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एकल परिवार किसे कहते हैं? ( Ekal parivaar kise kahate hain )

इस लेख में एकल परिवार ( Single Family )  विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – एकल परिवार किसे कहते हैं? ( ekal parivaar kise kahate hain ), कारण, फायदे और नुकसान आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

एकल परिवार किसे कहते हैं? ( What is single family )

परिभाषा ( Definition ) — एकल परिवार का मतलब ऐसी पारिवारिक संरचना से है जिसमें केवल पति-पत्नी और उनके बच्चे ही शामिल होते हैं । इसके साथ ही परिवार का मुखिया भी केवल इन्हीं लोगों के प्रति उत्तरदायी होता है ।

भारतीय समाज में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहा है । संयुक्त परिवार जो कभी भारतीय सामाजिक व्यवस्था की नींव हुआ करते थे, आज वह पूरी तरह खतम होने की राह पर हैं । इसका सबसे बड़ा कारण बदलते परिवेश में लोगों की मुख्य रूप से आर्थिक व्यवस्थाओं की प्राथमिकता हैं । मनुष्य का एकमात्र प्राथमिकता केवल अपनी यानी व्यक्तिगत हितों की पूरा करना ही रह गया है । वह अपने स्वार्थ के लिए अपने परिवार के साथ को भी छोड़ने से पीछे नहीं रहता है । इसके अलावा व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती मांग भी परिवारों के टूटने का कारण बनती है ।

आज की भाग – दौड़ भरी जिंदगी में परिवारों का स्वरूप जितना छोटा होता जा रहा है, व्यक्ति के पास अपने परिवार को समय देने के लिए उतनी ही कमी होने लगी है । आज से कुछ समय पहले तक जब व्यक्ति की जरूरतें कम थीं और परिवार बहुत बड़ा होता था तब भी व्यक्ति के पास अपने परिवार के लिए अधिक समय जरूर होता था, लेकिन आज के समय में एक – दूसरे से आगे निकलने की होड़ के कारण इस तरह के हालात उत्पन्न हो गए हैं कि पारिवारिक सदस्यों की उपयोगिता और उनका महत्व भी मनुष्य को अब अनुचित लगने लगा है ।

एकल परिवार होने के कारण ( Being single family )

( 1 ). आर्थिक स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता 

ये दो ऐसे कारण हैं जिनके परिणामस्वरूप संयुक्त परिवार की संख्या में लगातार कमी होने लगी है । क्योंकि पहले जहां पारिवारिक सदस्य अपनी हर छोटी-मोटी जरूरतों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते थे, वहीं अब लोग पूर्ण रूप से खुद पर ही आश्रित होने लगे हैं ।

( 2 ). बढ़ती महंगाई और सहनशीलता की कमी

बढ़ती महंगाई और सहनशीलता की कमी भी संयुक्त परिवार को टूटने के लिए उत्तरदायी साबित हुए हैं । ऐसी परिस्थितियों के कारण संयुक्त परिवारों का स्थान पूरी तरह से एकल परिवारों ने हथिया लिया है ।

( 3 ). संकुचित होती मानसिकता

लोगों की संकुचित होती मानसिकता भी ऐसे छोटे-छोटे और सीमित परिवारों के उदभव और विकास में बहुत ही सहायक होती हैं । सामुदायिक हितों की बात ही छोड़िए, अपने माता-पिता की जिम्मेदारी भी मनुष्य को बोझ लगने लगी है ।

( 4 ). व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती मांग

एकल परिवारों के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि पति-पत्नी दोनों ही अब आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहना चाहते हैं । जिसके चलते खुद से संबंधित किसी भी मसले में किसी दूसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप सहन नहीं किया जाता है ।

( 5 ). आर्थिक व्यवस्थाओं की प्राथमिकता

इसका सबसे बड़ा कारण बदलते परिवेश में लोगों की मुख्य रूप से आर्थिक व्यवस्थाओं की प्राथमिकता हैं । मनुष्य का एकमात्र प्राथमिकता केवल अपनी यानी व्यक्तिगत हितों को पूरा करना ही रह गया है ।

एकल परिवार के नुकसान ( Loss of single family )

( 1 ). अखंडता और एकता

एकल परिवारों का सबसे बड़ा गहरा प्रहार परिवार की एकता और अखंडता पर करते हैं । माता पिता अपने बच्चों को बड़े शौक से यह सोचकर उनका पालन पोषण और उनकी अच्छी शिक्षा का व्यवस्था करते हैं । कि वह बुढ़ापे में उनके बच्चे उन्हें सहारा देंगे । लेकिन इसका एकदम उलटा होता है । बच्चे लायक बनने के बाद अपने माता पिता के बलिदानों और प्रेम को भूलकर उनसे अलग अपनी एक नई दुनियां बसा लेते हैं । जिसमें माता पिता के प्रति भावनाओं और उत्तरदायित्वों के लिए कोई स्थान नहीं होता है ।

