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संतुलित आहार किसे कहते हैं? ( Santulit aahaar kise kahate hain )

इस लेख में संतुलित आहार ( Balanced diet ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – संतुलित आहार किसे कहते हैं? ( Santulit aahaar kise kahate hain ), लाभ, आहार के तत्व, आहार का संरक्षण, क्षेत्रीय व्यंजन, बीमारियां आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

संतुलित आहार किसे कहते हैं? ( What is a balanced diet )

परिभाषा ( Definition ) वह आहार / भोजन जिसमें सभी पोषक / घटक सही मात्रा में , जितनी एक आयु वर्ग के मनुष्य को चाहिए वह उपलब्ध हों तो उस आहार को संतुलित आहार कहते हैं । केवल एक जैसे खाना खाने से सभी पोषक तत्व नहीं मिलते हैं । इसलिए हमें अलग – अलग तरह के खाद्य पदार्थ खाने चाहिए । ऐसा नहीं है कि हमें केवल महँगी खाने – पीने की चीजों से ही संतुलित भोजन मिलता है । सस्ती खाने – पीने की चीजों से भी हम संतुलित भोजन प्राप्त कर सकते हैं । 

संतुलित आहार के लाभ ( Benefits of balanced diet )

  1. संतुलित आहार से प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं ।
  2. संतुलित आहार रोगों से लड़ने में मजबूती प्रदान करता है ।
  3. स्वास्थ्य आहार से शरीर का संपूर्ण विकास होता है ।
  4. संतुलित आहार विभिन्न प्रकार के बीमारियों जैसे – मोटापा, मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग आदि से जुड़ी स्थितियों में हमें बचाता है ।
  5. संतुलित आहार से वजन नियंत्रित रहता है ।
  6. संतुलित आहार से हमारे शरीर को सभी पोषक तत्व मिलते हैं ।
  7. संतुलित आहार हमारे शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है ।
  8. संतुलित आहार हमारे शरीर में नई कोशिकाओं को बनाता है ।
Note – मिड डे मिल 

भारत में लगभग सभी बच्चों को संतुलित आहार नहीं मिल पाता है । खास करके गरीब बच्चों को । इसलिए सरकार ने प्राइमरी और उच्च प्राइमरी स्तर तक के उन सभी बच्चों को जो सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं , उन्हें मुफ्त में संतुलित भोजन देने का निर्णय 2001 में किया था । लेकिन इस निर्णय को 2004 में लागू किया गया । इस तरह 2004 में पूरे भारत के सभी सरकारी स्कूलों में ‘ मिड डे मील ‘ योजना की शुरूआत किया गया । इस योजना के तहत सरकारी स्कूल में उच्च प्राइमरी स्तर तक पढ़ने वाले सभी बच्चों को दोपहर में मुफ्त संतुलित भोजन दिया जाता है । इस तरह से सभी बच्चों को खासकर गरीब बच्चों को जो संतुलित भोजन से वंचित रहते थे उन्हे संतुलित भोजन मिलना शुरू हुआ ।

संतुलित आहार के तत्व ( Elements of a balanced diet )

( 1 ). विटामिन और खनिज ( vitamins and minerals )

फल और सब्जियां विटामिंस और खनिज तत्वों का प्रमुख स्रोत है । जैसे कि – फल और सब्जियां , पत्तेदार सब्जियां , ब्रोकली , पालक , बींस , सलाद आदि ।

( 2 ). प्रोटींस ( Proteins )

प्रोटीन हमारे शरीर में कोशिकाओं को बनाए रखने और नई कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है जैसे कि – दाल, चना, मटर, शेम, मूंगफली, दूध, अंडे आदि में पाया जाता है ।

( 3 ). कार्बोहाइड्रेटस ( Carbohydrate )

कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का मुख्य स्रोत है कार्बोहाइड्रेट लगभग सभी अनाजों में पाया जाता है जैसे कि – ब्राउन, चावल, गेहूं, रागी, ज्वार, बाजरा, दलिया, आलू आदि ।

( 4 ). वसा ( Fat )

वसा ऊर्जा और विटामिन प्रदान करता है और हार्मोन को संश्लेषित रखता है वसा तीन प्रकार के होते हैं, जैसे कि —

  1. पॉलीअनसैचुरेटेड, जैसे – अखरोट, फ्लेक्स सिड आदि ।
  2. मोनोअनसैचुरेटेड, जैसे – जैतून का तेल आदि ।
  3. ओमेगा 3 फैटी एसिड, जैसे – मछली का तेल , अखरोट आदि ।
Note — वनस्पति तेल खाना पकाने में उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है । जैसे कि सूरजमुखी का तेल , सोयाबीन का तेल , जैतून का तेल , मूंगफली का तेल , बादाम का तेल , नारियल का तेल आदि ।

आहार का संरक्षण ( Food preservation )

खाने – पीने की चीजे जल्दी खराब हो जाती हैं इसलिए उन्हें खराब होने से बचाना जरूरी है जिससे कि उनका लम्बे समय तक उपयोग किया जा सके । कभी – कभी हम उन चीजों को बचा कर रखते हैं , जिन्हें हम अधिक – समय तक उपयोग कर सकें । 

