इस लेख में पौधों और जन्तुओं ( Plants and Animals ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – पौधों और जन्तुओं में क्या अन्तर है? ( Paudhon aur Jantuon me kya antar hai ) आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “।
विषय सूची
पौधों और जन्तुओं में क्या अन्तर है? ( What is the difference between plants and animals )
उच्च वर्ग के पौधों और जन्तुओं में सहज ही भिन्नता की जा सकती है , परन्तु कुछ निम्न श्रेणी के पोधों और जन्तुओं में अन्तर करना कठिन हो जाता है । इसी कारण ऐसे जीवधारियों को वनस्पति – विज्ञान शास्त्रियों ने वनस्पति – विज्ञान के तथा जन्तु विज्ञान शास्त्रियों ने जन्तु विज्ञान के अन्तर्गत रखा है , उदाहरण — वॉल्वॉक्स , युग्लीना , फिर भी निम्नलिखित आधार पर पोधों व जन्तुओं में अन्तर किया जा सकता है ।
पौधों और जन्तुओं में निम्नलिखित अन्तर है ;
( 1 ). शरीर संघठन ( Body Organization )
पादपों में शरीर संघठन अपेक्षाकृत सरल होता है ; मूलतः केवल चार प्रकार के अंग जड़ें , तना , पत्तियाँ एवं पुष्प होते हैं । इसके विपरीत जन्तुओं में शरीर का संघठन जटिल होता है ; कई अंग तन्त्रों के अन्तर्गत कई प्रकार के अंग होते हैं ।
( 2 ). वृद्धि ( Growth )
पौधों में वृद्धि विशेष कोशिकाओं द्वारा होती है जिन्हें विभज्योतक ( meristems ) कहते हैं । ये विशेष स्थानों पर स्थित होती हैं । जड़ व तनों के सिरे पर शीर्षस्थ विभज्योतक और अन्तर्विष्ट विभज्योतक के विभाजन से लम्बाई में वृद्धि होती है । पार्श्व विभज्योतक ( lateral meristem ) द्वारा मोटाई में वृद्धि होती है । जन्तुओं में वृद्धि एक विशेष स्थान पर न होकर सब स्थानों पर होती है । इसके अतिरिक्त पादपों में वृद्धि उनकी मृत्यु से कुछ समय पूर्व तक भी होती रहती है जबकि जन्तुओं में वृद्धि मृत्यु से काफी समय पूर्व रुक जाती है ।
( 3 ). कोशिका – भित्ति ( Cell Wall )
पादपों में प्रत्येक कोशिका सेलुलोस की एक निर्जीव भित्ति द्वारा घिरी रहती है जिसे कोशिका – भित्ति ( cell wall ) कहते हैं । जन्तुओं में कोशिका – भित्ति नहीं होती ।
( 4 ). पर्णहरिम ( Chlorophyll )
अधिकतर पौधों में पर्णहरिम ( हरा पदार्थ ) होता है , लेकिन जन्तुओं में पर्णहरिम नहीं होता है । पर्णहरिम की उपस्थिति के कारण ही हरे पौधे प्रकाश – संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं , इसीलिए हरे पौधों को स्वपोषी ( autotrophs ) कहते हैं । इसके विपरीत जन्तुओं में पर्णहरिम की अनुपस्थिति के कारण जन्तु अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते और भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहते हैं । इसलिए इन्हें परपोषी ( heterotrophs ) कहते हैं । कुछ पौधों में जैसे — कवक एवं पूर्ण परजीवियों में पर्णहरिम नहीं होता है , ये भी परपोषी होते हैं ।
( 5 ). प्रकाश – संश्लेषण ( Photosynthesis )
इस क्रिया में हरे पौधे पृथ्वी से जल ( H2O ) और वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2 ) लेकर सूर्य के प्रकाश में प्रकाश – संश्लेषण की क्रिया द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स बनाते हैं । जन्तुओं में पर्णहरिम ( हरा पदार्थ ) नहीं होता है , न ही वे इस प्रकार भोजन बना सकते हैं । जन्तु अपने भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहते हैं । प्रकाश – संश्लेषण एक उपचयी क्रिया है ।
( 6 ). गति या गमन ( Moverment / Locomotion )
