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विविधता में क्रमवद्धता ( Vividhata mein kramavaddhata )

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इस लेख में विविधता ( Diversity ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – विविधता में क्रमवद्धता ( Vividhata mein kramavaddhata ) आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

जीवों की विविधता में क्रमवद्धता ( Order in diversity of living beings ) 

जीवों की इतनी बड़ी संख्या और विविधता के कारण सीधी नजर में देखे तो हमारी पृथ्वी का जीव – जगत् विभिन्न प्रकार के जीवों से भरा एक अस्त – व्यस्त कबाड़खाना सा लगता है । हाँ ! लेकिन यदि ध्यानपूर्वक देखें तो इतनी विभिन्नता होने पर भी जीव – जगत् बहुत ही क्रमबद्ध और व्यवस्थित दिखाई देगा । यहाँ तक कि , आपस के सम्बन्ध में समानताओं और असमानताओं के आधार पर तुलनात्मक विभाजन करके , सभी जीव – जातियों को हम कई छोटे – बड़े समूहों या टैक्सा में भी बाँट सकते हैं । 

उदाहरण के लिए — मछलियाँ कई प्रकार की होती हैं , लेकिन इन सबकी रचना और कार्यिकी में इतनी समानताएँ होती है कि इनका एक ही समूह – पिसीज ( pisces ) बनाया गया है । 

इसी प्रकार , चूहे , बिल्ली , गाय , बन्दर , मनुष्य , आदि परस्पर एक दूसरे से बहुत अलग होते हैं । लेकिन इन सभी में स्तन और बाल होते हैं । इसलिए इन्को भी एक ही समूह , स्तनी – मैमेलिया ( mammalia ) में रखते हैं । रचना में ऐसी समानताओं को समजातता ( homology ) कहते हैं । 

यदि ध्यान से देखें तो पता चलेगा कि मछली , मेंढक , छिपकली , पक्षी , मनुष्य , आदि की रचना में , विभिन्नताओं के साथ – साथ , कुछ महत्त्वपूर्ण समानताएँ भी होती हैं जैसे कि इन सबके शरीर में कंकाल का ढाँचा होता है । अतः इन्हें एक बड़े समूह , कशेरुकी यानी वर्टीब्रटा ( Vertebrata ) में रखा जाता है ।

तो इस तरह से जीव जगत में विविधता में क्रमबद्धता होता है ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — विविधता में क्रमवद्धता ( Vividhata mein kramavaddhata ) आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद्…]

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