You are currently viewing प्रागैतिहासिक काल? परिभाषा एवं प्रकार! ( Praagaitihaasik Kaal )

प्रागैतिहासिक काल? परिभाषा एवं प्रकार! ( Praagaitihaasik Kaal )

प्रागैतिहासिक काल? ( Prehistoric Times )

प्रागैतिहासिक काल के समय के मनुष्यों के जीवन की जानकारी का कोई लिखित सबूत नहीं मिलता , उसे प्राक् इतिहास या प्रागैतिहास ( PreHistory ) कहा जाता है । किसी भी समय के मनुष्यों के जीवन की जानकारी, प्राप्त अवशेषों से ही उस काल के जीवन को जानते हैं । इस काल के सबूत उनके औजार हैं , जो मुख्यतः पत्थरों से बना हैं । होमो सेपियन्स ( Homo Sapiens ) ज्ञानी मानव की उपस्थिति 30 से 40 हजार वर्ष पहले का माना जाता है । और उस समय का मनुष्य जंगलों में निवास करता था । ए. कनिंघम ( A. Cunningham ) को ‘ प्रागैतिहासिक पुरातत्त्व का जनक ( Father of Prehistoric Archeology ) ‘ कहा जाता है ।

प्रागैतिहासिक काल के प्रकार ( Types of Prehistoric Times )

औजारों की स्वरूप के आधार पर प्रागैतिहासिक काल को 3 भागों में बाँटा जाता है :— ( 1 ). पुरा पाषाण काल , ( 2 ). मध्य पाषाण काल , ( 3 ). नव पाषाण काल आदि ।

( 1 ). पुरा पाषाण काल ( Palaeolithic )

पुरा पाषाण काल :— पुरा पाषाण काल मध्य पश्चिमोत्तर भारत के सोहन घाटी क्षेत्र से पुरा पाषाण संस्कृति के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं । यहाँ स्थित चौत स्थान से हस्तकुठार ( Handcuffs ) और शल्क ( Scale ) पाए गए हैं ।

( 2 ). मध्य पाषाण काल ( Mesolithic )

मध्य पाषाण काल :— इस काल में क्वार्जाइट ( Quartzite ) के औजार और हथियार बनाए जाते थे । मध्य पाषाणकाल में आग का आविष्कार हुआ , इस काल के मनुष्यों ने अनुष्ठान के साथ शवों को दफनाने की प्रथा शुरू की थी । मध्य भारत की लेखनियों से ऐसा साक्ष्य प्राप्त होता है । प्रतापगढ़ ( उ.प्र . ) में स्थित ‘ सरायनाहर , महदहा और दमदमा ‘ भारत के सबसे पुराने ज्ञात मध्य पाषाणकालीन स्थल हैं ।

मध्य पाषाण कालीन स्थल बागौर ( राजस्थान ) तथा आदमगढ़ ( मध्य प्रदेश ) से पशुपालन का प्राचीनता साक्ष्य प्राप्त होता है । स्थायी निवास का प्रारम्भिक साक्ष्य सरायनाहर राय एवं महदहा से स्तम्भ गर्त के रूप में मिलता है । भीमबेटका में चित्रकारी के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त होते हैं । आदमगढ़ की गुफाओं से गुफा चित्रकारी का प्रमाण मिला है , जिनमें आखेट , नृत्य तथा युद्ध गतिविधियों की चित्रित किया गया है ।

( 3 ). नव पाषाण काल ( New Stone Age )

नव पाषाण काल :— नव पाषाण या नियोलिथिक शब्द का प्रयोग सबसे पहले सर जॉन लुबाक ( Sir John Lubach ) ने किया था । नव पाषाण काल में पहिए का आविष्कार हुआ , इस काल की प्रमुख विशेषता खाद्य उत्पादन , पशुओं के उपयोग की जानकारी और स्थिर ग्रामिण जीवन का विकास था । मेहरगढ़ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित प्रसिद्ध नव पाषाणकालीन स्थल है , जहाँ 7000 ई.पू. में कृषि कार्य का प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुआ । यहाँ गेहूँ तथा जौ की खेती के प्रमाण मिले हैं । तीसरी सहस्राब्दि ई.पू. में कश्मीर में समृद्ध नव चला है ।

पाषाणकालीन स्थल बुर्जहोम एवं गुफ्फकराल का बुर्जहोम से स्तम्भ गर्त और गर्तगृह का साक्ष्य मिला है । मनुष्य के साथ कुत्ते भेड़िये और जंगली बकरे के चिरान्द ( बिहार ) से हड्डी के नवपाषाणकालीन अनेक शवाधान भी मिले हुए हैं ।

उत्तर प्रदेश के बेलन घाटी में स्थित कोल्डीहवा नामक स्थान से चावल की कृषि का साक्ष्य मिला है जा । 7000-6000 ई. पू. का है । उपकरण पाए गए हैं , जो हिरण के सींगों के हैं । मनुष्य ने सबसे पहले कुत्तों को पालतू बनाया ।

मृद्भाण्ड के प्राचीनतम साक्ष्य चौपानीमाण्डो से प्राप्त हुए है । मनुष्य ने सबसे पहले जिस धातु का उपयोग आरम्भ किया वह ताँबा ( Copper ) थी । ताँबे से जिस युग में औजार या हथियार बनाए जाने लगे, उसे ताम्र पाषाणकाल ( Chalcolithic ) कहा जाता है ।

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि इस लेख में दी गई सभी जानकारी आदि प्रश्नों के उत्तर अच्छी तरह समझ गए होंगे । अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं. [धन्यवाद]

Read More—