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ध्वनि क्या है? परिभाषा, गुण, लक्षण, प्रकार ( Dhvani kya hai )

ध्वनि क्या है? ( What is sound )

ध्वनि क्या है : ध्वनि एक प्रकार की तरंग है जो वस्तुओं के कम्पन होने से उत्पन्न होती है । ध्वनि को एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए माध्यम की जरूरत होती है । ध्वनि ठोस , द्रव और गैसों के माध्यम से सफर करती है । ध्वनि निर्वात् में सफर नहीं करती है । ध्वनि हमें एक दूसरे से बात – चीत करने में मदद करती है ।

ध्वनि के गुण ( Properties of sound )

ध्वनि के दो महत्वपूर्ण गुण हैं – ( 1 ). आवृत्ति , ( 2 ). आयाम ।

( 1 ). आवृत्ति ( Frequency )

किसी वस्तु का कोई कण एक सेकेण्ड में जितना कम्पन करता है , उसे आवृत्ति कहते हैं । आवृत्ति को हर्ट्ज़ ( Hz ) में मापा जाता है ।

( 2 ). आयाम ( Dimensions )

कम्पन करते कण के अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते हैं ।

ध्वनि के लक्षण ( Signs of sound )

ध्वनि के निम्नलिखत लक्षण होते हैं : ( 1 ). तीव्रता / प्रबलता , ( 2 ). तारत्व , ( 3 ). गुणता

( 1 ). तीव्रता / प्रबलता ( Intensity )

तीव्रता से ध्वनि के मन्द या प्रबल होने का पता चलता है । तीव्रता ध्वनि के आयाम पर निर्भर करता है । अगर आयाम ज्यादा होती है तो ध्वनि की तीव्रता भी ज्यादा होती है यानि ध्वनि प्रबल होती है । अगर तीव्रता कम होती है तो ध्वनि मन्द होती है ।

तीव्रता को डेसीबल ( dB ) में मापा जाता है ।

ध्वनि डेसीबल
सामान्य श्वास 10 dB
सामान्य बातचीत  60dB
व्यस्त यातायात 70 dB
फुसफुसाहट 30 dB
अकर्णीय ध्वनि 80 dB से अधिक

( 2 ). तारत्व ( Pitch of voice )

तारत्व से ध्वनि के मोटे / भारी या तीक्ष्ण होने का पता चलता है । तारत्व ध्वनि की आवृत्ति पर निर्भर करती है । अगर ध्वनि की आवृत्ति बढ़ती है तो ध्वनि तीक्षण या पतली हो जाती है , जैसे — महिला की , सीटी की आवाज पतली होती है और यदि ध्वनि की आवृत्ति घटती है तो ध्वनि मोटी / भारी हो जाती है । जैसे — पुरुष की आवाज , शेर की दहाड़ आदि ।

( 3 ). गुणता ( Quality )

गुणता एक समान तीव्रता और एक समान तारत्व की ध्वनियों में आए अन्तर को कहते हैं । महिलाओं की ध्वनि का तारत्व एक समान होता है लेकिन उनकी ध्वनियों की गुणता अलग – अलग होती है , जिसके कारण हम अलग – अलग महिलाओं की ध्वनियों को पहचान लेते हैं । पुरुषों की ध्वनि की तीव्रता एक समान होती है लेकिन उनकी ध्वनियों की गुणता अलग – अलग होती है , जिसके कारण हम अलग – अलग पुरुषों की ध्वनियों को पहचान लेते हैं ।

प्रतिध्वनि ( Echo )

प्रकाश के भाति ध्वनि भी वस्तुओं से टकराकर वापिस आती है । इसी पराविर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं । प्रतिध्वनि सुनने के लिए ध्वनि के स्रोत एवं परावर्तक सतह के बीच कम – से – कम 17 मीटर की दूरी होनी चाहिए ।

अनुरणन ( Follow )

ध्वनि के बहुल ( मल्टीपल ) परावर्तन को अनुरणन कहते हैं । अनुरणन के कारण ध्वनि स्पष्ट रूप से सुनाई नहीं देती है । सिनेमाघरों , सभागारों आदि में अनुरणन होता है । अनुरणन को कम करने के लिए सिनेमाघरों , सभागारों आदि में ध्वनि अवशोषक तत्व , जैसे — दीवारों को खुरदरा बनाना , फर्श पर कालीन विछाना आदि का उपयोग किया जाता है ।

ध्वनि तरंगों का आवृत्ति परिसर ( रेंज ) ( Frequency range of sound waves )

ध्वनि असल में वह तरंग है , जिसे मनुष्य अपने कानों से सुन सकता है । लेकिन कुछ ऐसी भी ध्वनि तरंगे होती हैं जिन्हें मनुष्य सुन तो नहीं सकता है लेकिन अन्य जीव – जन्तु सुन सकते हैं । इसलिए सभी जीव – जन्तुओं के लिए ध्वनि तरंगों का आवृत्ति परिसर एक समान नहीं होता है । ये सभी जीव – जन्तुओं के लिए अलग – अलग होता है ।

ये ध्वनि तीन प्रकार की होती है : ( 1 ). श्रव्य तरंगें , ( 2 ). अवश्रव्य तरंगे , ( 3 ). पराश्रव्य तरंगें आदि ।

( 1 ). श्रव्य तरंगें ( Audio waves )

इन ध्वनि तरंगों को मनुष्य सुन सकता है ।

इन तरंगों की आवृत्ति है : 20 हर्ट्ज़ से 20,000 हर्ट्ज़ ।

( 2 ). अवश्रव्य तरंगे ( Infrared waves )

इन ध्वनि तरंगों को मनुष्य नहीं सुन सकता है । गैण्डा , हाथी , ढल , जैसे – जानवर इन तरंगों को सुन सकते है ।

इन तरंगों की आवृत्ति 20 हर्टज़ से कम होती है ।

( 3 ). पराश्रव्य तरंगें ( Ultrasonic waves )

इन तरंगों को भी मनुष्य सुन नहीं सकता है । कुत्ता , बिल्ली , चमगादड़ , डॉल्फिन , चूहे आदि जानवर इन तरंगों को सुन सकते हैं ।

इन तरंगों की आवृत्ति 20,000 हर्ट्ज़ से अधिक होती है ।

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