  • फल , सब्जियों के लिए रेफ्रिजरेटर का प्रयोग किया जाता है ।
  • आलू , प्याज , लहसुन को नमी से बचाकर खुले में रखा जाता है । 
  • पत्तेदार सब्जियाँ , जैसे – पालक , हरा धनिया या साग को रेफ्रिजरेटर या गीले कपड़े में लपेटकर रखा जा सकता है । 
  • आम , आँवला , मिर्च , लहसुन आदि को अचार के रूप में लम्बे समय तक बचा कर रखते हैं । 
  • आँवला , सेब आदि को मुरब्बे के रूप में भी लम्बे समय तक बचा कर रखते हैं ।
  • आम , मिर्च , धनिया आदि को चटनी बना कर कुछ दिनों तक बचा कर रखते हैं ।
  • मेथी , आलू के चिप्स आदि को सुखाकर रखते हैं ।
  • चना , मूंगफली आदि को भून कर रखते हैं ।
  • टमाटर , सेब आदि को जैम या सॉस के रूप में संरक्षित करके रखा जाता है ।
  • दूध को उबाल कर रखा जाता है ताकि वह जल्दी खराब न हो ।
Note — थैली वाला दूध पाश्चुरीकृत दूध होता है । दूध को 62.8 ° C पर 30 मिनट के लिए या 71.7 ° C पर 30 सेंकड के लिए उबालकर और ठण्डा कर के थैलियों में पैक कर दिया जाता है , जिससे वह जल्दी खराब नहीं होता है । इस विधि की खोज लुई पाश्चर ने की थी

भारत के क्षेत्रीय व्यंजन ( Regional dishes of india )

जिस तरह हम एक ही तरह का खाना नहीं खाते हैं उसी तरह हर जगह एक ही तरह के चीजे नहीं खाई जाती हैं । अलग – अलग क्षेत्रों के अलग – अलग व्यंजन होते हैं । किसी भी क्षेत्र का खान – पान वहां पर उपलब्ध खाद्य सामग्री और लोगो पर निर्भर करता है ;

कुछ राज्यों के विशेष व्यंजन / खाद्य पदार्थ 

क्रo संo राज्य व्यंजन / खाद्य पदार्थ
1. असम  मसोर टेंगा ( मछली ) , बाँस , चावल गोवा 
2. राजस्थान मलाई घेवर , चूरमा – बाटी 
3. पश्चिम बंगाल  दाब छिनगरी ( झींगा ) , रसगुल्ला , सन्देश 
4. गुजरात ढोकला , खांडवी , लेमन राईस 
5. नागालैंड बाँस के कोपल , मोमोज
6. पजाब सरसों का साग , मक्के की रोटी 
7. महाराष्ट्र शाक-पूरी बड़ा पाव पाव भाजी
8. गोवा मछली ( नारियल के तेल में बनी ) 
9. जम्मू और कश्मीर तबक माज ( भेड़ का माँस ) , कलाडी पनीर , राजमा , कहवा
10. केरल अवियल ( मिश्रित सब्जी ) , टैपियोका 

बीमारियां ( Diseases )

खराब आहार खाने से , दूषित जल से , गंदगी से या जीव जन्तुओं के काटने से हमारे शरीर में कीटाणु ( जीवाणु , विषाणु , प्रोटोजोआ , फफूंद ) आदि चले जाते हैं , और हमें बीमार कर देते हैं । 

( 1 ). जीवाणु जनित रोग ( Bacterial disease )

ये रोग जीवाणुओं के द्वारा फैलते हैं । ये रोग हैं — डिप्थीरिया , काली खाँसी , नीमोनिया , प्लेग ( काली मौत ) , तपेदिक ( टीबी ) , हैजा ( कॉलरा ) , कोढ़ ( कुष्ठ रोग ) , आंत्र ज्वर ( मियादी बुखार ) , आंत्र ज्वर ( टायफाइड ) , घनुषटंकार ( टिटनस ) आदि ।

( 2 ). विषाणु जनित रोग ( viral disease )

ये विषाणुओं से फैलते हैं । ये रोग हैं — पीलिया , छोटी माता , चेचक , एड्स , फ्लू , खसरा , रेबीज , गलसुआ , डेंगू , पोलियो , चिकनगुनिया आदि ।

( 3 ). प्रोटोजोआ जनित रोग ( Protozoan disease )

ये रोग प्रोटोजोआओं से फैलते हैं । ये रोग हैं — पेचिश ( डायरिया ) , मलेरिया , पायरिया आदि ।

( 4 ). फफूंद ( कवक ) जनित रोग ( Fungal disease )

ये फफूंदों से फैलते हैं । ये रोग हैं — दाद , खाज , खुजली , अस्थमा आदि ।

( 5 ). अभावजन्य रोग ( Scarcity disease )

ये रोग विटामिन की कमी से होते हैं । विटामिन 6 प्रकार के होते हैं — A , B , C , D , E , K आदि के कमी से क्रमशः रतौंधी , बेरी-बेरी , स्कर्वी , रिकेट्स , आस्टेमेलेशिया , रक्त का थक्का नहीं जमना आदि रोग होते हैं ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — संतुलित आहार किसे कहते हैं? ( Santulit aahaar kise kahate hain ), लाभ, आहार के तत्व, आहार का संरक्षण, क्षेत्रीय व्यंजन, बीमारियां आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद्…]

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