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आनुवंशिकता किसे कहते है? ( Aanivanshikta kise kahate hai )

इस आर्टिकल में आनुवंशिकता ( Genetics ) से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – आनुवंशिकता किसे कहते है? ( Aanivanshikta kise kahate hai ) , प्रभाव एवं महत्व आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “

आनुवंशिकता किसे कहते है? ( What is genetics )

ऑस्ट्रिया के ग्रेगर जॉन मेंडल ( जन्म 1822 ) को आनुवांशिकता का जनक कहा जाता है । इन्होंने मटर के पौधे पर प्रयोग कर यह पता लगाया कि पिछली पीढ़ियों के गुण अगली पीढ़ियों में आते हैं । इन्होंने मटर के पौधे को इसलिए चुना था क्योंकि मटर के पौधे में कई अलग – अलग गुण पाये जाते हैं ।

परिभाषा ( Definition ) — *जीन्स द्वारा माता – पिता से उनके बच्चों में या एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में शारीरिक गुणों तथा संगठनों के होने वाले स्थानांतरण को आनुवंशिक ( genetics ) कहते है । अनुवांशिकता का अध्ययन जेनेटिक्स के अन्तर्गत किया जाता है । आनुवंशिकता के अध्ययन में ‘ ग्रेगर जॉन मेंडेल ‘ की मूलभूत उपलब्धियों को आनुवंशिकी के अंतर्गत समाहित किया गया है । 

परिभाषा ( Definition ) — *जीन्स ( Genes ) — प्रत्येक सजीव प्राणी का निर्माण मूल रूप से कोशिकाओं द्वारा ही हुआ होता है । इन कोशिकाओं में कुछ गुणसूत्र ( chromosomes ) पाए जाते हैं । इनकी संख्या प्रत्येक जाति ( species ) में निश्चित होती है । इन गुणसूत्रों के अन्दर माला के मोतियों के जैसे कुछ DNA की रासायनिक इकाइयाँ पाई जाती हैं जिन्हें जीन कहते हैं । ये जीन, गुणसूत्र के लक्षणों यानी गुणों के उजागर होने, कार्य करने और अर्जित करने के लिए उत्तरदाई होते हैं । 

परिवार में रक्त समूह ( Blood group in the family )

मनुष्य में चार प्रकार के रक्त समूह पाये जाते हैं- A , B , AB और 0 रक्त समूह । माँ – बाप के रक्त समूह के आधार पर हम यह पता लगा सकते हैं कि होने वाले बच्चे का रक्त समूह क्या होगा । 

निम्न तालिका में माता – पिता का रक्त समूह , उनके होने वाले बच्चे का रक्त समूह क्या होगा और उस रक्त समूह के होने की संभावना कितने प्रतिशत होगी , दी गई है ;

माता पिता बच्चा
O O O ( 100% )
O A O ( 50% ) , A ( 50% )
O B O ( 50% ) , B ( 50% )
O AB A ( 50% ) , B ( 50% )
A A A ( 66% ) , O ( 33% )
A B A ( 25% ) , B ( 25% ) , AB ( 25% ) , O ( 25% )
A AB A ( 33% ) , B ( 33% ) , AB ( 33% )
B B B ( 66% ) , O ( 33% )
B AB A ( 33% ) , B ( 33% ) , AB ( 33% )

आनुवंशिकता के प्रभाव ( Effect of Genetics ) 

( 1 ). आनुवंशिक गुण बालक के कद , रंग – रूप , शारीरिक गठन , वृद्धि को प्रभावित करते हैं ।

( 2 ). आनुवंशिक गुण के कारण ही बालक में कई बीमारियाँ या समस्या उत्पन्न होती है । जैसे — वर्णान्धता ( colour blindness ) आदि ।

( 3 ). आनुवंशिक गुण बालक की वृद्धि पर भी प्रभाव डालते हैं । गोडार्ड कहते हैं कि मंद . बुद्धि के माता – पिता के संतान मंद बुद्धि की तथा तीव्र बुद्धि के माता – पिता की संतान तीव्र बुद्धि की होती है ।

