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सजीव किसे कहते हैं? ( What is livings )
परिभाषा ( Definition ) — हम अपने आस – पास बहुत – सी वस्तुओं को देखते हैं । जैसे – जानवर , वृक्ष , बस , कीड़े – मकोड़े , पक्षी , बादल , ट्रक , इत्यादि । इनमें से बहुत सी वस्तुएँ सजीव हैं और बहुत सी वस्तुएँ निर्जीव है । जैसे कि – जानवर , वृक्ष , कीड़े – मकोड़े , इत्यादि सजीव वस्तुएँ हैं और बस , बादल , ट्रक इत्यादि निर्जीव वस्तुएँ हैं । लेकिन यह तो हमें पता है कि, जानवर , मनुष्य , पेड़ – पौधे और सूक्ष्म जीव ये सभी सजीव हैं ।
लेकिन सवाल यह है कि हमें कैसे पता चलेगा कि कौन सी वस्तुएं सजीव है और कौन सी वस्तुएं निर्जीव है? तो चलिए आगे जानते हैं कि कौन सी वस्तुएं सजीव है । सजीवों में कुछ विशेष प्रकार के लक्षण होते हैं जो निर्जीव वस्तुओं से उन्हें अलग करते हैं ।
सजीव के लक्षण ( Characteristics of livings )
सजीवों के कुछ विशेष लक्षण निम्नलिखित है ।
( 1 ). आहार ( Food )
” सभी सजीव वस्तुओं को भोजन की आवश्यकता होती है “ । सभी सजीव भोजन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं , जो उनकी वृद्धि एवं शरीर के अन्दर होने वाले जैविक – प्रक्रियाओं के लिए जरूरी होती है । पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा खुद भोजन बनाते हैं लेकिन जन्तु या प्राणी ऐसा नहीं करते और अपना भोजन वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों से प्राप्त करते हैं । कुछ जन्तु दूसरे जन्तुओं को खाते हैं जबकि कुछ जन्तु पौधे एवं जन्तुओं दोनों को खाते हैं ।
( 2.). श्वसन ( Respiration )
” सभी सजीव श्वसन करते हैं “ । सभी सजीव श्वसन प्रक्रिया के द्वारा ही भोजन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं । साँस लेना श्वसन प्रक्रिया का ही एक भाग है । जन्तु जब साँस लेते हैं तब वे ऑक्सीजन ( O ) अन्दर ले जाते हैं और जब साँस छोड़ते हैं तब कार्बन – डाइ – ऑक्साइड ( CO2 ) बाहर निकालते हैं । ऑक्सीजन भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करता है ।
एक वयस्क मनुष्य 1 मिनट में 16 – 20 बार साँस लेता एवं छोड़ता है । गैसों के आदान – प्रदान की क्रिया सभी जन्तुओं में एक जैसी नहीं होती है । भिन्न – भिन्न जन्तुओं में अलग – अलग अंगों के द्वारा गैसों का आदान – प्रदान होता है ।
पौधों में गैसों का आदान – प्रदान मुख्य रूप से पत्तियों के द्वारा होता है । पत्तियों में उपस्थित सूक्ष्म रंध्रों के द्वारा ऑक्सीजन अन्दर जाती है । और कार्बन – डाइ – ऑक्साइड गैस बाहर आती है । लेकिन प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में पौधे कार्बन – डाइ – ऑक्साइड गैस अन्दर लेते हैं और ऑक्सीजन गैस बाहर छोड़ते हैं । पौधों में प्रकाश संश्लेषण केवल दिन में होता है । जबकि श्वसन क्रिया रात – दिन होती है । प्रकृति में पौधे ऑक्सीजन के प्रमुख स्रोत हैं ।
( 3 ). उत्सर्जन ( Excretion )
” सभी सजीवों में उत्सर्जन होता है “ । भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया के दौरान सजीवों में कुछ अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं , जो सजीवों के लिए हानिकारक होते हैं अत : इन अपशिष्ट पदार्थों का सजीवों के शरीर से निकलना जरूरी होता है । जिस प्रक्रिया के द्वारा सजीव अपने शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते हैं उसे उत्सर्जन कहते है ।
जन्तुओं में अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन मुख्य रूप से मूत्र एवं मल के रूप में होता है । जन्तुओं में मुख्य उत्सर्जन अंग वृक्क है । जन्तु अपने श्वास अंगों के द्वारा भी अपशिष्ट गैसों को बाहर निकालते हैं ।
