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शब्दों के भेद , परिभाषा एवं प्रकार! ( Shabdon Ke Bhed )

शब्दों के भेद ( Difference of Words )

शब्दों के भेद — वर्णों का सार्थक समूह शब्द कहलाता है । वाक्य में प्रयुक्त शब्द , पद कहलाता है । शब्दों को अलग – अलग आधारों पर कई भागों में बाटा जा सकता है । उत्पत्ति / उद्गम / इतिहास / स्रोत के आधार पर उत्पत्ति का अर्थ होता है ‘ निकास ‘ । यानि वह शब्द मूल रूप से कहाँ से आया है ।

इस आधार पर शब्दों के 5 भेद माने जा सकते है ; ( 1 ). तत्सम , ( 2 ). तद्भव, ( 3 ). देशज, ( 4 ). विदेशज / विदेशी या आगत, ( 5 ). संकर शब्द आदि ।

( 1 ). तत्सम शब्द 

यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ; जैसे कि , तत् + सम । ‘ तत् ’ का अर्थ है – वहाँ जो कि संस्कृत को इंगित करता है
और ‘ सम ‘ का अर्थ है – समान यानि जो शब्द संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के हिंदी में प्रयोग किया गया है , वे तत्सम शब्द कहलाते हैं । जैसे कि — क्षेत्र , रात्रि , मयूर , कार्य , कर्म , पूर्णिमा आदि । ऋ , ष , क्ष , त्र , ज्ञ , श्र आदि वर्णों का प्रयोग अधिकांशतः तत्सम शब्दों में ही पाया जाता है ।

( 2 ). तद्भव शब्द

यह भी दो शब्दों से ही मिलकर बना है होता है ; जैसे कि , तत् + भव । तत् का अर्थ यहां संस्कृत को ही दर्शाता है और भव शब्द संस्कृत की ‘ भू ‘ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है ‘ होना ‘ यानि जो शब्द संस्कृत में कुछ और था और हिंदी में कुछ और हो गया वे शब्द , तद्भव शब्द कहलाते हैं । जैसे कि — क्षेत्र से खेत , रात्रि से रात , मयूर से मोर आदि.

( 3 ). देशज शब्द

देश + ज यानि देश में जन्मे , जिन शब्दों को विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं से हिन्दी में शामिल कर लिया गया , वे शब्द देशज या देशी शब्द कहलाते हैं । और जिन शब्दों का स्रोत अज्ञात हो वे भी देशज शब्द कहलाते हैं । क्योंकि , यह सही मायने में नहीं कहा जा सकता है कि वह शब्द किस क्षेत्रीय भाषा से आया है । जैसे कि — ‘ लठ ‘ शब्द का प्रयोग लगभग पूरे उत्तर भारत में किया जाता है तो यह नहीं बताया जा सकता है कि ये शब्द किस क्षेत्रीय भाषा का है । ऐसे अन्य शब्द भी हैं , जैसे कि− खाट , लोटा , पगड़ी इत्यादि ।

( 4 ). विदेशज या विदेशी या आगत शब्द

आगत का अर्थ होता है ‘ आया ‘ हुआ । जो शब्द विभिन्न विदेशी भाषाओं से हिंदी में आए हैं वे आगत या विदेशी या विदेशज शब्द कहलाते हैं । भारत आदि काल से ही औपनिवेशी शक्तियों का केंद्र बिंदु रहा है , यहाँ अंग्रेज , पुर्तगाल , मुगल , मंगोल आदि ताकतें व्यापार व शासन कर चुकी हैं उन्हीं के साथ उनकी भाषा भी यहाँ आई व समय के साथ उनके बहुत – से शब्दों को हिंदी ने अपना लिया ।

विभिन विदेशी शब्दों में से कुछ निम्न हैं ;

अंग्रेजी शब्द रेल , प्लेटफार्म , डॉक्टर , स्कूल , शर्ट पेंट , टाई , सूटकेस , प्लेट , पेन , क्रिकेट , हॉकी , फाइल , साइकिल आदि
अरबी शब्द  अदालत , कानून , इंसाफ , दफा , सबूत , वकील मुजरिम , मुल्जिम , सज़ा , इल्ज़ाम , मुवक्किल दलील आदि ।
तुर्की शब्द बारूद , बंदूक , चाकू , तोप , कैंची , उस्तरा , कुर्ता , पायजामा , बेगम आदि ।
फारसी शब्द कारोबार , आमदनी , आदमी , ज़मीन , रईस , बीवी , बीमा , सब्ज़ी , प्याज़ , पुदीना , मेज़ , गुलाब , शायरी तारीफ़ आदि ।
पुर्तगाली शब्द साबुन , तौलिया , बाल्टी , मिस्त्री , आया आलपिन , संतरा , चमच आदि ।

