इस लेख में लार और लार ग्रन्थियाँ ( Saliva and salivary glands ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी, तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “।
विषय सूची
लार और लार ग्रन्थियाँ? ( Saliva and salivary glands )
परिभाषा ( Definition ) — लार एक जल – सदृश सीरमी तरल ( serous fluid ) तथा एक चिपचिपे श्लेष्म ( mucous ) का मिश्रण होती है । हमारी मुखगुहिका लार के कारण ही सदा गीली बनी रहती है । लार दाँतों , जिह्वा तथा मुखगुहिका की सफाई करती रहती है । भोजन करते समय लार की मात्रा बढ़ जाती है और यह भोजन को चिकनाहट देती है , साथ ही इसे घुलाती और इसके रासायनिक विबन्धन को प्रारम्भ करती है ।
लार ग्रन्थियाँ ( Salivary Glands )
यह दो प्रकार की लार ग्रन्थियों द्वारा स्रावित होती है ;
( A ) लघु या सहायक लार ग्रन्थियाँ ( Small or helpful salivary glands )
ये होंठों , कपोलों , तालु तथा जिह्वा पर ढकी श्लेष्मिका ( mucosa ) में उपस्थित अनेक छोटी – छोटी सीरमी तथा श्लेष्मिक ग्रन्थियाँ होती हैं जो श्लैष्मिक कला को नरम बनाए रखने के लिए लार की थोड़ी – थोड़ी मात्रा का सीधे मुखगुहा में हमेशा स्रावण करती रहती हैं ।
( B ) प्रधान लार ग्रन्थियाँ ( Major salivary glands )
लार की अधिकतर मात्रा का स्त्रावण तीन जोड़ी बड़ी लार ग्रन्थियाँ करती हैं । जो मुखगुहिका के बाहर स्थित होती हैं , लेकिन अपनी वाहिकाओं ( ducts ) द्वारा अपने स्त्रावित तरल को मुखगुहा में छोड़ती हैं । ये ग्रन्थियाँ बहुकोशिकीय एवं पिण्डकीय ( lobulated ) होती हैं तथा मुखगुहिका की श्लेष्मिका की एपिथीलियम के वलन से बनती हैं ।

ये निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं ;
( 1 ). अघोजिह्वा या सबलिंग्वल ग्रन्थियाँ ( Sub – lingual Glands )
ये मुखगुहा के अगले भाग में इसके तल की श्लेष्मिका के नीचे स्थित सबसे छोटी एवं संकरी ग्रंथियां होती हैं जो श्लेष्म का स्रावण करती हैं । हर एक ग्रन्थि से कई महीन वाहिनियाँ निकलकर जिह्वा संधायक ( frenulum linguae ) के पास खुलती हैं
( 2 ). कर्णमूल या पैरोटिड ग्रन्थियाँ ( Parotid Glands )
ये कपोलों में , कर्णपल्लवों के नीचे और आगे की ओर स्थित पीली – सी एवं चपटी , सबसे बड़ी लार ग्रंथियां होती हैं । हर एक की लम्बी एवं मोटी वाहिनी को स्टेन्सन्स नलिका ( Stenson’s duct ) कहते हैं । यह अपनी ओर के द्वितीय ऊपरी चर्वण ( Molar ) दन्त के सामने बेस्टीब्यूल में एक अंकुर पर खुलती है । ये ग्रन्थियां मुख्यतः एक जलीय यानि सीरमी तरल का स्रावण करती हैं । मनुष्य में मुख्यतः बच्चों में , गलसुआ ( mumps ) नाम का रोग एक वाइरस के संक्रमण के कारण इन्हीं ग्रन्थियों के फूल जाने से होता है ।
( 3 ). अधोहनु या सबमैन्डिबुलर ग्रन्थियाँ ( Submandibular Glands )
ये निचले जबड़े के पीछे की भाग में जिह्वा की जड़ के इधर – उधर श्लेष्म का स्रावण करने वाली मध्यम माप की लार ग्रन्थियाँ होती हैं । इनकी लम्बी वाहिनियां व्हारटन्स नलिकाएँ वाहिनियां ( Wharton’s ducts ) कहलाती है । ये अपनी – अपनी ओर के निचले कृन्तक ( incisor ) दन्तों के पीछे , जिह्वा संधायक के इधर – उधर खुलती हैं ।
तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — लार और लार ग्रन्थियाँ ( Saliva and salivary glands ) आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद्…]
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