मनुष्य का पसीना ( स्वेद ) भी एक प्रकार का अपशिष्ट पदार्थ है , जो वह अपनी त्वचा के द्वारा बाहर निकालता है । पक्षी बीट के रूप में अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते हैं । पौधों में भी हानिकारक पदार्थ उत्पन्न होते हैं जो कि इन अपशिष्ट पदार्थों को पौधे या तो स्राव के रूप में बाहर निकाल देते हैं या फिर इन पदार्थों को ऐसे भाग में इकट्ठा कर लेते हैं जिससे उनको नुकसान नहीं पहुँचे ।
( 4 ). उद्दीपन ( Stimulation )
” सभी सजीव उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया करते हैं “ । हमारे आस – पास होने वाले परिवर्तन जो किसी सजीव को प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करते हैं उद्दीपन कहलाते हैं । जो प्रतिक्रिया सजीव परिवर्तन के प्रति करते हैं उसे अनुक्रिया कहते हैं ।
उदाहरण — जब हम गर्म वस्तु को छूते हैं तब हम एकदम अपना हाथ पीछे खींच लेते हैं । कॉकरोच रोशनी देख कर छिप जाते हैं । हम अपने मन – पसन्द व्यंजन को देखते हैं तो हमारे मुँह में पानी आ जाता है । सूरज के छिपने के बाद कुछ फूल बंद हो जाते हैं । छुई – मुई ( गुल मेंहदी ) के पौधे की पत्तियाँ छूने पर सिकुड़ जाती है ।
उपर्युक्त उदाहरणों में उद्दीपन हैं – गर्म वस्तु , रोशनी , मन – पसन्द व्यंजन , सूरज का छिपना तथा पत्तियाँ छूना । जबकि अनुक्रियाएं हैं – हाथ पिछने खींचना , कॉकरोच का छिपना , मुँह में पानी आना , फूल का बन्द होना और पत्तियों का सिकुड़ना ।
( 5 ). इन्द्रियाँ ( Senses )
” सजिवों में इन्द्रियाँ होती हैं “ । मुख्य रूप से जन्तुओं में निम्नलिखित पाँच इन्द्रियाँ होती हैं —
आँख | नेत्र देखने के लिए |
कान | सुनने के लिए |
नाक | सूंघने के लिए |
जीभ | स्वाद के लिए |
त्वचा | महसूस करने के लिए |
विभिन्न जन्तु अपनी इन्द्रियों का प्रयोग विभिन्न कार्य के लिए करते हैं , जैसे की —
( 1 ). चींटियाँ अपने समूह की चींटियों को उनके द्वारा छोड़ी गई गंध से पहचान लेती हैं ।
( 2 ). कुछ कीड़े – मकोड़े अपनी मादा कीड़े को उनकी गंध से पहचान लेते हैं , जैसे – रेशम का कीड़ा ।
( 3 ). कुछ पक्षी , जैसे – बाज , गिद्ध और चील , जिनकी दृष्टि मनुष्य से चार गुना ज्यादा होती है , अपने शिकार को दूर से देख लेते हैं ।
( 4 ). पक्षी एक ही वक्त में दो अलग – अलग चीजों को देंख लेते हैं क्योंकि इनके सिर के दोनों तरफ आँखे होती है । लेकिन इनके आँखों की पुतली घूम नहीं सकती इसलिए ये अपनी गर्दन को घुमा कर अपने आस – पास देखते हैं । परन्तु उल्लू की आँखें चेहरे के सामने होती हैं ।
( 5 ). कुछ जानवरों के कान बाहर दिखाई देते हैं परन्तु कुछ के नहीं । हाथी अपने कान से सुनने के अलावा हवा भी कर सकता है ।
( 6 ). साँप सुन नहीं सकता परन्तु जमीन पर हुए कंपन को महसूस कर सकता है ।
( 7 ). मच्छर हमारे शरीर की गंध एवं तलवे की गर्मी से हमें अँधेरे में भी ढूँढ लेते हैं ।
( 8 ). कुछ जानवर अपने मल – मूत्र की गंध के द्वारा अपने क्षेत्र को पहचान लेते हैं , जैसे -कुत्ता , बाघ , शेर • मेढक , छिपकली आदि जीव अपने शिकार को पकड़ने के लिए अपनी जीभ का प्रयोग करते हैं ।
( 9 ). रात्रिचर ( रात में जगने वाले ) जानवर एवं पक्षी केवल सफेद और काला रंग ही देख पाते हैं , जैसे – उल्लू , रैकून आदि ।
( 6 ). गति ( Movement )
” सभी सजीव गति करते हैं “ । जन्तुओं में गति दिखाई देती है क्योंकि वे एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं । जन्तुओं में चलने का ढंग अलग – अलग होता है –
( 1 ). कुछ जन्तु चलते हैं , जैसे – मनुष्य , शेर , कुत्ता , बिल्ली आदि । इन जानवरों में अलग – अलग गतियों के लिए इनकी अस्थियों में अनेक प्रकार की संधियाँ होती हैं । मनुष्य में पाई जाने वाली संधियाँ हैं :
- कन्दुक – खल्लिका संधि —
