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पर्यावरण संरक्षण क्या है? ( Paryaavaran sanrakshan kya hai )

इस आर्टिकल में पर्यावरण संरक्षण ( Invironment Protection ) से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – पर्यावरण संरक्षण क्या है? ( Paryaavaran sanrakshan kya hai ) , संरक्षण की समस्या , बिधियाँ एवं महत्व आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

विषय सूची

पर्यावरण संरक्षण क्या है? ( What is environment protection )

परिभाषा ( Definition ) — पर्यावरण शब्द निर्माण परि+आवरण ‘ शब्द से मिलकर बना है। जिसमे ‘परि’ का अर्थ होता है ‘ चारों ओर ‘ तथा ‘ आवरण ‘ का अर्थ होता है ‘ परिवेश ‘। अगर हम पर्यावरण को दूसरे रूप में कहें तो पर्यावरण वनस्पतियों , प्राणियों,और मानव जाति सहित सभी सजीवों और सभी भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं ।

पर्यावरण में हवा ,पानी ,भूमि ,पेड़-पौधे, जीव-जन्तु , मनुष्य और इनके विभिन्न गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं। पर्यावरण को बचाना आज के समय सबसे बड़ी समस्या है । पर्यावरण को बचाना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए । लेकिन पर्यावरण संरक्षण की समस्या बहुत बड़ी है ।

पर्यावरण संरक्षण की समस्या ( Environmental protection problem )

मनुष्य पर्यावरण को दिन प्रतिदिन नुकसान पहुंचा रहा है । विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण आज का मनुष्य, प्रकृति पर पूरी तरह से विजयी होना चाहता है। इसी के कारण प्रकृति का संतुलन दिन प्रतिदिन खराब होता जा रहा है।

दूसरी ओर धरती पर जनसंख्या की निरंतर असीमित वृद्धि , औद्योगिको के जहरीले केमिकल युक्त पानी को बिना वाटर ट्रीटमेंट के नदियों और समुद्रों में छोड़ा जा रहा है और इनसे निकले जहरीले गैसों को हवा में । और हर दिन गाड़ियों कि वृद्धि हो रही है जिसके कारण इनसे निकले धुएं प्रर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है ।

तेज गति से शहरों को वृद्धि ही रही है । जिसके कारण प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को खतम किया जा रहा है । और इन शहरों से निकले गंदे , केमिकल युक्त पानियों को नालो के सहारे नदियों में बिना वाटर ट्रीटमेंट के छोड़ा जा रहा है । 

पर्यावरण का महत्त्व (Importance of environment )

सभी प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के सभी प्राकृतिक परिवेश से पर्यावरण का घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रदूषण के कारण पूरी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है जिसके कारण भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है । इसलिए पर्यावरण के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है, नहीं तो मंगल ग्रह जैसे आदि ग्रहों की तरह ही धरती का भी जीवन – चक्र खतम हो जायेगा ।

पर्यावरण संरक्षण के विधियां ( Methods of environmental protection )

इसके संरक्षण नहीं होने से कुछ बड़ी दुष्प्रभाव हैं, जो बहुत ही घातक हैं । जैसे कि आणविक विस्फोटों से रेडियोधर्मिता का आनुवांशिक प्रभाव, वायुमण्डल का तापमान बढ़ना , ओजोन परत की हानि , भूक्षरण आदि घातक दुष्प्रभाव हैं । प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव के रूप में जल , वायु तथा परिवेश का दूषित होना एवं वनस्पतियों का खतम होना , मानव को अनेक नये नए रोगों से पीड़ित होना आदि देखे जा रहे हैं ।

बड़े कारखानों से विषैला अपशिष्ट बाहर निकलने से तथा प्लास्टिक आदि के कचरे से प्रदूषण की मात्रा हमेशा बढ़ती जा रही है । जिसे रोकना जरूरी है । अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हमें सबसे पहले अपनी मुख्य जरूरत को प्रदूषण से बचाना होगा।

जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि तीनों ही हमारे व हमारे फूल जैसे बच्चों के स्वास्थ्य को चौपट कर रहे हैं। ऋतुचक्र का परिवर्तन, कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा का बढ़ता हिमखंड को पिघला रहा है। सुनामी, बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि या अनावृष्टि जैसे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, जिन्हें देखते हुए अपने बेहतर कल के लिए ‘5 जून’ को समस्त विश्व में ‘पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है।

( 1 ). जल प्रदूषण को रोकना ( Prevent water pollutions )

कहा जाता है कि ” जल ही जीवन ( Water is life ) “ है । लेकिन आज के समय में यह कथन किसी के भी दिमाग में नहीं है । लोग इसे गलत साबित करने में लगे हैं । उन्हें यही सही लगता है कि ‘ जल प्रदूषण ही जीवन ‘ है । मनुष्य को जरा सा भी यह एहसास नहीं है । कि वह जिस पानी को जहरीला बना रहा है वहीं पानी उसका ” जीवन “ है ।