( 2 ). मेलजोल की भावना

एक दूसरे से दूर रहने की वजह से पारिवारिक सदस्यों में आपसी मेलजोल की भावना भी कम होने लगती है । और धीरे धीरे वह पूरी तरह से वे अपने ही परिवार से कट जाते हैं । जिसके कारण उन्हें अपने ही संबंधियों के सुख दुख से कोई मतलब नहीं रहता है । 

( 3 ). उत्सवों में कमी

पहले जो त्यौहार पूरा परिवार एक साथ हसी खुशी के साथ मनाया करता था । आज वही त्यौहार अलग थलग रहकरके अनमने ढंग से मनाया जाने लगा है । 

( 4 ). खुशी और गम

जब तक खुशी सबके साथ मिलकर नही मनाई जाए तब तक मजा नहीं आता है । लेकिन अब ऐसा हो पाना नामुमकिन सा है । क्योंकि मनुष्य ने खुशी और गम के सभी रास्ते अब खुद ही बंद कर दिए हैं । जो उसके पारिवारिक सदस्यों तक पहुंचते थे जिसके कारण अब उसे अकेले ही हर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है ।

( 5 ). समय बिताना

संयुक्त परिवार को टूट कर एकल परिवार में बदलने से सबसे बड़ा प्रभाव परिवार के बच्चों पर पड़ा है । हर हर बुजुर्ग का सपना होता है कि वह नाती पोतों के साथ समय व्यतीत करें साथ ही बच्चे भी अपने दादा-दादी के साथ समय बिताना पसंद करते हैं । लेकिन बढ़ती एकल परिवारों की संख्या बच्चों को बड़ों के दुलार प्यार से दूर रखने का काम करती है । खासकर जब महिला और पुरुष दोनों ही बाहर कार्य करने जाते हैं और बच्चे घर में अकेले होते हैं तब बड़ों के सहारे की आवश्यकता होती है और यह आवश्यकता बढ़ने लगी है ।

एकल परिवार के फायदे ( Advantages of single family )

( 1 ). भरण – पोषण की संतुष्टि

आज की बढ़ती हुई महंगाई और भाग दौड़ भरी जिंदगी में एकल परिवारों के केवल नुकसान ही नहीं बल्कि कई फायदे भी हैं । आज के समय में आर्थिक हालात ऐसे नहीं हैं कि घर का कोई एक सदस्य पैसा कमा कर लाए और बाकी सदस्य उतने से ही संतुष्टि से अपना जीवन यापन करें । जबकि पहले परिस्थितियां ऐसी नहीं थीं । पहले एक व्यक्ति की आमदनी पूरे परिवार का पेट पालने के लिए काफी थी इसलिए उस वक्त लोग संयुक्त परिवार की महत्व को समझते थे ।  लेकिन आज के इस बदलते दौर में संयुक्त परिवार की व्यवहार्यता पर प्रश्न चिंह लगना स्वाभाविक है । 

( 2 ). प्रतिस्पर्धा

आज के प्रतिस्पर्धा समाज में पति पत्नी दोनों ही कमाते हैं । और अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए हर संभव का प्रयास भी करते हैं । जिससे कि उनके बच्चे आगे चलकर अच्छा स्थान, मान प्रतिष्ठा और धन  को प्राप्त कर पाएं । साथ ही समाज में एक प्रतिष्ठित नागरिक की तरह से जीवन बिता सकें ।

( 3 ). सामाजिक प्रतिष्ठा

भौतिकवादी समाज में मनुष्य की सामाजिक प्रतिष्ठा भी उसकी धन सृजन की क्षमता पर ही निर्भर करती है । और परिवारिक सदस्यों की संख्या में अधिकता होने से धन अर्जित करने में बाधा बन कर उभर सकती है । जिसके कारण एकल परिवार ही बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं ।

( 4 ). जीवनशैली

तनाव से भरी जीवनशैली में मनुष्यों की सहनशक्ति में भी कमी आने लगी है । छोटी छोटी बातों पर जल्दी ही गुस्सा आने लगती हैं । जिससे संबंध खराब होने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं । पारिवारिक सदस्य जितने कम होंगे मनमुटाव के आशंकाएं उतने ही कम होंगी । ऐसी स्थिति में एकल परिवार ही सार्थक सिद्ध होते हैं ।

उपर दिए गए कथन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि, परिवारों के टूटने और बनने में सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां भी समान रूप से उत्तरदायी होती हैं । यह कोई जरूरी नही कि हर बदलते दौर में पारिवार की संरचना एक समान रहे । इसीलिए परिवार चाहे छोटे हों या बड़े, हमेशा प्रयास रहना चाहिए कि, आपस के प्रेम में कहीं भी कमी ना आए, क्योंकि आपके जीवन की शुरुआत से लेकर अन्त तक हर छोटी बड़ी घटनाओं में केवल आपका परिवार ही एक मजबूत आधार प्रदान कर सकता है । जिसके बिना आपकी पहचान मात्र सीमित हो जाती है ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — एकल परिवार किसे कहते हैं?, कारण, फायदे और नुकसान आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद्…]

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