इस प्रकार की संधि में सभी दिशाओं में गति होती है । यह संधि कंधे एवं कूल्हे में पाई जाती है । - हिंज ( कब्ज़ा ) संधि —
इस प्रकार की संधि में एक ही दिशा में गति होती है । यह संधि कोहनी एवं घुटने में पाई जाती है । - अचल संधि —
इस प्रकार की संधि में कोई गति नहीं होती । यह हमारे सिर में पाई जाती है । - धुराग्र ( झूटी ) संधि —
इस प्रकार की संधि में ऊपर – नीचे , दाएँ – बाएँ एवं आगे – पीछे की गति होती है । यह संधि हमारे सिर एवं गर्दन को जोड़ती है ।
∗संधि — जहाँ दो / दो से अधिक अस्थियाँ ( हड्डियाँ ) आपस में जुड़ती हैं , उस जगह को संधि कहते हैं । एक वयस्क मनुष्य में 206 अस्थियाँ होती हैं । |
( 2 ). उल्लू काफी हद तक अपनी गर्दन को पीछे तक घुमा सकता है ।
( 3 ). कुछ जन्तु रेंगते हैं , जैसे – केंचुआ , साँप आदि । केंचुआ पेशियों एवं शूक की मदद से रेंगता है और साँप पेशियों एवं वलय ( छल्लों ) की मदद से ।
( 4 ). कुछ जन्तु उड़ते हैं , जैसे – पक्षी । पक्षी अपने पंखों की मदद से उड़ते हैं । परन्तु शुतुरमुर्ग और एमू पक्षी उड़ते नहीं हैं लेकिन ये काफी तेज गति से भाग सकते हैं ।
( 5 ). कुछ जन्तु तैरते हैं , जैसे – मछली , बतख आदि । मछली अपनी धारा रेखीय शारीरिक आकृति के कारण तैरती है । बतख अपने जालयुक्त पादांगुलियों के कारण तैरती है । मेढक भी पादांगुलियों के कारण तैरता है ।
( 6 ). कुछ जन्तु फुदकते हैं , जैसे- मेढक ।
( 7 ). कुछ जन्तु चलते भी हैं , चढ़ते भी हैं और उड़ते भी हैं – जैसे कॉकरोच ।
( 8 ). पौधे भूमि में स्थिर रहते हैं परन्तु उनमें पत्तियों का हिलना , फूलों का खिलना या बन्द होना , उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया दिखाना आदि उनमें गति को दर्शाता है ।
( 7 ). प्रजनन ( Reproduction )
” सजीवों में प्रजनन होता है “ । जिस प्रक्रिया के द्वारा सजीव अपने समान संतान उत्पन्न करते हैं , उसे प्रजनन कहा जाता है । वे जन्तु जिनके शरीर पर बाल होते हैं एवं जिनके कान दिखाई देते हैं वे बच्चों को जन्म देते हैं । इन जन्तुओं को जरायुज कहते हैं , जैसे – मनुष्य , कुत्ता , गाय , शेर , हाथी आदि । वे जन्तु जिनके कान दिखाई नहीं देते हैं एवं जिनके शरीर पर बाल नहीं होते हैं वे अंडे देते हैं । इन जन्तुओं को अंडप्रजक कहते है ।
जैसे कि – पक्षी , मेढक , बतख , मछली आदि । चमगादड़ , ह्वेल मछली और सील मछली बच्चों को जन्म देती हैं । जो बच्चों को जन्म देते हैं और दूध पिलाते हैं उन्हें स्तनधारी भी कहा जाता है ।
जीव | बच्चे |
कपि | बच्चा |
चमगादड़ , कुत्ता , शार्क , | पिल्ला / पिल्ली |
भालू , शेर | शावक |
पक्षी , पेग्विन , कौआ | चूजा |
तितली | कैटरपिलर |
हांथी , ऊंट , जिराफ , याक | बछड़ा / बछिया |
मेढक | टेडपोल |
बाज | इयास |
घोडा , जेब्रा | बछेड़ा / बछेडी |
कंगारू | जोयी |
बन्दर | शिशु |
खरगोश | बन्नी |
भेड़ | मेमना |
पौधों में प्रजनन मुख्य रूप से बीजों के द्वारा होता है , परन्तु उनमें निम्न तरीकों से भी प्रजनन होता है जैसे की —
1. | कलम के द्वारा | उदाहरण — गुलाब |
2. | कलिका ( आँख ) द्वारा | उदाहरण — आलू |
3. | पत्ती के द्वारा | उदाहरण — ब्रायोफिलम / पत्थर चट्टा |
4. | जड़ द्वारा | उदाहरण — शकरकंद |
( 8 ). वृद्धि ( Growth )
” सजीवों में वृद्धि होती है “ । सजीवों में एक निश्चित आयु तक लगातार वृद्धि होती है । हम देखते हैं कि एक नवजात शिशु वयस्क हो जाता है । एक छोटा पौधा पेड़ बन जाता है ।
( 9 ). मृत्यु ( Death )
” सजीवों की मृत्यु होती है “ । एक निश्चित आयु के बाद सजीव मर जाते हैं ।
तो दोस्तों आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी आप अच्छे से समझ पाये होंगे । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । , धन्यवाद्…
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