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प्राचीन भारत के विदेशियों के यात्रा वृतान्त? ( Praacheen Bhaarat Ke Videshiyon )

प्राचीन भारत के विदेशियों के वृतान्त? ( Accounts of Foreigners of Ancient India )

प्राचीन भारत के विदेशियों के वृतान्त :— भारत के विदेशियों के यात्रा वृत्तान्तों को 3 भागों में रखा जा सकता है :— ( 1 ). यूनान – रोम के लेखक , ( 2 ). चीन के लेखक और ( 3 ). अरब के लेखक आदि ।

( 1 ). यूनान-रोम के लेखक ( Writers of Greece-Rome )

( I ). हेरोडोटस ( Herodotus ) तथा टीसियस ( Tesius ) सबसे पुराने यूनानी इतिहासकार थे । हेरोडोटस को ‘ इतिहास का पिता ( Father of history ) ‘ भी कहा जाता है । इनकी रचनाओं में कल्पित कहानियों को स्थान दिया गया है । टीसियस ईरान का राजवैध था ।

( ii ). नियार्कस , आनेसिक्रिटस और एरिस्टोबुलस . सिकन्दर के साथ भारत आए थे । मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में सेल्यूकस का राजदूत था और उसने इण्डिका ( Indica ) की रचना की । इसमें मौर्यकालीन समाज और प्रशासनिक व्यवस्थाओं का विवरण प्राप्त होता है ।

( iii ). स्ट्रैबो ( Strabo ) एक प्रसिद्ध यूनान का रचनाकार था , जिसने मेगास्थनीज के विवरण को काल्पनिक बताया और ‘ ज्योग्राफिका ‘ नाम कि पुस्तक लिखी ।

( iv ). भारत के भौगोलिक परिदृश्य का विवरण ज्योग्राफिका ( 140 ई. ) में मिलता है, इसकी रचना टॉलेमी ( Ptolemy ) ने की है ।

( v ). भारत के विविध पक्षों का उपयोगी विवरण Natural History में मिलती है , इसकी रचना पहली सदी में हुई थी , इसके रचयिता प्लिनी ( Pliny ) है ।

( vi ). पेरिप्लस ऑफ द एरिथ्रियन सी ( Periplus of the Erythraean Sea ) एक अज्ञात यूनान के लेखक की रचना है , जो मिन ( Min ) में आकर बस गया था । और उसने सन 80 ई. में भारतीय समुद्र तट की यात्रा की थी । उसके विवरण में बन्दरगाहों के उल्लेख के साथ – साथ आयात – निर्यात की वस्तुओं का भी वर्णन मिलता है ।

( 2 ). चीन के लेखक ( Chinese Writer )

( i ). फाह्यान ( Fahien ) 5वीं शताब्दी में गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में भारत आया था । उसने भारत में बौद्ध धर्म के स्थिति का विवरण दिया है । फाह्यान की प्रसिद्ध रचना फो – क्यो – की है ।

( ii ). ह्वेनसांग ( Huansang ) हर्षवर्द्धन के समय लगभग सन 629 ई. में भारत आया था , और लगातार 16 वर्षों तक भारत में रहा । उसके यात्रा – वृत्तान्त में तत्कालीन राजनीति के साथ – साथ भारतीय रीति – रिवाज तथा शिक्षा – पद्धति का वर्णन मिलता है । उसका भ्रमण वृत्तान्त सी – यू – की नाम से प्रसिद्ध है ।

( iii ). इतसिंग ( Itsing ) 7वीं शताब्दी के अन्त में भारत आया था । और इसने विक्रमशिला और नालन्दा विश्वविद्यालय में रहकर बौद्ध धर्म का अध्ययन किया था । इत्सिंग ने बौद्ध शिक्षा संस्थाओं और भारतीयों की वेशभूषा , खानपान आदि के विषय में भी लिखा है ।

( 3 ). अरब के लेखक ( Arabic Writer )

( i ). सुलेमान ( Suleiman ) 9वीं शताब्दी में भारत आया था , इसने पाल और प्रतिहार शासकों के बारे में लिखा है ।

( ii ). अल मसूदी ( Suleiman ) 914 ईo से 943 ई. तक भारत में रहा , और इसने राष्ट्रकूट शासकों के साम्राज्यवादी विस्तार का विवरण दिया ।

( iii ). अलबरूनी ( Alberuni ) का असली नाम अबू रिहान था । और इसने तहकीक – ए – हिन्द ( किताब – उल- हिन्द ) की रचना की । वह महमूद गजनवी का समकालीन था । अलबरूनी ने संस्कृत भाषा का अध्ययन किया तथा भारतीय समाज के विस्तार का विवरण कि रचना किया है ।

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि इस लेख में दी गई सभी जानकारी जैसे— प्राचीन भारत के विदेशियों के वृतान्त ( Praacheen Bhaarat ke Videshiyon ke Vrtaant ). आदि प्रश्नों के उत्तर अच्छी तरह समझ गए होंगे । अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं. [धन्यवाद]

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