( 4 ). बालक की मानसिक क्षमता से उसकी अन्य क्षमताएं भी प्रभावित होती हैं ।

( 5 ). थॉर्नडाइक का कहना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारण उसका वंशानुक्रम है ।

( 6 ). कुछ मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि चरित्रहीन माता – पिता की संतान चरित्रहीन होती है , लेकिन व्यक्ति के व्यवहार के लिए केवल आनुवंशिकता को अकेले जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है ।

आनुवंशिकता के प्रभाव का शैक्षिक महत्त्व ( Educational importance of heredity ) 

बालकों की शिक्षा में आनुवंशिकता ( genetics ) तथा वातावरण ( environment ) दोनों का योगदान महत्त्वपूर्ण है । बालक की यदि आनुवंशिकता अच्छी है , लेकिन उसे अच्छा वातावरण नहीं मिल पाया है तो उसका शैक्षिक विकास सही ढंग से नहीं हो पायेगा । यदि बालक सुरू से ही अच्छे स्कूल में पढ़ता है जहाँ बालकों के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है । तो ऐसे में निश्चित रूप से बालक का हर तरह से विकास होगा ।

आज के समय में ” व्यक्तित्व की महता “ अधिक है । उसके अंतर्गत व्यक्ति की सिर्फ सुंदरता ही नहीं बल्कि उसके गुण , विचार , चिंतन , तार्किक क्षमता , व्यवहार आदि को अच्छा व योग्य बनाने की आवश्यकता है । 

शिक्षा – मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक विवादित प्रश्न यह है कि —

‘ बालक की शिक्षा में वंशानुक्रम का महत्त्व अधिक है या वातावरण का ? ‘ 

इस विषय को लेकर दोनों पक्षों के विद्वानों ने अपने – अपने पक्षों का समर्थन करने के लिए विभिन्न प्रयोग तथा अध्ययन किए । इन सबका अध्ययन करने के बाद पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है कि , बालक के व्यक्तित्व के विकास में वंशानुक्रम ( genetics ) और वातावरण ( environment ) दोनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है । इसलिए शिक्षा देते समय वंशानुक्रम और वातावरण दोनों का ध्यान में रखना बहुत जरूरी है ।

वंशानुक्रम का महत्त्व ( Importance of inheritance ) 

( 1 ). बालकों में वंशानुक्रम के कारण शारीरिक विभिन्नता पायी जाती है । और बालक के शारीरिक विकास का उसकी शिक्षा पर भी प्रभाव पड़ता है ।

( 2 ). वंशानुक्रम के कारण बालकों को जन्मजात अनुसार ही सीखने की योग्यताओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए और इन्हीं भिन्नताओं के अनुरूप शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए ।

( 3 ). वंशानुक्रम के कारण वालक शारीरिक दृष्टि से भिन्न विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है ।

( 4 ). बालकों में पायी जाने वाली जन्मजात क्षमताओं में अंतर होने का मुख्य कारण वंशानुक्रम है ।

( 5 ). वंशानुक्रम से बालकों में कुछ प्रवृत्तियाँ होती हैं , जिनमें से कुछ सामाजिक दृष्टि से अवांछनीय होती हैं , जिसके कारण वह समाज में अलग व्यवहार करता है ।

( 6 ). कुछ बालकों में वंशानुक्रम जनित विकार आ जाते हैं ।

( 7 ). प्रत्यागमन का सिद्धांत बताता है कि प्रतिभाशाली माता – पिता का बालक सामान्य बुद्धि का हो सकता है ।

( 8 ). ग्रामीण बालकों की अपेक्षा शहरी बालकों के मानसिक स्तर की श्रेष्ठता आंशिक रूप से , वंशानुक्रम के कारण होती है ।

तो दोस्तों आशा करता हूँ की इस आर्टिकल में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — आनुवंशिकता किसे कहते है? ( What is genetics ) , प्रभाव एवं महत्व आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । धन्यवाद्…

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