कहते है न कि हम भोजन के बिना कुछ दिन तक जिंदा रह सकते है लेकिन पानी के बिना नहीं और यह बात सही भी है । इसलिए जल को संरक्षित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए । जिससे कि जल को प्रदूषण होने से बचाया जा सके ।

जल प्रदूषण को रोकने के लिए कल – कारखानों का गंदा पानी , घरों का गंदा पानी , सीवर लाइन का गंदा पानी , नालियों में प्रवाहित मल आदि को नदियों और समुद्र में गिरने से रोकना होगा । उद्योगों के पानी में हानिकारक केमिकल घुले रहते हैं । जो नदियों और समुद्रों के जल को जहरीला कर देते हैं, जिसके कारण जल में रहने वाले जीवों के जीवन पर संकट का सामना करना पड़ता है । 

दूसरी ओर हम देखते हैं कि , उसी प्रदूषित पानी से हम अपने खेतों के सिंचाई करते हैं जिससे उपजाऊ मिट्टी भी विषैली यानि जहरीली हो जाती है । उसमें उगने वाली फसल और सब्जियां में पौष्टिक तत्व नहीं रह पाता हैं । और हमें इसे खाने से जहरीला रसायन हमारे शरीर में पहुंच कर खून को विषैला बना देते हैं । 

हमारा कहने का मतलब यह है कि यदि हम अपने आने वाले कल को स्वस्थ देखना चाहते हैं तो जरूरी है कि बच्चों को पर्यावरण की सुरक्षा का ज्ञान उन्हें समय – समय पर हम देते रहें । अच्छे व मंहगें ब्रांडेड कपड़े पहनाने से कहीं ज़्यादा जरूरी है उनका स्वास्थ्य , जो हमारा भविष्य व उनकी पूंजी है ।

( 2 ). वायु प्रदूषण को रोकना ( Prevent air pollution )

जल प्रदूषण के साथ साथ वायु प्रदूषण भी मनुष्य के लिए एक चुनौती है । अगर यदि वायु सुद्ध नहीं हो तो हम एक सांस भी नहीं ले सकते हैं । अगर इसी वायु में जहरीले गैस मिलकर इसी तरह से प्रदूषित होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब हम शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण एक सांस के लिए भी तड़पेंगे । इसलिए समय रहते हमे वायु को प्रदूषित होने से रोकना होगा ।

चलो मान लेते है कि मनुष्य आज के समय विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है । लेकिन बड़े – बड़े उद्योगों की चिमनियों से लगातार उठने वाला धुआं, रेल और अनेक प्रकार के डीजल व पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के इंजनों से निकलने वाली गैसें तथा धुआं, जलाने वाला हाइकोक, ए.सी., इन्वर्टर, जेनरेटर आदि से कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड हर क्षण वायुमंडल में मिल रहे हैं । और वायु जहरीली हो गई है । और हर दिन प्रदूषित हो रहा है । इसलिए हमे प्रदूषित होने से रोकना होगा ।

( 3 ). ध्वनि प्रदूषण रोकना ( Prevent noise pollution )

ध्वनि प्रदूषण से हमारे वातावरण को और भी नुकसान पहुंच रहा है । जिसे मनुष्य को ध्यान देना होगा । ध्वनि प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या महानगरों में ही नहीं बल्कि गाँवों में भी है । लोग ध्वनि विस्तारकों का प्रयोग करने लगे हैं । जैसे कि बच्चों के जन्म की खुशी हो या कोई सादी पार्टी सभी में डी.जे. कि जरूरत समझी जाने लगी है । जहां गाँवों को विकसित करके नगरों से जोड़ा गया है ।

वहीं मोटर साइकिल व वाहनों की चिल्लम चिल्लाहट महानगरों के शोर को भी मुँह चिढ़ाती नजर आती है । और औद्योगिक संस्थानों की मशीनों के कोलाहल ने भी ध्वनि प्रदूषण को जन्म दिया है । इससे मनुष्य की श्रवण-शक्ति का ह्रास हो रहा है । और साथ ही ध्वनि प्रदूषण का मस्तिष्क पर भी जानलेवा प्रभाव पड़ता है ।

( 4 ). पेड़ों को काटने से रोकना ( Stop cutting trees )

‘ पौधा लगाने से पहले वह जगह तैयार करना आवश्यक है जहां वह विकसित व बड़ा होगा ’ दूसरे जंगलों व पहाड़ों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए। देखने में जाता है कि पहाड़ों पर रहने वाले लोग कई बार घरेलू ईंधन के लिए जंगलों से लकड़ी काटकर इस्तेमाल करते हैं जिससे पूरे के पूरे जंगल स्वाहा हो जाते हैं।

