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बाल्यावस्था में शारीरिक विकास ( Physical development in childhood )
बाल्यावस्था में शारीरिक विकास निम्न रूपों में होता है –
( 1 ). आकार एवं भार
इस अवस्था में शारीरिक विकास की गति धीमी होती है । इस काल बालक सामान्यतया 10-12 इंच तक बढ़ता तथा भार शैशवावस्था से लगभग दो गुणा हो जाता है । इस काल में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की लंबाई और वजन में द्रुत गति से वृद्धि होने लगती है और वे लड़कों से लंबाई में लंबी और वजन में भारी हो जाती है ।
( 2 ). हड्डियाँ
बाल्यावस्था में बालक की हड्डियों की दृढ़ता में वृद्धि होती है । कुछ हड्डियों की संख्या में भी वृद्धि होती है । इस अवस्था में बालक की हड्डियों का लचीलापन कम होने लगता है और उनमें कड़ापन आने लगता है ।
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( 3 ). मस्तिष्क
बाल्यावस्था में सिर के आकार में धीरे – धीरे परिवर्तन होने लगता है । 10 वर्ष की अवस्था में बालक के मस्तिष्क का भार पूरे शरीर के भार का 1/10 हो जाता है तथा इस अवस्था में आकार एवं भार की दृष्टि से मस्तिष्क का पूर्ण विकास हो जाता है किंतु क्रियाशीलता बढ़ती रहती है तथा परिपक्वता बाद में आती है ।
( 4 ). दाँत
लगभग 6 वर्ष की आयु पर बालक के अस्थायी दाँत गिरने लगते हैं और उसके स्थान पर स्थायी दाँत आने लगते हैं । 12-13 वर्ष की आयु तक के बालक के लगभग 28 दाँत निकल आते हैं । बालिकाओं के स्थायी दाँत बालकों की अपेक्षा कुछ जल्दी निकलते हैं । स्थायी दाँत निकलने से बालक की मुखाकृति में परिवर्तन आने लगता है ।
( 5 ). मांसपेशियाँ एवं अन्य अंग
बाल्यावास्था में मांसपेशियों का विकास धीरे – धीरे होने लगता है । उनमें दृढ़ता आने लगती है एवं इन पर बालक पूर्ण नियंत्रण करने लगता है । इस अवस्था में बालक के सभी अंगों का विकास हो जाता है और इस कारण वह इन पर नियंत्रण भी करने में समर्थ हो जाता है । इन अवस्था में लड़के – लड़कियों के यौनांगों का विकास तेजी से होता है । हृदय की धड़कन भी इस अवस्था तक सामान्य होने लगती है ।
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