अधिकतर पाघे अपनी जड़ों यानी मूलाभास ( rhizoids ) के द्वारा भूमि में स्थिर रहते हैं । उनके कुछ भाग जैसे कि , तना , जड़ , आदि । कुछ पेड़ पौधे आवश्यकतानुसार इधर – उधर मुड़ जाते हैं । और लगभग सभी जन्तु , भोजन या अनुकूल वातावरण की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान को गमन करते हैं । इस प्रकार की गति को गमन कहते हैं । पौधों और जीव – जन्तुओं में यह अन्तर उनकी पोषण भिन्नता के कारण होता है ।
( 7 ). पोषण ( Nutrition )
जन्तुओं एवं पादपों के बीच सबसे महत्त्वपूर्ण अन्तर पोषण की विधि में होता है । जन्तु कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , वसा , आदि कार्बनिक पोषक पदार्थो को पादपों से भोजन के रूप में प्राप्त करते हैं । इसे प्राणिसमभोजिता या परपोषण कहते हैं । इसके विपरीत , पादप यानी हरे पौधे पोषक पदार्थों के अकार्बनिक संघठक तत्वों जैसे कि , ऑक्सीजन , हाइड्रोजन , नाइट्रोजन , कार्बन , आदि को भूमि , जल एवं वायु से ग्रहण करके , सूर्य के प्रकाश में , पर्णहरिम की सहायता से , प्रकाश – संश्लेषण की क्रिया द्वारा , स्वयं अपने और सभी जन्तुओं एवं पर्णहरिमरहित पादपों के लिए इन पदार्थों का संश्लेषण करते हैं । इसे पादपसमभोजिता या स्वपोषण कहते हैं । अधिकांश पादप हरे ही होते हैं ।
( 8 ). उत्तेजनशीलता ( Irritability )
पादपों में उत्तेजनशीलता बहुत कम और जन्तुओं में बहुत अधिक होती है । अतः वातावरणीय परिवर्तनों ( उद्दीपनों ) से प्रभावित प्रतिक्रियाएँ पादपों में धीमी होती हैं । जन्तुओं में , तन्त्रिका तन्त्र ( nervous system ) के कारण , ये प्रतिक्रियाएँ शीघ्रगामी एवं स्पष्ट होती हैं ।
( 9 ). कार्बोहाइड्रेड्स का संचय ( Storage of Carbohydrates )
कार्बोहाइड्रेट्स का संचय जन्तु ग्लाइकोजन के रूप में , लेकिन पादप मण्ड यानी स्टार्च के रूप में करते हैं ।
( 10 ). विशेष उत्सर्जन तन्त्र ( Special Excretory System )
जन्तुओं में अपने उत्सर्जी या वर्ज्य पदार्थों को निकालने के लिए विशेष उत्सर्जन तन्त्र होता है । पौधों में उत्सर्जन पौधों की छाल या पत्तियों के गिरने पर होता है ।
( 11 ). तारककाय या सेण्ट्रोसोम ( Centrosome )
जन्तु कोशिकाओं में केन्द्रक के पास यह एक तारे के समान रचना होती है और कोशिका विभाजन में विशेष कार्य करती है । इसे तारककाय ( centrosome ) कहते हैं । पादप कोशिकाओं में यह बहुधा नहीं होती है । लेकिन कुछ निम्न श्रेणी के पौधों जैसे कि , शैवाल , कवक आदि में भी यह पाई जाती है ।
( 12 ). लवनकाय या लाइसोसोम ( Lysosome )
जन्तु कोशिकाओं में लाइसोसोम्स पाई जाती हैं । कुछ निम्न श्रेणी के पादपों की कोशिकाओं में भी ये पाई जाती हैं ।
( 13 ). रसधानी ( Vacuole )
पूर्ण विकसित पादप कोशिका में प्रायः एक बड़ी रसधानी ( Vacuole) होती है , लेकिन जन्तु कोशिका में इसका अभाव होता है ।
( 14 ). कोशिका विभाजन ( Cell Division )
पादप कोशिका में सूत्री विभाजन ( mitosis ) के समय केन्द्रक विभाजन ( karyokinesis ) के बाद बने दो पुत्री केन्द्रकों के बीच कोशिकाद्रव्य विभाजन ( cytokinesis ) , कोशिका के भूमध्यरेखीय भाग में फ्रेग्मोप्लास्ट के निर्माण से होता है । जिसमें मूक्ष्म नलिकाएँ एवं गॉल्जी काय की थैलियाँ ( vesicles ) एकत्रित होती रहती हैं । यह रचना कोशिका पटलिका ( cell lamella ) में परिवर्तित हो जाती है । इस पटलिका पर बाद में प्राथमिक कोशिका – भिति का निर्माण होता है , लेकिन जन्तु कोशिका में दो पुत्री केन्द्रकों के बीच भूमध्यरेखीय ( equatorial ) भाग में कोशिकाद्रव्य विभाजन ( cytokinesis ) , अन्तर्वलन ( invagination ) द्वारा होता है ।
तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — पौधों और जन्तुओं में क्या अन्तर है? ( Paudhon aur Jantuon me kya antar hai ) आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद्…]
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