कहने का तात्पर्य है जो छोटे-छोटे व बहुत कम आबादी वाले गांव हैं उन्हें पहाड़ों पर सड़क, बिजली-पानी जैसे सुविधाएं मुहैया कराने से बेहतर है उन्हें सही जगह पर विस्थापित करें । इससे पहाड़ व जंगल कटान कम होगा, साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा ।

ऊपर दिए गए सभी प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए यदि थोड़ा सा भी सही दिशा में प्रयास करें । तो हम अपने पर्यावरण को समय रहते बचा सकते है । पर्यावरण को बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय एवं रास्ट्रीय स्तर पर कुछ सम्मलेन भी आयोजित किये गयें है जो की निम्नलिखित है ।

अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन ( International conference )

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण सम्बन्धी जो सम्मेलन आयोजित हुए हैं उनमें प्रमुख हैं 

स्टॉकहोम सम्मेलन सन 1972 ( Stackholm conference 1975 )

यह सम्मेलन स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में 5 जून 1972 को आयोजित किया गया था । यह पर्यावरण के संरक्षण के सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह पहला प्रयास था । इस सम्मेलन में सभी के लिए “ एक ही पृथ्वी “ का सिद्धान्त अपनाया गया था । इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ( UNEP – United Nations Environmental Programme ) का जन्म हुआ । इस सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण का संरक्षण एवं उसमें सुधार करना था ।

इस सम्मेलन में यह घोषणा की गई कि प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाएगा । 

पृथ्वी सम्मेलन सन 1992 ( Earth conference 1992 )

यह सम्मेलन ब्राजील की राजधानी रियो डि जेनेरियो में 3 जून 1992 को आयोजित किया गया था । इस सम्मेलन में पर्यावरण और विकास पर एक दस्तावेज जारी किया गया था जिसे एजेण्डा -21 के नाम से जाना जाता है । 

भारत में पर्यावरण संरक्षण ( Environment protection in india )

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम सन 1986 

यह अधिनियम 1972 में हुए मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की घोषणा को लागू करने के लिए पारित किया गया था । यह अधिनियम 19 नवम्बर 1986 से लागू किया गया । इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण एवं सुधार के लिए योजना तैयार करना था । 

पर्यावरण सम्बन्धी प्रमुख आंदोलन ( Major environmental movement )

( 1 ). चिपको आंदोलन सन 1973 

इस आंदोलन की शुरूआत 1973 में आज के उत्तराखण्ड के गोपेश्वर शहर के रेनी नामक गाँव से हुई थी । इस आंदोलन के नेता थे सुन्दर लाल बहुगुणा । इस आंदोलन में महिलाएँ पेड़ों से चिपक कर उनकी रक्षा करती थीं । आज से लगभग तीन सौ साल पहले राजस्थान के जोधपुर शहर के खेजड़ली नामक गाँव में खेजड़ी वृक्षों की रक्षा करते हुए अमृता देवी बिश्नोई ने अपनी जान दे दी थी । 

( 2 ). अप्पिको आंदोलन सन 1983 

यह चिपको आंदोलन का ही रूप था जिसकी शुरूआत कर्नाटक में हुई थी । इस आंदोलन के नेता थे पाण्डुरंग हेगड़े

( 3 ). नर्मदा आंदोलन सन 1989 

इस आंदोलन की शुरूआत नर्मदा नदी पर बन रहे बाँध के विरोध में हुई । इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे बाबा आम्टे , और मेधा पाटेकर । 

पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी पुरस्कार ( Environmental protection awards )

( 1 ). इन्दिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार इसकी शुरूआत 1987 में हुई । यह किसी संगठन या व्यक्ति विशेष को पर्यावरण के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए दिया जाता है ।
( 2 ). राजीव गाँधी पर्यावरण पुरस्कार इसकी शुरूआत 1993 में हुई । यह उन औद्योगिक संस्थानों एवं इकाइयों कोदिया जाता है , जो पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी योजनाओं को लागू करते हैं ।

पर्यावरण संबंधी दिवस ( Environmental day )

  1. पृथ्वी दिवस : 22 अप्रैल 
  2. जैविक विविधता दिवस : 22 मई 
  3. विस्व पर्यावरण दिवस : 5 जून 
  4. विश्व प्रकृति दिवस : 3 अक्टूबर 
  5. विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस : 26 नवम्बर 

पर्यावरण संबंधी सप्ताह एवं महिना ( Environmental week and month )

  1. वन महोत्सव : फरवरी एवं जुलाई का प्रथम सप्ताह 
  2. वन्य जीव सप्ताह : 1 से 7 अक्टूबर 
  3. राष्ट्रीय पर्यावरण जागरूकता माह : 19 अक्टूबर से 18 नवम्बर 
  4. विश्व में पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य करने वाली संस्था है  — WWF ( वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर )

तो दोस्तों आशा करता हूँ की इस आर्टिकल में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — पर्यावरण संरक्षण क्या है? ( What is environment protection ) , संरक्षण की समस्या , बिधियाँ एवं महत्व आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । धन्यवाद्…

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