( 5 ). संकर शब्द

जो शब्द दो या दो से अधिक स्रोतों से आई भाषाओं के शब्दों से मिलकर बना हों वे संकर शब्द कहलाते हैं । जैसे कि ,

जाँचकर्ता = जाँच ( हिंदी ) + कर्ता ( संस्कृत )
वर्षगाँठ = वर्ष ( संस्कृत ) + गाँठ ( हिंदी )
टिकटघर = टिकट ( अंग्रेजी ) + घर ( हिंदी )
लाठीचार्ज = लाठी ( हिंदी ) चार्ज ( अंग्रेजी )
जेलखाना = जेल ( अंग्रेजी ) + खाना ( फारसी )
रेलगाड़ी = रेल ( अंग्रेजी ) + गाड़ी ( हिंदी )
सीलबंद = सील ( अंग्रेजी ) + बंद ( फारसी )

व्युत्पत्ति / रचना / बनावट के आधार पर

शब्दों के भेद रचना के आधार पर शब्द 3 तरह के होते हैं ; ( 1 )- रूढ़ , ( 2 )- यौगिक , ( 3 )- योगरूढ़

( 1 ). रूढ़

रूढ़ वे शब्द है जिनके खंड निरर्थक होते हैं , जैसे कि — घोड़ा , पानी आदि । यदि घोड़ा में ‘ घो ‘ और ‘ ड़ा ‘ को अलग – अलग कर देने पर कोई भी अर्थ नहीं निकलता है , इसलिए घोड़ा एक रूढ़ शब्द है ।

( 2 ). यौगिक

यौगिक वे शब्द हैं , जिनके खंड सार्थक होते हैं , जैसे कि — विद्यालय ( विद्या और आलय ) , रसोईघर ( रसोई और घर ) , गंगाजल ( गंगा और जल ) के अलग – अलग अर्थ है , इसलिए वे यौगिक हैं ।

( 3 ). योगरूढ़

योगरूढ़ वे शब्द हैं , जो अपना सामान्य अर्थ छोड़कर विशेष अर्थ बताते हैं , जैसे कि — ‘ पंकज ‘ शब्द ‘ पंक ‘ और ‘ ज ‘ के मेल से बना है , जिसका विशेष अर्थ है- कमल , अतः ‘ पंकज ‘ योगरूढ़ शब्द है , इसी प्रकार पीतांबर , लंबोदर आदि भी योगरूढ़ शब्द हैं ।

व्याकरण के आधार शब्दों के भेद

व्याकरण के आधार पर शब्दो के 2 भेद होते हैं ; ( 1 )- विकारी शब्द , ( 2 )- अविकारी शब्द आदि ।

( 1 ). विकारी शब्द

जिन शब्दों में लिंग , वचन , कारक , काल के आधार पर परिवर्तन सम्भव हो , वे विकारी शब्द कहलाते है , जैसे कि — संज्ञा , सर्वनाम , क्रिया , विशेषण ।

( 2 ). अविकारी शब्द

जिन शब्दों में लिंग , वचन , कारक , काल आदि के आधार पर कोई परिवर्तन नहीं हो , वे अविकारी शब्द कहलाते हैं , जैसे कि — सम्बन्धबोध , समुच्चयबोध , क्रियाविशेषण , विस्मयादिबोध , निपात आदि ।

अर्थ के आधार पर शब्दों के भेद

अर्थ के आधार पर शब्दो के 2 भेद होते हैं , जैसे कि – ( 1 )- सार्थक शब्द , ( 2 )- निरर्थक शब्द आदि ।

( 1 ). सार्थक शब्द

सार्थक शब्द वे शब्द हैं , जिसका कोई अर्थ हो , जैसे – खाना ।

( 2 ). निरर्थक शब्द

निरर्थक शब्द वे शब्द है जिसका कोई अर्थ नहीं होता है । ऐसे शब्दों का प्रयोग तुकबंदी बनाने के लिए होता है , जैसे – खाना वाना शब्द में वाना शब्द का कोई अर्थ नहीं है ।

प्रयोग के आधार पर शब्दों के भेद

प्रयोग के आधार पर शब्दो के 2 भेद होते हैं, जैसे कि – ( 1 )- सामान्य शब्द , ( 2 )- पारिभाषिक शब्द आदि ।

( 1 ). सामान्य शब्द

सामान्य शब्द वे शब्द हैं जो आम बोल – चाल की भाषा में प्रयोग किया जाता हैं ।

( 2 ). पारिभाषिक शब्द

पारिभाषिक शब्द वे शब्द हैं जो औपचारिक भाषा में प्रयोग किया जाता है ।

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