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वर्गीकरण की पद्धति? ( Vargeekaran kee paddhati )

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इस लेख में वर्गीकरण की पद्धति ( Systems of classification ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – वर्गीकरण की पद्धति? ( Vargeekaran kee paddhati ) आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

वर्गीकरण की पद्धति ( Systems of Classification ) 

वर्गीकरण की तीन प्रमुख पद्धतियाँ प्रचलित हैं I

( 1 ). कृत्रिम पद्धति ( Artificial System )
( 2 ). प्राकृतिक पद्धति ( Natural System )
( 3 ). जातिवृत्तीय पद्धति ( Phylogenetic System )  

( 1 ). कृत्रिम पद्धति ( Artificial System ) 

इस पद्धति से किए गए वर्गीकरण को कृत्रिम वर्गीकरण ( artificial classification ) कहते हैं । प्रारम्भ से ही वैज्ञानिकों ने वर्गीकरण के लिए जो लक्षण या आधार चुने वे केवल जन्तुओं को पहचानने में सुविधाजनक थे । यह कृत्रिम पद्धति ( artificial system ) कहलाती है । इस पद्धति में जन्तुओं के रंग – रूप , आकार , आकृति , वासस्थान तथा विशेष रूप से मनुष्य के लिए उनकी उपयोगिता पर ध्यान रहता है । पुराने समय में वैज्ञानिकों को इस विधि के कृत्रिम अथवा प्राकृतिक होने का कोई ज्ञान भी नहीं था , न ही ध्यान था । यह पद्धति अनावश्यक नहीं है , चूँकि आधुनिक वैज्ञानिक भी अपने अध्ययन या आविष्कारों के लिए कृत्रिम वर्गीकरण का सहारा लेते हैं ।

कृत्रिम वर्गीकरण के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं — जल में रहने वाले सभी जन्तुओं को जलीय जन्तु ( aquatic animals ) , भूमि पर रहने वाले जन्तुओं को स्थलीय जन्तु ( terrestrial animals ) , पालतू जन्तुओं को घरेलू जन्तु ( domestic animals ) , दूसरे जन्तुओं से अपना पोषण प्राप्त करने बाले जन्तुओं को परजीवी जन्तु ( parasitic animals ) कहते हैं तथा इसी प्रकार कुछ हानिकारक जन्तु ( harmful animals ) तथा कुछ लाभदायक जन्तु ( useful animals ) कहलाते हैं । अन्य हजारों प्रकार से यह कृत्रिम वर्गीकरण किया जाता है । कृत्रिम पद्धति बहुत संकुचित प्रणाली है , जैसे कि जल में रहने वाले सभी जन्तु जलीय कहलाते हैं चाहे वे मछलियों हों , सरीसृप हों या किसी भी प्रकार के हों , अर्थात् इस पद्धति में जीवों को केवल एक या दो लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है । 

( 2 ). प्राकृतिक पद्धति ( Natural System ) 

प्राकृतिक वर्गीकरण ( natural classification ) में जन्तुओं को कुछ ऐसे समूहों में बाँटा गया है कि एक समूह के जन्तु संरचना और प्राकृतिक विकास की दृष्टि से सम्बन्धी होते हैं । जन्तुओं की संरचना और उनके प्राकृतिक विकास के आधार पर किया गया वर्गीकरण स्वयं इस तथ्य ( fact ) पर आधारित गया है कि जन्तुओं की उत्पत्ति एक सामान्य पूर्वज से क्रमिक विकास द्वारा हुई । इस पद्धति से किए गए वर्गीकरण को प्राकृतिक वर्गीकरण ( natural classification ) कहते हैं ।

वर्गीकरण की पद्धति
कैरोलस लीनियस ( Carolus Linnaeus )

कैरोलस लिनियस ने सन् 1758 में सिस्टेमा नेचुरी ( Systema Naturae ) नामक पुस्तक प्रकाशित की जिसमें उन्होंने जीवों के वैज्ञानिक नाम रखने की एक विशेष पद्धति का उल्लेख किया , जिसे द्विपदनाम पद्धति ( binomial nomenclature ) कहते हैं तथा इसमें उन्होने 4236 जात जातियों का वर्गीकरण किया और उसके लिए जो प्रणाली अपनाई उसी से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी । उन्हें इसीलिए आधुनिक वर्गीकरण का जनक ( Father of Modem Taxonomy ) कहते हैं । लिनियस के बाद अनेक वैज्ञानिकों ने वर्गीकरण विज्ञान में विशेष योगदान दिया और वर्गीकरण की आधुनिक प्रणाली दी जिसे हम आज भी अपनाते हैं । 

( 3 ). जातिवृत्तीय पद्धति ( Phylogenetic System ) 

इस पद्धति में जीवों के क्रमवार विकासीय जातिवृत्ति ( phylogeny ) को आधार मानकर वर्गीकरण किया जाता है ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — वर्गीकरण की पद्धति? ( Vargeekaran kee paddhati ) आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । धन्यवाद्…

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