्षण ( External Characters of Teeth )
( i ). हमारे कृन्तक यानि छेदक दन्तों ( incisors – 8 ) का शिखर ठोस भोजन सामग्री को काटने और कुतरने के लिए पैनी कगार ( sharp edge ) के रूप में होता है ।
( ii ). रदनक दन्तों Ccamines – 4 ) का शिखर भोजन को चीरने – फाड़ने के लिए पैना और नुकीला – सा होता है ।
( iii ). प्रचर्वण ( premolars – 8 ) तथा चर्वण ( molars – 12 ) दन्तों के शिखर चपटे होते हैं और इन पर भोजन को चबाने एवं पीसने के लिए क्रमशः दो – दो तथा तीन – तीन स्पष्ट उभार होते हैं जिन्हें दन्ताग्र ( cusps ) कहते हैं ।
इसके अनुसार , प्रचर्वण दन्तों को द्विदन्ताग्रीय ( bicuspid ) तथा चर्वण दन्तों को त्रिदन्ताग्रीय ( tricuspid ) दन्त कहते हैं । तीसरे चर्वण दन्त ( 4 ) सबसे बाद में , प्रायः 17 से 21 वर्ष की आयु यानि वयस्क अवस्था में निकलते हैं । इन्हीं को अक्कल दाढ़ ( wisdom teeth ) कहा जाता है ।
दाँतों की स्थूल एवं सूक्ष्म संरचना ( Gross Structure and Ultrastructure of Teeth )
हमारे चार विभिन्न श्रेणियों के दाँतों की आकृतियों , माप तथा कार्यों में विभिन्नताएँ होती हैं , लेकिन स्थूल एवं सूक्ष्म संरचना में सभी दाँत समान होते हैं ।
प्रत्येक दाँत तीन भागों में विभेदित होता है — शिखर ( crown ) , ग्रीवा ( neck ) एवं जड़ ( root ) ।
शिखर भाग मसूड़ों से बाहर निकला रहता है । जड़ जबड़े की हड्डी के गड्ढे में रहती है । ग्रीवा मसूड़े में स्थित भाग को कहते हैं । प्रचर्वण एवं चर्वण दन्तों में प्रायः दो या तीन जड़ें होती हैं । दाँतों की जड़ों और जबड़ों की हड्डियों के बीच महीन व पेशीय परिदन्तीय स्नायु ( periodontal ligament ) होता है । दाँत के शिखर पर अत्यधिक कठोर , सफेद से एवं चमकीले इनेमल ( enamel ) का मोटा आवरण होता है । पूर्ण शरीर में इनेमल सबसे कठोर पदार्थ होता है । यह मुख्यतः कैल्सियम फॉस्फेट तथा कैल्सियम कार्बोनेट का बना होता है । फौलाद से टकराने पर इसमें से चिन्गारी निकलती है ।
दाँत के शेष भाग पर , इनेमल के बजाय , सीमेन्टम् ( cementum ) नामक पीले से और हड्डी से भी अधिक कठोर पदार्थ का महीन आवरण होता है । इस आवरण तथा इनेमल के नीचे , पूरा दाँत मुख्यतः कैल्सियमयुक्त डेन्टीन ( dentine or ivory ) नामक कठोर , परन्तु लचीले पदार्थ का बना होता है । इसके भीतर इसी स्तर से घिरी दाँत की गुहा होती है । इसे गोर्द गुहा ( pulp cavity ) कहते हैं । डेन्टीन की पूरी मोटाई में फैली अनेक महीन एवं शाखान्वित क्षैतिज नलिकाएँ ( canaliculi ) होती हैं ।
गोर्द गुहा जड़ के आधार सिरे पर एक छिद्र द्वारा खुलती है । इसमें भरे गाढ़े संयोजी ऊतक को गोर्द ( pulp ) कहते हैं । इसमें अनेक रुधिर – केशिकाओं तथा तन्त्रिका तन्तुओं का जाल होता है । गोर्द गुहा के चारों ओर शाखान्वित दन्त कोशिकाओं का एक स्तर होता है । इन कोशिकाओं को ओडोन्टोब्लास्ट्स ( odonloblasts ) कहते हैं । इनके प्रवर्ध डेन्टीन की नलिकाओं में फैले रहते हैं । गोर्द की रुधिर केशिकाओं से उपयुक्त पोषक पदार्थ और O2 ग्रहण करके ये कोशिकाएँ डेन्टीन का निरन्तर स्रावण करती रहती हैं जिससे दाँत में वृद्धि होती है । इनेमल की उत्पत्ति भ्रूणीय एक्टोडर्म की ऐमीलोब्लास्ट ( ameloblast ) नामक कोशिकाओं से , लेकिन दाँतों के शेष भाग की मीसोडर्मी कोशिकाओं से होती है ।
तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — दन्त विन्यास क्या है?, मानव दाँतों की विशेषताएँ, क्षीर तथा स्थाई दांतों के दन्त – सूत्र एवं इसके निकलने की अनुमानित आयु, आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें, हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद्…]
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